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परमाणु के स्थायी मुलकणों के अभिलक्षण

आज इस आर्टिकल में हम आपको परमाणु के स्थायी मुलकणों के अभिलक्षण के बारे में बताने जा रहे है.

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1 परमाणु के स्थायी मुलकणों के अभिलक्षण

परमाणु के स्थायी मुलकणों के अभिलक्षण

परमाणु के स्थायी मुलकणों के अभिलक्षण

Q. इलेक्ट्रान का प्रतीक कौन-सा है?

Ans. e

Q. इलेक्ट्रॉन का आवेश कौन-सा है?

Ans. -1

Q. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान कितना है?

Ans. 9.10×10-31 कि. ग्रा.

Q. इलेक्ट्रान का खोज किसने की थी?

Ans. जे. जे. थामसन (1879 ई.)

Q. प्रोटोन का प्रतीक कौन-सा है?

Ans. p

Q. प्रोटोन का आवेश कौन-सा है?

Ans. +1

Q. प्रोटोन का द्रव्यमान कितना है?

Ans. 1.67×10-27 कि. ग्रा.

Q. प्रोटोन की खोज किसने की थी?

Ans. गोल्डस्टीन (1911 ई.)

Q. न्यूट्रॉन का प्रतीक कौन- सा है?

Ans. n

Q. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान कितना है?

Ans. 1.67×10-27 कि. ग्रा.

Q. न्यूट्रॉन की खोज किसने की थी?

Ans. चैडविक ने (1932 ई.)

Applied Physics – Light


परमाणु संख्या (Atomic Number)

किसी टीटीवी कि परमाणु संख्या उनके नाभिक में उपस्थित प्रोटोन कि संख्या को कहते है. जैसे- हाइड्रोजन को नाभिक में प्रोटोन कि संख्या एक है, अंत: हाइड्रोजन कि परमाणु संख्या एक होगी.

⇒ परमाणुओं में प्रोट्रानएवं इलेक्ट्रान कि संख्या बराबर होती है, परंतु आवेश विपरीत होते है, अर्थात प्रोटोन पर एक इकाई डीएचएन आवेश होता है, तो इल्क्ट्रोन पर इकाई ऋणआवेश होता है. इसलिए परमाणु उदासीन होता है।

⇒ परमाणु के केंद्र में नाभिक होता है तथा नाभिक के चारों ओर विभिन्न ऊर्जा एसटीआर कि कषाएँ पायी जाती है।

परमाणु के नाभिक (Nucleus)

परमाणु के नाभिक के अस्तित्व के विषय में सर्वप्रथम रदर फोर्ड (1911 ई.) ने एक प्रयोग के द्वारा जानकारी प्राप्त की। परमाणु के नाभिक में प्रोट्रान एवं न्यूट्रान मौलिक कण होते है.

⇒ परमाणु में इल्क्ट्रोन विभिन्न ऊर्जा स्तरों वाले कक्षा में चक्कर लगाते है।

द्रव्यमान संख्या (Mass Number)

किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोट्रान (p) की संख्या और न्यूट्रनों (n) की संख्या का योगफल उस तत्व की द्र्व्यमान संख्या (A)कहलाती है, अर्थात A=p+n

परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)

परमाणु में उपस्थित प्रोट्रोन तथा न्यूट्रनों के द्र्व्यमान का योगफल द्रव्यमान कहलाता है, जैसे- कार्बन का परमाणु द्र्व्यमान 12 है.

परमाणु द्रव्यमान इकाई (Atomic Mass unit-amu)

कार्बन (परमाणु द्रव्यमान 12) के एकपरमाणु के द्र्व्यमान के 12 वें भाग को परमाणु द्र्व्यमान इकाई कहा जाता है।

1 परमाणु द्र्व्यमान इकाई ( amu )= c12 परमाणु द्र्व्यमान/12

परमाणु कक्षा (Orbit)

किसकी परमाणु के अंदर उपस्थित ऊर्जा के निश्चित मान वाला स्तर जहां पर इलेक्ट्रान विद्यामान रहता है तथा जहां रहकर वह नाभिक के चारों और चक्कर लगता है परमाणु कक्षा कहलाता है. ये कक्षाएँ (K, L, M, N,) आदि से व्यक्त की जाती है।

उप कक्षा (Sub-Orbit)

किसकी परमाणु कक्षा में ऊर्जा स्तर के अंदर ऊर्जा के रूप स्तर पाये जाते है, जिनहे s, p, d, f द्वारा व्यक्त किया जाता है।

आर्बिटल (Orbital)

नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन के पाये जाने की अधिकतम संभावना वाला स्थान आर्बिटल कहलाता है।

कोर- इलेक्ट्रॉन (core Electron)

किसी परमाणु के भीतरी कक्षा में मौजूद इलेक्ट्रॉन कोर इलेक्ट्रॉन कहलाते है।

संयोजी इलेक्ट्रॉन (valence Electron)

किसी परमाणु के बाहरी कक्षा में विद्यामान इलेक्ट्रॉन संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते है.

क्वान्टम संख्या (Quantum Number)

क्वाट्न्म संख्याओं द्वारा स्पेक्ट्रम रेखाओं की सूक्ष्म प्र्कृती एवं इलेक्ट्रॉन की सही स्थिति व्यक्त की जाती है. क्वान्टम संख्याएँ 4 है. इलेक्ट्रॉनिक्स विन्यास में विभिन्न कक्षकों का बढ़ता ऊर्जा क्रम

1s → 2s→ 3s→ 3p→ 4s→ 3d→ 4p→ 5s→ 4d→ 5p→ 6s→ 4f→ 5d→ 6p→ 7s

संस्थानिक (Isotopes)

समान परमाणु क्र्मांक परंतु भिन्न द्र्व्यमानों के परमाणुओं को संस्थानिक कहते है। स्ंस्ठानिकोन में प्रोटोनों की संख्या समान होती है। किन्तु न्यूट्रान की संख्या भिन्न होती है, H1, H2 तथा H3 संस्थानिक है.

समभारिक (Isobar)

भिन्न- भिन्न परमाणु संख्या लेकिन समान द्र्व्यमान संख्या वाले तत्व समभारिक कहलाते है। एनमें नाभिक में प्रोतरान एवं न्यूट्रान दोनों की संख्या भिन्न- भिन्न होती है.

⇒ परंतु दोनों का योग समान होता है। जैसे आर्गन – (Ar40) पोटैशियम (K40) और कैल्शियम (Ca40) समभारिक है.

पाउली का अपवर्जन नियम (Paulis exclusion principle)

इसके अनुसार एक दिए गए परमाणु में किनही दो इलेक्ट्रोनों के लिए चारों क्वान्टम संख्याओं का मान समान नहीं हो सकता अत: यदि दो इल्क्ट्रोनों के n, l, और m के मान एक ही हो, तो उनका सीएचकेआरएन विपरीत हिता है.

हुंड का अधिकतम बहुलता का नियम (Hund Rule of Maximum multiplicity)

इसके अनुसार इलेक्ट्रोनों तब तक युग्मित नहीं होते जब तक की रिक्त कक्षक प्राप्य है अर्थात जब तक संभव है, इलेक्ट्रोनों आयुग्मित रहते है.

हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त(heisenbergs uncertainty principle)

इसके अनुसार किसी कण की स्थिति और वेग का एक साथ यथार्थ (exact) निर्धारण असंभव है।

ऑफबाऊ नियम (Aufbau principle) क्या है?

इस नियम द्वारा तत्वों के इलेक्ट्रानिक विन्यास लिखने के लिए विभिन्न परमाणु कक्षकों की ऊर्जा बढ्ने का क्रम इस प्रकार है.

1s → 2s→ 3s→ 3p→ 4s→ 3d→ 4p→ 5s→ 4d→ 5p→ 6s→ 4f→ 5d→ 6p→ 7s

तत्वों का वर्गीकरण

⇒ तत्वों के नियमित वर्गिकरण की दिशा में सन 1869 ई. में रूसी वैज्ञानिक मेंडलीफ (Mendleev) ने सर्वप्रथम आवर्त सारणी की खोज की. जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रसायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती होते है।

⇒ मोजले (Moseley) ने 1913 ई. में आधुनिक आवर्त नियम प्रस्तुत किया जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रसायनिक गुण उनके परमाणु संख्या के आवर्ती होते है।

⇒ मेंडलीफ की आर्वत सारणी में अक्रिय गैसों का वर्ग नहीं था क्योंकि उस समय तक अक्रिय गैसों की खोज नहीं की जा सकी थी।

⇒ आधुनिक आरव्त सारणी में आरंभिक स्दसी क्षार धातु एवं अंतिम सदस्य अक्रिय गैस हो। पहले आवर्त का पहला सदस्य हाइड्रोजन इसका अपवाद है।

⇒ 57 से 71 तक परमाणु संख्या वाले तत्वों को आधुनिक आर्वत सारणी के तहत लैंथेनाइड श्रेणी में तथा 89 से 103 तक की परमाणु संख्या वाले तत्वों को एक्टिनाइड श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

विद्युत् धनात्मकता (Electropositivity)

किसी भी आवर्त में बायी से दायी तरफ जाने पर विद्युत् धनात्मकता है, जबकि भी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर विद्युत् धनात्मकता बढ़ती है।

विद्युत् ऋणात्मकता (Electronegativity)

किसी भी आवर्त में बायी से दायी तरफ जाने पर विद्युत् ऋणात्मकता का मान बढ़ता है, जबकि किसी वर्ग में ऊपर से नीचे की तरफ चलने पर विद्युत् ऋणात्मकता का मान घटता है। फ्लोरीन की विद्युत् ऋणात्मकता सर्वाधिक होती है।

आयन्न विभव (Ionistaion Potential)

तत्व के किसी गैसीय परमाणु के बाहयतम कक्षा से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम संख्या ‘आयतन विभव’ कहलाती है।

इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron affinity)

उदासीन पर अणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने में उत्पन्न ऊर्जा ‘इलेक्ट्रॉन’ बंधुता कहलाती है।

⇒ वर्ग VII के तत्वों (जैसे- cl, F, Br & 1) की इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होती है। जो वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घटती है। सर्वाधिक इलेक्ट्रॉन बंधुता वाला तत्व क्लोरीन (Cl) है.

कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु

⇒ फ्लोरीन की विधुत ऋणात्मकता सबसे अधिक होती है।

⇒ वर्ग VI A के तत्वों का गलनांक उच्च होता है तथा निष्क्रिय गैसों का गलनाक निम्न होता है।

⇒ हाइड्रोजन आयन (H+) को प्रोट्रान कहते है।

⇒ न्यूट्रान का द्र्व्यमान प्रोट्रान के द्र्व्यमान के बराबर होता है।

⇒ न्यूट्रान पर कोई आवेश नहीं होता

⇒ किसी भी परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटोनों की संरचना समान होती है।

आज इस आर्टिकल में हमने आपको परमाणु के स्थायी मूलकनों के अभिलक्षण, परमाणु और अणु, परमाणु संरचना का चित्र, परमाणु परिभाषा, परमाणु एवं अणु में अंतर, परमाणु क्या है, परमाणु किसे कहते है, अणु की परिभाषा, परमाणु की खोज, के बारे में बताया है, अगर आपको इससे जुडी कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके भी पूछ सकते है.

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Manoj Swami
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