आर एच व्हिटेकर(1969) ने जीव-जगत का वर्गीकरण कर पांच जगतों में बाँटा.
- मोनेरा
- प्रोटिस्टा
- कवक
- पादप जगत
- जंतु जगत
जीव विज्ञान और इसके शाखाएं के जनक
मोनेरा
इस जगत की जीवों में संगठित केंद्र तथा कोशिकांगों का अभाव होता है. उदाहरण- जीवाणु, नील-हरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा.
प्रोटिस्टा
इसमें एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीव रखे गए हैं. उदाहरण एककोशिकीय शैवाल, प्रोटोजोआ, डायटम आदि.
कवक
यह विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव है, इनकी कोशिका भित्ति काईटिन की बनी होती है. इनका शरीर कवक तत्व का बना होता है. उदाहरण यीस्ट, मशरूम, पेनिसिलियम.
पादप जगत
इस जगत में सेल्यूलोस की कोशिका भित्तियुक्त बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव रखे गए हैं. इस जगत के थैलोफाइटा (शैवाल), ब्रायोफाइटा, अनावृतबीजी तथा आवृत्तबीजी में बांटा गया है.
जंतु जगत
इस जगत में यूकेरियोटिक, बहुकोशिकीय और विषमपोषी जीवों को रखा गया है. इनकी कोशिकाओं में कोशिका भित्ति का अभाव होता है इसे अकशेरुकी तथा कशेरुकी में बांटा गया है.
कैरोलस लीनियस- ने द्विनाम नामकरण पद्धति को प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार किसी भी जीव का वैज्ञानिक नाम, वंशतथा जाती से मिलकर बना होता है.
लिनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा में नैचुरी में जीवधारियों को पादप तथा जन्तु जगत में बांटा, इसलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता कहा जाता है.