यहाँ पर हम आपको नखासपिंड आंदोलन का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है जो आपको एग्जाम में हेल्प करेंगे.
More Important Article
- वर्ग तथा वर्गमूल से जुडी जानकारी
- भारत के प्रमुख झील, नदी, जलप्रपात और मिट्टी के बारे में जानकारी
- भारतीय जल, वायु और रेल परिवहन के बारे में जानकारी
- बौद्ध धर्म और महात्मा बुद्ध से जुडी जानकारी
- विश्व में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- भारत में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- Important Question and Answer For Exam Preparation
नखासपिंड आंदोलन का इतिहास
नखासपिंड आंदोलन का योगदान विशेष रूप से सविनय अवज्ञा आंदोलन के दिनों में नमक कानून भंग करने में रहा है.
नखासपिंड नामक स्थान पटना जिले में है जिसे नमक कानून भंग करने के लिए चुना गया था.
पटना में 16 से 21 अप्रैल, 1930 के बीच नखासपिंड चलो का नारा गूंजा करता था. यहां के लोगों ने महात्मा गांधी के आह्वान पर नमक सत्याग्रह चलाते रहने का दृढ़ संकल्प लिया और पुलिस के जुल्म के आगे कभी नहीं झुके.
16 अप्रैल 1930 को सर्चलाइट के मैनेजर और पटना नगर कांग्रेस कमेटी के सचिव अंबिका कांत सिंह के नेतृत्व में लोगों का एक जत्था पटना के नखासपिंडा नामक स्थान की और नमक कानून भंग करने के लिए चला.
परंतु पुलिस द्वारा इसे रास्ते में ही रोककर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया. इससे लोगों में उत्तेजना फैल गई और पुलिस से उनका संघर्ष हुआ. इसी बीच दूसरी तरफ से कुछ जत्थे नखासपिंड पहुंच गए और नमक बनाकर नमक कानून भंग किया. इस आंदोलन में बिहार के अनेक प्रमुख नेताओं ने भाग लिया था, जिसमें प्रमुख है- प्रों अब्दुल बारी, राजेंद्र प्रसाद, आचार्य जे बी कृपलानी आदि.