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बल और गति के नियम

आज इस आर्टिकल में हम आपको बल और गति के नियम के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप अपने साइंस सब्जेक्ट की तैयारी कर सकते है.

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बल और गति के नियम

किसी पिंड और वस्तु पर दवाब और खिंचाव बल कहलाता है.

हमारी दैनिक क्रियाओं जैसे दबाना, उठाना, तानना और ऐंठना में बल का प्रयोग किया जाता है.

मात्रक

♦ डायन से प्रदर्शित करते हैं.
♦ S.I पद्धति में मात्रक न्यूटन है.
♦ 1 U Wu ¾ 105 डायन है.
♦ पृथ्वी पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल 3.5x 1022 N है.

बल के प्रभाव

बल निम्नलिखित प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है.

♦ बल किसी स्थिर वस्तुओं को चला सकता है.
♦ बल किसी गतिशील पिंड को रोक सकता है.
♦ बल किसी गतिशील पिंड को चाल में परिवर्तन ला सकता है.
♦ बल किसी गतिशील पिंड की दिशा में परिवर्तन ला सकता है.
♦ बल किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन ला सकता है.

बल वह प्रभाव है जो स्थिर वस्तु को गति में लाने की या गतिमान वस्तु को रोकने की क्षमता रखता है या जो गतिमान वस्तु की चाल और दिशा में बदलाव लाने की क्षमता रखता है या फिर जो वस्तु की आकृति में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है.

न्यूटन के गति के नियम

न्यूटन का गति का प्रथम नियम

कोई विरामस्थ वस्तु, विराम अवस्था में बनी रहेगी और गतिमान वस्तु निरंतर एक समान चाल से सीधी रेखा में तब तक गतिमान रहेगी जब तक की उसकी विराम अवस्था अथवा एक समान गति की अवस्था में परिवर्तन के लिए बाहरी बल के द्वारा उसे बाध्य नहीं किया जाता है. प्रथम नियम को गैलेलियो का नियम या जडत्व का नियम भी कहते हैं.

उदाहरण

जब बस अचानक चल पड़ती है तो हमारे शरीर को पीछे की तरफ धक्का लगता है और जब बस अचानक रूकती है तो हमारे शरीर को आगे की तरफ धक्का लगता है. यह जडत्व के कारण होता है.
अचानक बस के चलने से हमारा निचला भाग तो बस के साथ चलने लगता है परंतु हमारे शरीर के ऊपरी भाग विराम अवस्था में होने के कारण पीछे ही रह जाता है और हमें झटका लगता है. चलती बस के अचानक रुकने से हमारे शरीर का निचला हिस्सा तो बस के साथ ही रुक जाता है लेकिन शरीर का ऊपरी भाग गति की अवस्था में ही रह जाता है जिसकी वजह से हम आगे की तरफ झटका महसूस करते हैं.

न्यूटन के प्रथम गति के नियम पर आधारित अन्य क्रिया

♦ पेड़ों को हिलाने से फल का गिरना
♦ चादर को झाड़ने से धुल का अलग हो जाना
♦ पैदल मारना बंद कर देने के बाद ही कुछ दूर तक साइकिल का चलना
♦ गीले कपड़ों को झाड़ने से पानी की बूंदों का झड़ना
♦ गोली मारने से कांच में गोल छेद हो जाता है जबकि पत्थर मारने पर कांच के टुकड़े हो जाते हैं.

संवेग

किसी पिंड या वस्तु के संवेग को, उसके द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के रुप में परिभाषित किया जाता है.
अत:

संवेग= द्रव्यमान x वेग
या, p=m x v
p= संवेग
m=वस्तु का द्रव्यमान
v=वस्तु का वेग
मात्रक= न्यूटन-सेकंड
संवेग का मात्रक किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड होता है.

न्यूटन के गति का दूसरा नियम

संवेग परिवर्तन की दर आरोपित बल के अनुक्रमानुपाती होती है और उसे दिशा में होती है जिसमें बल कार्य करता है.

F= m x a

यदि F=0 हो तो a=0 होगा क्योकि (m) द्रव्यमान सुनी नहीं हो सकता.

बल α संवेग में परिवर्तन/लिया गया समय

F α mv-mu/t

अतः वक्त पर प्रभाव डालने वाला बल, वस्तु के द्रव्यमान के बल प्रभाव से वस्तुओं में उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के समानुपाती है और त्वरण की दिशा में प्रभाव डालता है.

उदाहरण

एक क्रिकेट खिलाड़ी कैच लेने के लिए हाथ नीचे या पीछे ले जाता है और कभी भी गेंद को एकदम रोकने की कोशिश इसलिए नहीं करता क्योंकि गेंद का वेग अचानक ज्यादा से एकदम शून्य हो जाएगा और ऐसी स्थिति में गेंद का मन्दन बहुत अधिक होगा अतः ज्यादा मन्दन की वजह से हाथों पर अधिक बल पड़ेगा जिससे चोट लगने की संभावना होती है. जब खिलाड़ी अपने हाथों में थोड़ा पीछे ले जाएगा तो त्वरण थोड़ा कम हो जाता है और बल भी कम हो जाता है.

न्यूटन के गति का तीसरा नियम

जब कभी एक वस्तु किसी दूसरे वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाती है. प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया उसके क्रिया के बराबर या विपरीत होती है.

उदाहरण

♦ बंदूक से गोली, चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना.
♦ नाव के किनारे पर कूदने पर नाव के पीछे कि वह हट जाना.
♦ रॉकेट को उड़ाने में भी इसी नियम की सहायता ली जाती है.
♦ पैरों द्वारा जमीन पर बल लगाने एवं धरती के द्वारा लगाए जाने की वजह से हम चल पाते हैं.
♦ दमकल कर्मियों के दवारा काफी बल लगाकर पानी का पाइप पकड़ा जाता है क्योंकि वेग से बहता पानी पाइप को समान बल से पीछे से धकेलता है.
♦ जेट इंजन न्यूटन की गति के नियम पर आधारित है.

संवेग का सरंक्षण

गति के द्वितीय नियम के अनुसार गतिमान वस्तुओं में संवेग होता है जो द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के बराबर होता है. संवेग संरक्षण के नियमानुसार जब दो या दो से अधिक वस्तुओं एक दूसरे के ऊपर कार्य करती है तो उनका संपूर्ण संवेग स्थिर से बना रहता है. बशर्त कोई बाहरी बल कार्य न कर रहा हो.

उदाहरण

जब बंदूक से गोली छोड़ी जाती है तो गोली अत्यधिक वेग से आगे की ओर बढ़ती है जिस से गोली में आगे की दिशा में संवेग उत्पन्न होता है गोली बंदूक की प्रतिक्रिया बल के कारण पीछे की ओर धकेलती है जिससे उसमें पीछे की ओर संवेग उत्पन्न होता है, क्योंकि बंदूक का द्रव्यमान गोली से अधिक होता है अतः बंदूक को पीछे हटने का वेग में गोली के वेग से बहुत कम होता है. बंदूक चलाने वाला बंदूक को कंधे पर दबा कर रखता है ताकि बंदूक एवं शरीर एक हो जाए इस प्रकार द्रव्यमान बढ़ जाने से शरीर को बहुत अधिक धक्का नहीं लगता.

रॉकेट प्रणोदन

किसी राकेट की उड़ान शानदार उदाहरणों में से एक है जिनमें न्यूटन का तीसरा नियम या संवेग संरक्षण नियम स्वंय को अभिव्यक्त करता है. इसमें ईंधन के दहन से पैदा हुई गैस बाहर निकलती है और इसकी प्रतिक्रिया रॉकेट को आगे धकेलती है. यह एक ऐसा उदाहरण है जिसमें वस्तु का द्रव्यमान परिवर्तित होता रहता है क्योंकि राकेट से गैस निकलती रहती है.

कार्य

साधारण भाषा में शब्द कार्य का अर्थ, किसी भी प्रकार का शारीरिक व मानसिक कार्य है, लेकिन भौतिक में इसका केवल एक ही अर्थ होता है,
किसी पिंड को गति प्रदान करने में किया गया कार्य, पिंड के ऊपर लगाए गए बल और बल की दिशा में पिंड द्वारा चली गयी दूरी के गुणनफल के बराबर होता है.
कार्य का मात्रक न्यूटन मीटर है. जिसे Nm के रूप में भी लिखा जाता है. कार्य का SI मात्रक जुल है. कार्य एक अदिश राशि है.

तिर्यक कार्यरत बल के द्वारा किया गया कार्य

जब कोई बालक खिलौना कार को, उस से बंधे हुए पतली रस्सी से खींचता है तो ऐसी स्थितियों में किए गए कार्य की गणना करने के लिए हम सूत्र W= F x s का उपयोग नहीं कर सकते हैं. क्योंकि चली गई दूरी s, लगाए गए बल की दिशा में नहीं होती है.
वस्तु को खींचने में किया गया कार्य, बल के क्षैतिज अवयव और वस्तु द्वारा चली गयी दुरी के गुणनफल के बराबर होगा. एसे में बल F का क्षैतिज अवयव F cos Θ है और चली गई दुरी s है. अतः किया हुआ कार्य:
W=F cos Θ x s
F= बल हुआ बल
Θ= बल और गति की दिशा के बीच का कोण
s= चली गई दुरी

उर्जा

किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की उर्जा कहते हैं. उर्जा एक अदिश राशि है उर्जा का SI मात्रक जुल है. 1 जुल कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा 1 जुल ऊर्जा कहलाती है. 1 किलोजुल 1000 जुल के बराबर होता है.

उर्जा के विभिन्न रूप

♦ गतिज ऊर्जा
♦ स्थितिज ऊर्जा
♦ रासायनिक ऊर्जा
♦ ऊष्मा उर्जा
♦ प्रकाश ऊर्जा
♦ ध्वनि ऊर्जा
♦ विद्युत ऊर्जा
♦ नाभिकीय ऊर्जा

“गतिज ऊर्जा” और “स्थितिज ऊर्जा” के योग को यांत्रिक ऊर्जा भी कहते हैं.

गतिज ऊर्जा

वस्तु की उर्जा जो उसकी गति के कारण उत्पन्न होती है, गतिज ऊर्जा कहलाती है.

गतिज उर्जा= 1/2 mv2

♦ किसी वस्तु का द्रव्यमान दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाती है, साथ ही वस्तु का वेग दोगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा 4 गुना हो जाएगी.

स्थितिज उर्जा

वस्तु की उर्जा जो उसकी स्थिति अथवा आकृति में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है, स्थितिज ऊर्जा चलाती है.

♦ किसी वस्तु की स्थितिज और गतिज उर्जा के योग, उसकी यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है

कार्य-ऊर्जा परिमेय

किसी परिणामी बल द्वारा किसी वस्तु पर किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है. यदि वस्तु की गतिज ऊर्जा घटती है तो इस पर किया गया कार्य ॠणात्मक होता है.

शक्ति

कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं.

शक्ति= किया गया कार्य/लिया गया समय

शक्ति का SI मात्रक वाट है जिसे वैज्ञानिक जेंस वाट ने के सम्मान में रखा गया है. मशीनों की शक्ति को अश्व शक्ति में व्यक्त किया जाता है.
♦ अश्व शक्ति 746 वाट के बराबर होती है.

ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक

ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलो वाट घंटा है. विद्युत ऊर्जा का SI मात्रक जुल है.

जुल उर्जा की बहुत छोटी राशि को प्रदर्शित करता है. 1 किलो वाट घंटा विद्युत ऊर्जा की वह मात्रा है जिसे 1 किलो वाट की शक्ति rating  वाला विद्युत उपकरण 1 घंटे के लिए उपयोग करता है. एक किलोवाट बराबर होता है 3600,000 जुल के

ऊर्जा का रूपांतरण

ऊर्जा के एक रूप से दूसरे रूप के परिवर्तन को ऊर्जा का रूपांतरण कहा जाता है.

किसी वस्तु को जब ऊंचाई से छोड़ा जाता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे गतिज ऊर्जा में बदल जाती है. वस्तु को जब ऊपर की दिशा में फेंका जाता है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा धीरे-धीरे स्थितिज ऊर्जा में रुपांतरित हो जाती है इसी को ऊर्जा का रूपांतरण कहा जाता है.

ऊर्जा परिवर्तकों का उपयोग करना

हमारे दैनिक जीवन में हम अनेक उपकरणों का इस्तेमाल करके एक ऊर्जा के रूप को दूसरे रूप में बदलते हैं. जैसे

♦ डायनेमो का इस्तेमाल करके यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना.
♦ माइक्रोफोन का इस्तेमाल करके ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना.
♦ लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर के विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित करना.
♦ मोमबत्ती का इस्तेमाल कर के रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश और ऊष्मा ऊर्जा में बदलना.
♦ विद्युत सेल का इस्तेमाल करके रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना, ऊर्जा परिवर्तन के उदाहरण है.

अन्य उपयोग

विद्युत मोटर

मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देती है

जनरेटर

यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है

विद्युत इस्त्री

विद्युत इस्त्री विद्युत ऊर्जा को उष्मा में ऊर्जा में बदल देती है.

विद्युत बल्ब

विद्युत बल्ब विद्युत ऊर्जा को प्रकाश और ऊष्मा ऊर्जा में बदल देता है. विद्युत बल्ब में विद्युत ऊर्जा पहले उष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होती है उसके बाद में यह प्रकाश ऊर्जा में बदल जाती है.

रेडियो

रेडियो विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित करता है. रेडियो पहले विद्युत ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में और उसके बाद में ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

भाप इंजन

भाप इंजन उष्मा ऊर्जा को गतिज ऊर्जा (यांत्रिक ऊर्जा) में परिवर्तित करता है.

कार इंजन

कार इंजन, पेट्रोल यानी की रासायनिक उर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में और फिर गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

सेल

सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है.

गैस स्टोव

गैस स्टोव , कुकिंग गैस के रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलता है.

सौर जल ऊष्मक

सौर जल ऊष्मक प्रकाश ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलता है.

सौर सेल

सौर सेल प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

सौर ऊर्जा, ऊर्जा का एक अति विशाल स्त्रोत है. सूर्य के प्रति सेकंड 3.86 x 1026 ऊर्जा निकलती है. पृथ्वी पर सूर्य की उर्जा मुख्यत: विद्युत चुंबकीय तरंगों के रुप में पहुंचती है. सूर्य के मुख्य घटक हाइड्रोजन तथा हीलियम है जो नाभिकीय संलयन के कारण ऊर्जा प्रदान करते हैं.

ऊर्जा के संरक्षण का नियम

ऊर्जा को न है तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है. इसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है.

परिवर्तन के दौरान कुछ उर्जा बेकार हो सकती है परंतु निकाय की कुल ऊर्जा वही रहती है.

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