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छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति

आज इस आर्टिकल में हम आपको छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है जिनके बारे में आप पूरी जानकारी नीचे दिए सेक्शन से चेक कर सकते है.

मोतीलाल बोरा

श्री बोरा का जन्म 20 दिसंबर, 1928 को हुआ था। 1968 से वे राजनीति में है। 1972 से दुर्ग की सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। 13 मार्च 1985 को इन्होंने श्री अर्जुन सिंह से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार ग्रहण किया और फरवरी 1998 में पुनः अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री का पदभार दे दिया। इसके बाद केंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे। यह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके।

चंदूलाल चंद्राकर

श्री चंद्राकर का जन्म दुर्ग के नियानी गांव में 1 जनवरी 1920 को हुआ था। वे 1980 में दुर्ग से सांसद चुने गए। इससे पूर्व वे दैनिक हिंदुस्तान के संपादक व 1964 से 1970 तक भारत की प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे व 1975 से 1978 तक वे प्रेस कर्मचारी के फेडरेशन के अध्यक्ष व 1978 से भिलाई इस्पात कारखाने के इस्पात मजदूरों के यूनियन के अध्यक्ष रहे हैं। वे 1970 से 1977 तक लोक सभा के सदस्य रह चुके हैं। श्री चंद्राकर केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रह चुके हैं। वे कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं।

विद्याचरण शुक्ल

इनका जन्म 2 अगस्त, 1929 को रायपुर में हुआ था। इनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे महासमुंद लोक सभा सीट से सदस्य रहे हैं। 1966 में श्री शुक्ल केंद्रीय सरकार के संचार एवं संसदीय कार्यमंत्री बने। वे 1966-67 तक गृहमंत्री, 1967-1970 तक राजस्व एवं व्ययमंत्री, 1970-71 तक सुरक्षा उत्पादान मंत्री, 1971-74 तक नियोजन विज्ञान व तकनीकी मंत्री, 1974-75 तक सूचना व प्रसारण मंत्री तथा 1975-77 तक नागरिक आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं। यह 11 जून, 2013 में हुए नक्सली हमले में मारे गए

राजेंद्र प्रसाद शुक्ला

श्री शुक्ला का जन्म 10 फरवरी, 1930 को बिलासपुर में श्री सिद्धनाथ शुक्ल के घर हुआ था। वे जिला विद्यार्थी कांग्रेस बिलासपुर के अध्यक्ष रहे, फिर अपने भूदान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। 1952-57 में आप जिला कृषि संगठन के अध्यक्ष रहे। 1958 में श्री शुक्ला सहकारी गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष एवं सचिव रहे। 1938 से 1964 तक आप केंद्रीय सहकारी बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष व सागर विश्वविद्यालय के व्यवस्थापन समिति के सदस्य रहे। 1967 से 1972 तक आप विधानसभा के सदस्य रहे 5 विधान सभा में राज्य परिवहन निगम की जांच समिति के सदस्य व संभागीय खादी ग्रामोद्योग संस्थान बिलासपुर के अध्यक्ष रहे हैं। 1978 से बिलासपुर जिला कांग्रेस समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राष्ट्रीय सहकारी निर्माण फेडरेशन, नई दिल्ली के संचालक राज्य सहकारी गृह निर्माण मंडल भोपाल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए 1985 में कोतार (बिलासपुर) से तीसरी बार विधानसभा सदस्य और सर्वसमिति से विधान सभा अध्यक्ष बने। 1992 में मास्को सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि के रूप में गए।

बिरजू महाराज

बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 को हुआ था। आपका बचपन रायपुर और पटियाला में व्यतीत हुआ है। इसके बाद रायगढ़ जिले में रहे। 22 वर्ष की अल्पायु में आपको केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। बिरजू महाराज को मध्य प्रदेश सरकार ने उनके शास्त्रीय नृत्य के लिए वर्ष 1986 का कालिदास सम्मान प्रदान किया गया। 24 फरवरी, 2000 को उन्हें प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार पुरस्कृत किया गया।

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

इनका जन्म 1894 में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा खैरगढ़ में हुई है। इसके पश्चात उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक पास किया और खैरागढ़ में अध्यापक हो गए। आपको देश की सबसे सम्माननीय पत्रिका सरस्वती का संपादक बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। गुरु रविंद्रनाथ टैगोर से प्रभावित बख्शीजी ने साहित्य की सभी विधाओं में लिखा। आपको डि. लीट. और विधा वाचस्पति जैसी उत्तम उपाधियों दी गई है। सन 1971 में रायपुर में आपका निधन हो गया।

बैरिस्टर छेदीलाल

ठाकुर छेदीलाल का जन्म सन 1887 को बिलासपुर जिले के अकलतरा नामक गांव में हुआ था। इन्होंने बैरिस्टर की शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की तथा बिलासपुर में वकालत प्रारंभ की। श्री ठाकुर बिलासपुर के प्रथम बैरिस्टर थे। सन 1930 से 31 में छेदीलाल यहां कौशल, विदर्भ और नागपुर की संयुक्त कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। 1941-42 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई तथा जेल भी गए। छेदीलाल ने हालैंड का स्वाधीनता का इतिहास नामक पुस्तक लिखकर खूब यश कमाया श्री ठाकुर सेवा समिति पत्रिका का सम्पादन तथा गुरुकुल-कांगड़ी में इतिहास के प्राध्यापक भी रहे थे इनका 1953 में देहावसान हो गया

राघवेंद्र राव

राघवेंद्र राव का जन्म 4 अगस्त, 1889 को कामठी में हुआ था। इनके प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर में तथा बैरिस्टर की शिक्षा लंदन में हुई। 1915 में बिलासपुर नगर पालिका तथा डिस्ट्रिक्ट कौंसिल के अध्यक्ष बने तथा जन सेवा में रत हो गए। रावजी असेंबली के चुनाव में विजयी हुए और शिक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त हुए। 1936 में अस्थाई रूप से मध्य प्रदेश के गवर्नर बनाए गए। राव साहब को तत्कालीन वायसराय की कार्यकारिणी समिति का सदस्य मनोनीत किया गया तथा उन्हें रक्षा मंत्री का पद भी संभालना पड़ा। राव साहब ने आजादी की लड़ाई में सीधा भाग न लेकर शासकीय पदों का उपयोग जनहित के लिए किया। 15 जून, 1942 को राघवेंद्र राव जी का दिल्ली में देहावसान हो गया था।

पंडित सुंदरलाल शर्मा

पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म सन 1881 में राजिम के पास चमसुर नामक ग्राम में हुआ था।  नाट्यकला मूर्तिकला व चित्रकला में पारंगत विद्वान श्री शर्मा प्रहलाद चरित्र करुणा- पचिसी, व सतनामी-भजन-माला जैसे ग्रंथों के रचयिता है। इनकी छत्तीसगढ़ी-दीन-लीला छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकप्रिय प्रबंध काव्य ग्रंथ है। उन्होंने लगभग 18 ग्रन्थ लिखे जिनमें चार नाटक 2 उपन्यास तथा शेष काव्य रचनाएं हैं। इन्होंने राजिम में 1907 में संस्कृत पाठशाला व रायपुर में सतनामी-आश्रम की स्थापना की तथा 1910 में राजीम में प्रथम स्वदेशी दुकान व 1920 के कंडेल सत्याग्रह के सूत्रधार थे। छत्तीसगढ़ की राजनीति व देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका ऐतिहासिक योगदान है। 28 दिसंबर, 1940 को आप का स्वर्गवास हुआ ।

पंडित रविशंकर शुक्ल

श्री शुक्ल का जन्म 2 अगस्त, 1877 को सागर में हुआ था। आप ने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, स्वदेशी खादी, राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा दिया और असहयोग सविनय अवज्ञा तथा भारतछोड़ो आंदोलन में शीर्षशत्तर भूमिकाएं निभाई। 1923 ई. नागपुर में आयोजित झंडा सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व 4 जुलाई, 1937 ई. को श्री खरे के प्रथम कांग्रेसी मंत्रीमंडल में शिक्षा मंत्रि के रूप में सम्मिलित हुए तथा विद्या मंदिर योजनाओं को क्रियान्वित किया। 15 अगस्त, 1947 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1956 तक वे इस पद पर बने रहे। 1 नवंबर, 1956 को नए मध्य प्रदेश के प्रथम संस्थापक मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। 31 दिसंबर 1956 को शुक्लजी का देहावसान हो गया।

ठाकुर प्यारेलाल सिंह

राजनांदगांव जिले के श्री प्यारेलाल 1909 में राजनांदगांव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की। 1920 में बी. एन. सी. मिल की हड़ताल का सफल नेतृत्व असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा में सक्रिय भूमिका निभाई। इन्होंने छत्तीसगढ़ एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना तथा रायपुर में छत्तीसगढ़ महासभा की स्थापना में विशेष योगदान दिया। छत्तीसगढ़ में सहकारिता-आंदोलन के जनक श्री प्यारेलाल 1945 में छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी समिति की स्थापना की ताकि बुनकरों की आर्थिक स्थिति सुधरे। सितंबर 1950 में राष्ट्र-बंधू नामक एक अर्द्ध-सप्ताहिक पत्रिका प्रारंभ की थी 1952 ई. के आम चुनाव में रायपुर से किसान मजदूर प्रजा पार्टी की टिकट पर विधान सभा सदस्य बने तथा विपक्ष के नेता निर्वाचित हुए।

श्यामाचरण शुक्ल

राज्य के वरिष्ठतम राजनीतिज्ञ श्री शुक्ल ने अपना राजनीतिक जीवन वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रारंभ किया। उन्हें तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजनीति में प्रारंभ से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहने का गौरव प्राप्त है। वह रायपुर जिला कांग्रेस के अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी तक सदा ही महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। दैनिक महाकौशल के संपादक श्री शुक्ल ने वर्ष 1962 में राज्य विधानसभा में प्रवेश किया और निरंतर निर्वाचित होते रहे। उन्हें वर्ष 1969-72, 1975-77 तथा वर्ष 1989-90 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने का गौरव मिला वर्ष 1990 में वह राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे और अब छत्तीसगढ़ राज्य की राजनीति में सक्रिय है।

अन्य प्रमुख व्यक्ति

घनश्याम सिंह गुप्ता (दुर्ग)

राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदारी 1926-29 तक विधान सभा में कांग्रेस नेता, दुर्ग जिला हरिजन संघ व खादी उद्योग की स्थापना, 1937 के चुनाव के बाद 1952 तक मध्य प्रांत विधान सभा के अध्यक्ष साहित्य से लगाव

पंडित वामन राव लाखे (रायपुर)

रायपुर कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना, राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका, 1945 में बलौदा बाजार में कॉपरेटिव राइस मिल की स्थापना की

डॉ खूबचंद बघेल (रायपुर)

चिकित्साधिकारी, सविनय अवज्ञा आंदोलन में भागीदारी 1931 में स्वयं सेवक संगठन की छत्तीसगढ़ में स्थापना राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य रहे

श्रीमती तीजन बाई (पाटन, दुर्ग)

ख्यातलबद लोक कलाकार छत्तीसगढ़ की लोक कला पंडवानी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याती दिलवाने का श्रेय

तनवीर हबीब (रायपुर)

करीब 8 फिल्मों में अनेक मंचों में अभिनय, संस्कृत नाट्क मृछिकाटीकम की हिंदी में अभिनय (1964 दिल्ली में) प्रस्तुति की चरणदास चोर सहित अनेक नाटक प्रस्तुत करें रंगकर्मियों का मार्ग प्रदर्शन किया, 1983 में पदमश्री में 1984-85 में शिखर सम्मान से पुरस्कृत

डॉ कृष्ण कुमार झा (जगदलपुर)

शैक्षणिक गतिविधियों से संबद्ध, 15 से भी अधिक विषय में स्नातकोत्तर, राष्ट्रमंडल के शैक्षणिक फैलोशिप प्राप्त, 1979 में बेल्जियम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन की 12वें अधिवेशन में शामिल।

महर्षि महेश योगी (राजीम, रायपुर)

विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरु।

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