डीआरडीओ
भारत सरकार ने रक्षा संबंधी अनुसंधान एवं विकास हेतु 1 जनवरी, 1958 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की स्थापना की. यह स्थापना वैज्ञानिक अनुसंधान डिजाइन और विकास के कार्यक्रम निर्मित कर उन्हें कार्यवन्ति करती है, जिससे की सेना की आवश्यकता वाले आधुनिक शस्त्रों, प्लेटफार्मों एवं अन्य उपस्करों का उपयोग किया जा सके. डीआरडीओ का मूल मंत्र, बलस्य मूलं विज्ञान यानी विज्ञान ही बल की जड़ है.
भारतीय प्रक्षेपास्त्र
भारत में प्रतिरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए वर्ष 1983 में स्मनिवत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम की शुरुआत की. इस कार्यक्रम के विकास की जिम्मेदारी DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को सौंपी गई. भारतीय मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने सराहनीय कार्य किया. इसी कारण इनको भारतीय मिसाइल प्रौद्योगिकी का जनक कहा जाता है. डॉक्टर कलाम ने गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया और अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइल को सवदेशी तकनीक से बनाया, इसलिए इन्हें मिसाइल मैन भी कहते हैं.
इस कार्यक्रम के अंतर्गत पांच प्रक्षेपास्त्रों- त्रिशूल, आकाश, पृथ्वी, नाग एवं अग्नि के विकास की परिकल्पना की गई थी. इन सभी का विवरण निम्नलिखित है.
भारत के विविध प्रश्न पत्र
प्रक्षेपास्त्र |
प्रकार |
मारक क्षमता |
पृथ्वी |
सतह से सतह कम दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र |
पृथ्वी 150 किमी ( थल सेना में शामिल) पृथ्वी ii – 250-350 कि.मी. ( वायु सेना के लिए) पृथ्वी iii- 350-600 किमी |
त्रिशूल |
सतह से हवा |
500 मीटर से 9 किलोमीटर |
आकाश |
सतह से हवा बहूक्षेपीय प्रक्षेपास्त्र |
25 किलोमीटर |
नाग उपनाम- दागो और भूल जाओ प्रश्न पत्र |
टैंक रोधी निर्देशक प्रश्न पत्र |
3-7 कि.मी. |
अन्य प्रक्षेपास्त्र
अन्य प्रक्षेपास्त्र
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विवरण |
धनुष |
- जमीन से जमीन पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र
- पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक रूपांतरण
- मारक क्षमता 500 किलोग्राम आयुध के साथ 250 किमी
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अस्तर |
- परीक्षण 9 मई, 2003 को चांदीपुर (ओडिशा) से
- मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला और स्वदेशी तकनीकी से विकसित प्रक्षेपास्त्र
- मारक क्षमता 10-25 किलोमीटर लेकर 40 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
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ब्रहोस |
- ब्रहोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र एवं रूस की मॉस्कोवा नदी से लिया गया है. (भारत + रूस की संयुक्त परियोजना)
- जमीन से जमीन पर मार करने वाली ध्वनि से तेज गति वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.
- मारक क्षमता 290 कि मी
- स्टील्थ तकनीक से बने इस प्रक्षेपास्त्र को कहीं से भी दागा जा सकता है.
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सागरिका |
- सागरिका एक ऐसी प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है, जिसका उपयोग समुंदर के अंदर किया जा सकता है.
- सागरिका प्रणाली का उपयोग सागर की गहराइयों में रहने वाली पनडुब्बियों के द्वारा भी किया जा सकेगा.
- मारक क्षमता 700 किमी
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शौर्य |
- हाइपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाला मध्यम दूरी का प्रक्षेपास्त्र
- परीक्षण, नवंबर, 2008
- मारक क्षमता 700 किमी
- यह मिसाइल जल के अंदर थोड़ी जाने वाली k-15 ( सागरिका) काही जमीन प्रतिरूप है.
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लड़ाकू विमान
तेजस |
- रक्षा उपकरणों में सर्वाधिक जटिल, उन्नत, अत्याधुनिक विकास परियोजनाओं में से एक कल के लड़ाकू विमान तेजस ने पहली उड़ान वर्ष 2005 को भरी.
- विश्व का सबसे छोटा, हल्का, बहुउद्देशीय सुपर सैनिक विमान सभी प्रकार के मौसम में हवा से हवा में, हवा से धरती पर एवं आवाज से समुंदर में मार करने में सक्षम है.
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निशान |
- पायलटरहीत प्रशिक्षण विमान स्वदेशी तकनीकी से बना है, इसका पुराना नाम फाल्कन था.
- राडार की पकड़ में नहीं आता.
- इसे जमीन से 107 किमी की परिधि पर नियंत्रण किया जा सकता है.
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लक्ष्य |
- पायलटरहित विमान स्वदेशी तकनीकी से DRDO द्वारा विकसित किया गया.
- 750 कि मी/घंटा की रफ्तार से 40 मिनट से अधिक देर तक उड़ान भरने में सक्षम.
- इसका उपयोग जमीन से वायु तथा वायु से वायु में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र एवं तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु किया जाता है.
- जेट इंजन से चलने वाला यह विमान 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है.
- 100 किलोमीटर के दायरे में रिमोट द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.
- इसका प्रयोग तीनों सेनाओं द्वारा किया जा रहा है.
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पिनाक |
- यह सब देश में निर्मित बहूनालक रॉकेट प्रणाली है, इसके द्वारा एक सेकंड में 12 रॉकेट एक साथ देखे जा सकते हैं.
- 5 किमी 40 किमी तक प्रहार करने वाली इस प्रणाली का विकास DRDO पुणे ने कियाहै.
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प्रमुख पनडुब्बियां एवं युद्धपोत
आईएएनएस |
वर्ष 1971 में भारत- पाक युद्ध में बांग्लादेश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला विक्रांत 31 जनवरी, 1997 को भारतीय नौसेना से निवृत्त हो गया. |
आईएएनएस विराट |
- विराट विक्रांत की अपेक्षा अधिक क्षमता वाला पोत है. 28504 और 27 फुट गहराई वाले विराट का निर्माण वर्ष 1944 में एचएमएस हार्मिज के नाम से किया गया था. विराट के रूप में माई, 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया.
- विराट अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होने के अतिरिक्त हवा से हवा में मार करने वाली और समुंदर में छुपी पनडुब्बियों से बचाव की तकनीकी आदि से लैस है.
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आईएएनएस, प्रहार |
- विश्व के सबसे तेज गति से चलने वाली मिसाइल पौतो में से एक प्रहार का मार्च 1997 को मोरमुगाव डाकयार्ड जलवा चरण किया गया, इसकी गति 48 समुद्री मील/घंटा है.
- यह युद्धपोत सतह से सतह पर मार करने वाली लंबी दूरी को मिसाइलों से लैस है, जो दुश्मन के भूत बातों और नौसैनिक अड्डे पर कहर ढाने की क्षमता रखता है.
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आईएएनएस, चक्र – 2 |
4 अप्रैल, 2012 परमाणु पनडुब्बी को भारतीय नौसेना के बेड़े में ( रूप से 10 वर्षों के लिए पट्टे पर) शामिल किया गया. समुंद्र में इसकी रफ्तार 40 किमी प्रति घंटा है. |
आईएएनएस, हिंदू शास्त्र |
यह भारत की पहली मिसाइल विभेदी पनडुब्बी है, जिसे जुलाई 2000 में सेट पिट्सबर्ग अधिकार में लिया गया. |
आईएएनएस, अरिहंत |
देश में निर्मित पहली परमाणु पनडुब्बी. |
प्रमुख टैंक
अर्जुन |
- इसका विकास DRDO ने किया है, इस फिल्टर का निर्माण (BARC) ने किया है.
- 1400 पावर वाला यह टेक अपने चारों ओर 360 डिग्री घूमकर अचूक निशाना लगाता है.
- स्टेट में एक विशेष प्रकार के फिल्टर के उपयोग के कारण जवानों की जहरीली गैसों एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा होती है.
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भीष्म T-90 S.T. |
- मध्य श्रेणी का युद्ध टैंक है (50 टन से कम वजन का है)
- यह एक जैविक तथा रासायनिक आक्रमण की स्थिति में भी सक्रिय रह सकता है तथा बारूदी सुरंगों से भी स्वयं का बचाव कर सकता है.
- भारत में रूप से 300 टैंक (T-90) खरीदे हैं एवं शिक्षकों का निर्माण भारत में आड़ी ( चेन्नई) में किया जा रहा है.
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करण |
- DRDO दोबारा यह टेक अर्जुन टैंक तथा रूसी टी-72 टैंक की विशेषताओं को मिलाकर बनाया गया है
- यह मध्यम श्रेणी का हल का टैंक है, जिसका वजन 48 टन है. यह टैक नाभिकीय, जैविक एवं रासायनिक युद्ध सह सकता है तथा रात्रि में भी सक्रिय रह सकता है.
- स्टैक में विमान को ध्वस्त कर देने वाली मशीन गम लगी है.,
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अर्जुन मार्ग- II |
- भारत के स्वदेशी निर्मित युद्ध टैंक का नवीन संस्करण अर्जुन मार्ग – II का परीक्षण 2011 में हुआ.
- वजन 66 टन, गति 60-40 किमी/घंटा
- यह मिसाइल दागने में सक्षम है.
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भीम |
- DRDO द्वारा थल सेना के लिए स्वचालित रूप का विकास किया गया है.
- भीम की विशेषता यह है कि इस पर एक साथ 50 राउंड गोले रखे जा सकते हैं और इन्हें तोपों में भरने की स्वचालित व्यवस्था है.
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