जैविक कारको, जैसे- सूक्ष्मजीवों, जंतु एवं पादप कोशिकाओं अथवा उनके अवयवों के नियंत्रित उपयोग से उपयोगी उत्पादक अथवा सेवाओं का उत्पादन जैव- प्रौद्योगिकी है.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी
आनुवंशिक अभियांत्रिकी में सोच-समझकर कुत्रिम विधियों द्वारा कोशिकाओं की आंतरिक संरचना का परिवर्तन किया जाता है. इसमें रीकोम्बीनेट DNA बनने के स्थानों में होता है. रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लियेज एंजाइम के द्वारा DNA को विशिष्ट स्थानों पर काटा जाता है, इसलिए इन्हें आणविक कैंची कहा जाता है. ऐसे पौधे, जीवाणु, कवक व जंतु जिनके हस्त कौशल द्वारा प्रवर्तित किए जा चुके हैं, अनुवांशिकता: रूपांतरित जीव कहलाते हैं.
कृषि के क्षेत्र में
जैव उर्वरक वायुमंडल की नाइट्रोजन को ग्रहण करके पौधों को प्रदान करते .हैं उदाहरण, रायजोबियम, एजोला, स्वतंत्र जीवाणु. पीडक प्रतिरोधी फसलें ऐसी फसलें हैं, जिनमें पीड़कनाशी को की मात्रा का कम प्रयोग होता है.
बिटी एक प्रकार का जीव विष है, जो एक जीवाणु से निर्मित होता है. बीटी जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करता है, जिस में कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं रह गई है. इस तरह जैव पिड्नाशको का निर्माण होता है ,जैसे- बीटी कपास, बीटी मक्का आदि. संगरोध विनियम में रोगमुक्त जीव के प्रवेश को रोकने हेतु जैविक उपायों का प्रयोग किया गया है.
चिकित्सा के क्षेत्र में
जैव प्रौद्योगिकी के द्वारा मानव इंसुलिन का उत्पादन किया जाता है. जिन्हें मधुमेह रोगियों को उपलब्ध कराया जाता है.
हाइब्रिडोमा तकनीक के द्वारा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उत्पादन किया जाता है. एम्नियोसेंटेसिस विकसित होते भूर्ण की जांच की विधि है. जिसके द्वारा शिशु के स्वास्थ्य की पूरी जानकारी एवं अन्य अनियमितताओं की जानकारी मिलती है.
जीन चिकित्सा
इसके द्वारा एक खराब जीन के स्थान पर सामान्य कार्यात्मक जीन प्रतिस्थापित की जाती है. जैसे- SCID रोगियों में एंजाइम एडीनोसीन डीएमिनेज के जीन में कमी के कारण कोई भी कार्यकारी T-लिंफोसाइट रुधिर में नहीं पाया जाता, इच्छित जीन चिकित्सा के द्वारा सुधारा जाता है,
उपचार की परंपरागत विधियों का प्रयोग करते हुए रोग का प्रारंभ में पता लगाना संभव नहीं है. पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी, पोलीमरेज़ श्रृंखला अभिक्रिया एंजाइम से सहलग्न प्रतिरक्षा शोषक आमापन कुछ ऐसी तकनीक है, जिनके द्वारा रोग की प्रारंभिक पहचान की जा सकती है.
ट्रांसजेनिक या परजीवी जंतु/पादप
ऐसे जंतु जिनके DNA में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यवस्थित होता है, जो अपना लक्ष्य व्यक्त करता है, उसे परजीवी जंतु कहते हैं. अनुवांशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ (GMF) जीवो से उत्पादित खाद्य पदार्थ है, जिनके DNA में अनुवांशिक अभियांत्रिकी जेनेटिक इंजीनियरिंग की विधियों का उपयोग कर विशेष परिवर्तन कर उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया गया है, जैसे- प्लावर सावर टमाटर क्लोनिंग वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा पैतृक जीव से सामान जीव या कलोन उत्पन्न किया जाता है. इस तकनीक के द्वारा एक कोशिका में गुणसूत्र मुक्त केंद्र को निकाल लिया जाता है तथा इसके केंद्रक रही थी अंडाणु में प्रतिस्थापित कर दिया जाता है. इसे पूर्ण विकसित अंडाणु को मां के गर्भ में आरोपित कर दिया जाता है.
स्टेम कोशिका
स्टेम कोशिका उत्तर एवं प्रत्येक अंक की आधार कोशिकाएं हैं, जो वृद्धि, विभाजन एवं निवेदन कर नए उत्साह एवं अंगों को उत्पन्न कर सकती है. यह भ्रूणीय स्तंभ कोशिका या परिपक्व स्तंभ कोशिका हो सकती है, यह क्षति ग्रस्त अंगों की मरम्मत में सहायक है.
मानव जीनोम परियोजना
मानव जीनोम परियोजना का मुख्य उद्देश्य मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाए जाने वाले डीएनए की सही रासायनिक श्रृंखला का पता लगाना है. यह विश्व का बड़ा, सबसे खर्चीला वह महत्वाकांक्षी जीव वैज्ञानिक कार्यक्रम है. इस का प्रारंभ वर्ष 1990 में किया गया, जिसमें भारत सहित 18 देशों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया. इस परियोजना का नेतृत्व करेगी वह फ्रांसिस कोलिंस ने किया.
DNA फिंगरप्रिंटिंग
अनुवांशिकी के अंतर्गत इस DNA टाइपिंग भी कहा जाता है. इसमें DNA के नाइट्रोजन सारों के अनुक्रम की पहचान कर उन्हें चित्रित किया जाता है, अर्थात DNA फिंगरप्रिंटिंग एक अत्याधुनिक जैविक तकनीक है. इस तकनीक को डॉ एलेक जैफ़्रिस द्वारा विकसित किया गया.
जैव इंधन
जैविक स्रोतों से प्राप्त इंधन को जैव इंधन कहते हैं. ये उन दिनों की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह नवीकरणीय होते हैं. यदि इनका ठीक तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो विकासशील देशों में ऊर्जा संकट का समुचित समाधान हो सकता है.
जैव पदार्थ
जैव पदार्थों से निम्नलिखित प्राप्त किए जा सकते हैं-
- उत्पादक गैस प्राप्त की जा सकती है जिस में सिचाई के पंप चलाई जा सकते हैं.
- अल्कोहल प्राप्त किया जा सकता है, जिसे पेट्रोल की जगह प्रयोग कर सकते हैं.
- बायो गैस प्राप्त की जा सकती है, जिसका उपयोग खाना पकाने, प्रकाश करने व विद्युत उत्पादन हेतु किया जा सकता है. जैव गैस या बायोगैस जो मात्रा की किण्वन से निकली गैस है.