प्रक्षेपणयान प्रौद्योगिकी
वर्ष 1972 में अंतरिक्ष विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग का गठन हुआ. मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (MCF) भारत में समस्त अंतरिक्ष यान प्रचालन केंद्र है. मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (MFC) का मुख्यालय कर्नाटक के आसन शहर में स्थित है. इसके अतिरिक्त इसरो द्वारा वर्ष 2005 में एक अन्य मुख्य नियंत्रण सुविधा भोपाल में स्थापित की गई है.
मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (MCF) मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी इसरो के उपग्रह नियंत्रण सुविधा है, इसकी स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी, इसका कार्य भारतीय उपग्रहों की निगरानी और नियंत्रण करना है.
पीएसएलवी(PSLV) के कार्य
- देश में पीएसएलवी का विकास 1400 किलोग्राम भारवर्ग तक के दूरसंवेदी उपग्रह को 900 किलोमीटर ऊंचाई तक की कक्षा में स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था.
- पीएसएलवी 14 चरणों वाला ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान है, जिसके प्रथम एवं द्वितीय चरण में ठोस प्रणोदक ( इंधन) तथा द्वितीय व चतुर्थ चरण में द्रव प्रणोदको का उपयोग किया जाता है.
- ठोस प्रणोदको के अंतर्गत हाइड्रोक्सील टर्मिनटेड पाली ब्यूटाडाईन (HTPB) ईंधन के रूप में तथा अमोनिया परक्लोरेट का ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
- द्रव प्रणोदको के रूप में असममित डाई मिथाइल हाइड्रोजन एवं N2O4 का प्रयोग किया जाता है, जो कमरे के ताप पर द्रवीभूत रहता है.
- चंद्रयान-1 को वर्ष 2008 में PSLU-XL से भेजा गया था.
एसएलवी-3
- 18 जुलाई, 1980 को SLV-3 के सफल परीक्षण ने भारत को अंतरिक्ष क्लब का छठा सदस्य बना दिया.
- SLV- 3- एक चार चरणों वाला साधारण क्षमता का उपग्रह प्रक्षेपण यान था जो 40 किलोग्राम भारवर्ग के उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर सकता था. इसका इंधन ( प्रणोदक) ठोस था.
- SLV-3- की चतुर्थ उड़ान द्वारा रोहिणी आर एस डी-2 को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया. ( 1983 में)
जीएसएलवी
- GSLV एक शक्तिशाली तीन चरणों वाला भूस्थिर या भू तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान है, जो 50 मीटर लंबा और 414 टन भार उठाने की क्षमता से युक्त है.
- जीएसएलवी प्रथम उड़ान सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से अप्रैल, 2001 को 15 से 40 किलोग्राम के जीसेट-1 को प्रसारित करने के द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न की CR उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है, हालांकि GSLV-D-3, GSLV-FO6 मिशन को सफलतापूर्वक संपन्न नहीं कर सका. GSLV के प्रथम चरण में ठोस प्रणोदक, द्वितीय चरण में द्रव प्रणोदक तथा तृतीय चरण में कार्योंजैनिक इंजन का उपयोग किया गया है.
- साइंस फिक्शन लेखक आर्थर सी. क्लार्क ने भू- तुल्यकालिक कक्षा में संचार उपग्रह स्थापित करने की संभावना सबसे पहले व्यक्त की.भू- तुल्यकालिक करीब 36000 किलोमीटर ( 35786 किलोमीटर) ऊंचाई पर स्थित है.
- उपग्रह पृथ्वी से हमेशा एक ही निश्चित स्थान पर दिखाई देगा. यह भूमध्य रेखा पर स्थित है और घूर्णन की दिशा ( पश्चिम से पूर्व) पृथ्वी के घूर्णन के समान होगी.
- भू- स्थिर कक्षा पृथ्वी से 35,786 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित उस कक्षा को कहा जाता है, जहां से कोई उपग्रह पृथ्वी पर लगातार नजर रख सकता है, यह रेखा भूमध्य रेखा पर स्थित एवं उपग्रह का घूर्णन पृथ्वी के घूर्णन के समान होगी.
जीएसएलवीएमएम के- III
जीएसएलवीएम के III भारत की भावी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है, जिस की परिकल्पना का टन भार वाले वर्ग के उपग्रह को भू- तुल्यकालीक के हस्तांतरण कक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए की गई है.