भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी

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वर्ष 1958 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की स्थापना की गई थी. उद्देश्य शिक्षा में अनुसंधान एवं विकास करना है. डी.आर.डी.ओ का मुख्यालय दिल्ली में है एवं इसके महानिदेशक, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होते हैं. DRDO के अंतर्गत, एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशाला के मुख्यालय की स्थापना चंडीगढ़ में वर्ष 1961 में की गई. 1958 भारत में समेकित विकास कार्यक्रम आरंभ किया गया. इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न पर एक प्रेक्षपात्र विकसित किए गए.

पृथ्वी

1998 में जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया.  इसकी अधिकतम क्षमता 350 कि.मी. है.

अग्नि

यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है. अग्नि प्रिक्सपात्र कि पांच श्रेणियां है.- अग्नि I ,  अग्नि II , एवं अग्नि III, IV, V. इसकी अधिकतम मारक क्षमता 5000 कि.मी. से अधिक तक है.

त्रिशूल

यह कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले प्रेक्षपात्र की इसकी अधिकतम मारक क्षमता 9 किलोमीटर है .

आकाश

यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का प्रेक्षपात्र है. इसके एकदम मारक क्षमता 25 किलोमीटर है.

नाग

यह टेकरोधी निर्देशित प्रेक्षपात्र है, इसकी अधिकतम मारक दुरी 4-9 किमी है.

ब्रहोस

यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला माध्यम दूरी का सुपरसेनिक क्रूज प्रक्षेपास्त्र है.

सागरिका

सागरिका मिसाइल समुंदर के अंदर से थोड़ी जाने वाली मिसाइल है. इसका विकास विशेष रूप से परमाणु ईंधन 40 पनडुब्बी से जुड़े जाने हेतु किया जा रहा है. यह भारत की प्रथम परमाणु शक्ति संपन्न बैलेस्टिक मिसाइल है.

अर्जुन

अर्जुन एक युद्ध टैंक है, विश्व की अधिकतम गति 70 किमी प्रति घंटा है.

पिनाका

यह मल्टी बैरल रॉकेट लांचर है, जिसका नाम भगवान शंकर के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है. यह 40 सेकंड में 100-100 किलोग्राम के 12 रॉकेट एक के बाद एक 39 किमी तक प्रक्षेपित कर सकता है.

धुर्व

यह एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर है, जो अधिकतम 245 कि.मी. प्रति घंटा की गति से उड़ान भर सकता है.

तेजस

यह भारत में निर्मित प्रथम मलक्का लड़ाकू विमान है. इसमें जी ई 404 अमेरिकी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक का इंजन लगा है, जिस के स्थान पर जल ही स्वदेश निर्मित कावेरी इंजन लगाया जाएगा.

अस्त्र

यह मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला प्रथम प्रक्षेपास्त्र है. इसकी अधिकतम मार्क क्षमता 80 किमी है.

धनुष

यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है एवं पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक रूपांतरण है. इसकी अधिकतम मारक क्षमता 350 किमी है.

एच टी सी – 40

स्वदेशी तकनीक से विकसित देश के पहले बेसिक पर ऐंद्र विमान (BTC 40) ने 17 जून 2016 को बेंगलुरु से उड़ान भरी. विमान की डिजाइन एवं निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है. एच टी टी – 40 टेडम सीट वाला विमान है. जिसमें 950 हॉर्स पावर का टर्बो प्रोप इंजन लगा है.

आई.एन.एस. अरिहंत

यह भारत में निर्मित, प्रथम परमाणु ऊर्जा चलित पनडुब्बी है. 6000 टन की पनडुब्बी का निर्माण एडवांस टेक्नोलॉजी वेतन प्रोजेक्ट के अंतर्गत से विशाखापत्तनम में किया गया है.

आई एंन एस विक्रमादित्य

यह कवि-वर्ग का विमान वाहक युद्धपोत है, जिसे भारत ने रूस से खरीदा है. इसे नवंबर, 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है.

आई एन एस विक्रांत

यह भारत में निर्माणाधिन प्रथम विमान वाहक युद्धपोत है, इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. वर्ष 2018 तक, इसके भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है.

आई एन एस विशाखापट्टनम

यह भारत का अब तक का सबसे विध्वंसक युद्धपोत है. 20 अप्रैल 2018 को मुंबई में इसका जलवातरण किया गया.

आई एम एस वज्रकोष

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 9 सितंबर 2015 को कारवार ( कर्नाटक) नौसेना का नया स्टेशन समर्पित किया. इसके शामिल होने से भारतीय नौसेना की सुरक्षात्मक एवं आक्रामक में वृद्धि होगी.

आई एन एस- कलवरी

स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी का 1 मई 2016 को पहली बार समुद्री परीक्षण किया गया. यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित भारत स्कार्पीन श्रेणी की पहली स्टेल्थ पनडुब्बी है. इस श्रेणी की पनडुब्बियों का विकास प्रोजेक्ट क्षेत्र के अंतर्गत किया जा रहा है. कलवरी पनडुब्बी को टाइगर सार्क भी कहा जाता है.

आई एन एस कदमत

यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित है, जिसका 7 जनवरी 2016 को जलावरण किया गया. यह पोत-28 (पि-28) के अंतर्गत दूसरी पनडुब्बी रोधी सिस्टम जैसी समस्या से युक्त तथा जैविक व रासायनिक युद्ध के हालात के हालात से निपटने  योग्य है.

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