क्षेत्रमिति अंक गणित की वह शाखा, जिसमें आकृतियों की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई. पृष्ठों का क्षेत्रफल तथा ठोस वस्तुओं के आयतन का अध्ययन किया जाता है. क्षेत्रमिति से जुडी जानकारी – मैथ के सवाल
क्षेत्रमिति से जुडी जानकारी – मैथ के सवाल
क्षेत्रफल
किसी समतल आकृति द्वारा गिरा देने वाला स्थान या आकृति की सीमाओं के अंदर के धरातल (फर्श) का परिमाण उसका क्षेत्रफल कहलाता है. क्षेत्रफल का मात्रक वर्ग इकाई होता है.
भुजाओं के आधार पर त्रिभुज के प्रकार
भुजाओं के आधार पर त्रिभुज के तीन प्रकार होते हैं-
- समबाहु त्रिभुज
- समद्विबाहु त्रिभुज
- विषमबाहु त्रिभुज
समबाहु त्रिभुज
जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएं बराबर हो, उसे समबाहु त्रिभुज कहते हैं. समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60 डिग्री होता है.
समद्विबाहु त्रिभुज
जिस त्रिभुज की दो भुजाओं की लंबाई बराबर हो, उसे समद्विबाहु त्रिभुज कहते हैं. ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB और AC भुजाओं की लंबाईया बराबर है. A को शीर्ष तथा BC को इस समद्विबाहु त्रिभुज का आधार कहते हैं.
विषमबाहु त्रिभुज
जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएं समान लंबाई की हो, उसे विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं.
कोणों के आधार पर त्रिभुज के प्रकार
समकोण त्रिभुज
जिस त्रिभुज का एक कोण समकोण तथा 90 का हो, उसे समकोण त्रिभुज कहते हैं.
चतुर्भुज
चार भुजाओं से घिरे समतल क्षेत्र को चतुर्भुज कहते हैं. किसी भी चतुर्भुज में चार भुजाएं तथा चार कोण होते हैं. चतुर्भुज के चारों कोणों का योगफल चार समकोण अर्थात 360 डिग्री का होता है.
चतुर्भुज के प्रकार
- समांतर चतुर्भुज
- समचतुर्भुज
- समलंब चतुर्भुज
समांतर चतुर्भुज
चार भुजाओं से घिरी वह आकृति जिसमें आमने – सामने की भुजाएं बराबर व समांतर हो तथा कोई भी कोण समकोण न हो समांतर चतुर्भुज कहलाता है. इसमें सम्मुख कोण भी बराबर होते हैं.
समचतुर्भुज
चार भुजाओं से घीरी आकृति, जिसमें चारों भुजाएं बराबर हो, लेकिन एक भी कोण समकोण न हो, उसे समचतुर्भुज कहते हैं.
समलंब चतुर्भुज
चार भुजाओं से घिरी वह आकृति,जिसकी केवल दो भुजाएं समांतर है उसे समलंब चतुर्भुज कहते हैं.
आयत
चार भुजाओं से घिरी आकृति, जिसमें प्रमुख अर्थात है, आमने- सामने की भुजाएं समांतर और बराबर होती है तथा प्रत्येक कोण समकोण होता है, उसे आयत कहते हैं.
वर्ग
चार भुजाओं से घिरी वह आकृति जिसकी चारों भुजाएं बराबर हो तथा प्रत्येक पूर्ण संपूर्ण अर्थात 90 डिग्री हो, वर्ग कहलाता है.
वर्ग और वर्गमूल अभ्यास के लिए प्रश्न
वृत
किसी निश्चित बिंदु से किसी निश्चित दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिंदुपथ एक वृत्त कहलाता है.
बिंदुपथ का शाब्दिक अर्थ है बिंदुओं का रास्ता.
वृत से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं
वृत से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं इस प्रकार है-
- व्यास
- परिधि
- लघु तथा दीर्घ चाप
- अर्धवृत्त
- जीवा
व्यास
किसी वृत्त के व्यास की लंबाई कितनी होती है
परिधि
वृताकार गहरे के परिमाप को उस वृत्त की परिधि कहते है.
अर्धवृत्त
किसी वृत्त का कोई व्यास वृत को दो समान भागों में विभाजित करता है.वृत्त का प्रत्येक भाग अर्धवृत्त कहलाता है.
जीवा
वृत में किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा खंड को वृत्त की जीवा कहते हैं. वृत्त के केंद्र से जाने वाली जिवा, वृत का व्यास होती है. व्यास वृत्त की सबसे बड़ी जीवा कहलाती है.
सम अष्टभुज
छ: भुजाओं से घिरी वह आकृति, जिसमें सभी भुजाएं समान हो तथा केंद्र से सभी शीर्षों का दूरी, भुजा (a) के समान हो समअष्टभुज कहलाती है.
आयतन
कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है, उसे उस वस्तु का आयतन कहते हैं. आयतन को घन इकाई में मापा जाता है.
घन
छ: 6 पृष्ठों से घिरीब वह आकृति जिसमें प्रत्येक पृष्ठ 1 वर्ग होता है, और समूह पृष्ठ बराबर होते हैं, घन कहलाती है.
बेलन
किसी वृत्त की परिधि पर लंब रूप से हमेशा अपने ही समांतर किसी सरल रेखा के घूमने से जिस पिंड का निर्माण होता है, उसे संमव्रिताकार बेलन कहते हैं.
शंकु
कोई समकोण त्रिभुज अपने फिलम के चारों ओर घूम कर जिस दिन का निर्माण करें उसे लंबवृत्तीय या शंकु कहा जाता है.
गोला
ऐसी सतह से घिरी आकृति, जिस में सतह का प्रत्येक बिंदु एक स्थिर बिंदु से समान दूरी पर हो, गोला कहलाता है. स्थिर बिंदु को गोले का केंद्र और समान दूरी की त्रिज्या कहा जाता है.
अर्द्धगोला
यदि गोले के केंद्र से कोई सरल रेखा खींची जाए, तो गोला दो बराबर अर्द्धगोलो में विभाजित हो जाएगा., प्रत्येक भाग अर्धगोला कहलाएगा.
गोलीय कोष
गोलाकार सेल एक ऐसा खोखला गोला है जिसकी बाहरी और भीतरी दोनों ही गोलाकार है.इन दोनों दलों का केंद्र एक ही बिंदु होता है. माना O बाहरी और भीतरी गोले दोनों का केंद्र है तथा बाहरी गोले की त्रिज्या r और भीतरी गोले की त्रिज्या r हो, तो गोलाकार शैल का आयतन = 4* r(R3 – r3 )
प्रिज्म
प्रिज्म का आयतन= आधार का क्षेत्रफल x ऊंचाई
पृष्ठीय क्षेत्रफल ( यह सभी उर्दू पृष्ठों का क्षेत्रफल का योग है) = आधार का परिमाप x ऊंचाई
पिरामिड
वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 1\2 x आधार का परिमाप x तिर्यक ऊंचाई, संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल+ आधार का क्षेत्रफल, आयतन = 1\3 x आधार का क्षेत्रफल x ऊँचाई
आज इस आर्टिकल में हमने आपको क्षेत्रमिति से जुडी जानकारी – मैथ के सवाल, क्षेत्रमिति-अभ्यास प्रश्नावली, Math Tricks | क्षेत्रमिति Geometry, त्रिकोणमिति के सवाल हल करने के ट्रिक, के बारे में बताया है, अगर आपको इससे जुडी कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते है.