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अनुवांशिकता एवं जैव विकास से जुड़े सवाल

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लैगिक जनन करने वाले जीवो में विभिन्नताओं के अधिक अवसर क्यों होते हैं?

लैगिक जनन नर व मादा युग्मकों के बनने व उनके संयोग से होता है। लेकिन जनन में विभिन्नताओं के अधिक अवसर होने के निम्नलिखित कारण है-

  1. संतति मे विभिन्नताएँ DNA की प्रतिकृति बनते समय होने वाली त्रुटियों के कारण आ सकती है। प्रतिकृति बनते समय इनका त्रुटि रहित बनना संभव है। यही विभिन्नताएं उत्पन्न होने का एक कारण है। ‘
  2. लैगिक जनन में युम्गकों का संलयन पूर्व नियोजित नहीं होता अर्थात से कौन सा युग्मक किस अन्य युग्मक से सलयन करता है, यह अवसर पर निर्भर करता है और विभिन्नताओं को जन्म देने का यह भी ठोस कारण है।

किसी स्पीशीज में विभिन्नताएँ किस प्रकार एकत्रित होती है?

  • लैगिक जनन तथा DNA प्रतिकृति के समय अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है।
  • विभिन्न विभिन्नताओं के भिन्न-भिन्न लाभ होते हैं। कुछ विभिन्नताएँ निश्चित तौर पर अन्य विभिन्नताओं से जीवित रहने के लिए अधिक लाभदायक या उपयोगी होती है। लाभदायक विभिन्नताएँ जीवो में बनी रहती है जबकि कम लाभदायक विभिन्नताएँ कुछ समय बाद नष्ट हो जाती है।
  • इन विभिन्नताओं को पर्यावरण द्वारा चयनित किया जाता है अर्थात जो विभिन्नताएँ  पर्यावरण के अनुकूल होती है उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी वंशागति होती रहती है।

मेंडल ने मटर के पौधे में किन विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया? एक सूची बनाएं।

पौधों की लंबाई/ऊंचाई लंबा या बोना पौधा
फली का आकार और आकृति छोटा/बढ़ा, फूला हुआ या झुर्रीदार
बीजों का रंग पीला या हरा
बीजों की आकृति गोली या झुर्रीदार
फूल की स्थिति शीर्ष या Eएक्जिल मे
फूल का रंग सफेद, नीला या पीला।
बिना पकी फली का रंग हरा या पीला

मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे को ही क्यों चुना?

  • इसमें अनेक विकल्पी लक्षण होते हैं।
  • इस पौधे में स्वपरागण तथा पर-परागण को आसानी से करवाया जा सकता है।
  • इसे उगाना तथा इसका रख रखाव करना आसान है।
  • इसका जीवन काल (समय) कम होता है इसलिए अनेक पीढ़ियों का अध्ययन कम समय में किया जा सकता है।

शुद्ध तथा संकर पौधे कौन से होते हैं?

शुद्ध पौधे- किसी पौधे को शुद्ध तब कहा जाता है जब वह किसी लक्षण विशेष के लिए शुद्ध प्रजनन करता है।

उदाहरण के लिए-

  • कोई पौधा केवल लंबेपन के लिए तभी शुद्ध प्रजनन करता है जब इसमें जीन केवल लंबेपन के लिए हो और पौधे में स्व परागण करवाएं।
  • पौधा केवल तभी बौने पौधे उत्पन्न करता है जब उसमें उपस्थित जीन केवल बोनेपन के लिए है।

संकर पौधा- यदि किसी पौधे में किसी लक्षण विशेष के लिए विभिन्न जीनी विकल्प है तो इसे हम संकर पौधा कहते हैं।

उदाहरण के लिए-

मटर के पौधे में यदि जीन प्रारूप Tt है, तो स्वप्रांगण में यह दोनों लंबे तथा बौने पौधे को जन्म देगा।

मटर के पौधे में प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों की सूची बनाएं।

प्रभावी लक्षण अप्रभावी लक्षण
लंबापन  बौनापन
पीले बीज हरे बीज
गोल बीज झुर्रीदार बीज
फूले हुए बीज झुर्रीदार बीज
हरी फलियां पीली फलिया
एक्जिलरी फूल शीर्ष फूल
लाल फूल सफेद फूल

मेंडल की सफलता के कारणों की सूची बनाएं।

  • मटर की अनेक शुद्ध किस्में उपलब्ध थी।
  • उसने एक समय में केवल एक ही लक्षण की अनुवांशिकता का अध्ययन किया।
  • उसने निकाले गए परिणामों को रिकॉर्ड किया तथा निष्कर्ष निकालने के लिए उसे संभाल कर रखा।
  • उसने जीन कारकों (जीनों) का अध्ययन किया वे सभी अलग-अलग गुण सूत्रों पर उपस्थित थे। यद्यपि यह एक अवसर ही था कि उनमें से कोई भी कारक संबंधित नहीं थे।

जीवों में डी. एन. ए. विभिन्न लक्षणों की अभिव्यक्ति को किस प्रकार नियंत्रित करते हैं? समझाइए।

कोशिका के DNA में प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना-स्रोत के रूप में जीन कार्य करते हैं। यह जीन जीवो में उन हार्मोन के उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं जो जीवो में लक्षणों को अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए पौधे की लंबाई या बोने पन का गुण इन हार्मोन की मात्रा व दक्षता पर निर्भर करते हैं। मादा हार्मोन पर्याप्त मात्रा में बनता है तो पौधा लंबा होगा, यदि कम मात्रा में बनता है तो पौधा बना रहेगा।

समयुग्मी तथा विषमयुग्मी जीवो में अंतर करें।

समयुग्मी विषमयुग्मी
विकल्प (जीन) समान होते हैं जैसे TT  या tt.
विकल्प असमान होते हैं जैसे Tt
यह केवल एक ही प्रकार के युग्मक में उत्पन्न करते हैं. यह दो प्रकार के युग्मक उत्पन्न करते हैं, इसलिए उन्हें विषमयुग्मी कहते हैं।
यह किसी लक्षण के लिए शुद्ध प्रजनन करते हैं। यह किसी लक्षण के लिए शुद्ध प्रजनन नहीं करते।

एक संकरण क्रॉस तथा द्विसंकरण क्रॉस के बीच अंतर दें।

एक संकरण क्रॉस- एक क्रॉस जिसके अंतर्गत केवल एक ही लक्षण कि वशानुगति/अनुवांशिकता का अध्ययन किया जाता है, एक सकरण क्रॉस कहलाती है।

उदाहरण- मटर के पौधे में लंबाई/ऊंचाई के लक्षण की अनुवांशिकता के लिए एक लंबे व एक बौने पौधे के बीच संकरण क्रिया करावाना।

द्विसंकरण क्रोस-  एक क्रॉस जिसमें किन्ही दो लक्षणों की अनुवांशिकता का अध्ययन एक साथ किया जाए।

उदाहरण- मटर के पौधे के बीजों के रंग व आकृति की अनुवांशिकता का अध्ययन करना-  एक मटर के पौधे जिसमें पीले व गोल बीज बनते हैं, के साथ दूसरे मटर के पौधे जिसमें हरे व झुर्रीदार बीज बनते हैं, का संकरण करवाना।

लिंग गुणसूत्रों तथा अलिंग गुणसूत्रों के बीच अंतर बताएं।

लिंग गुणसूत्र अलिंग गुणसूत्र
गुणसूत्र जो लिंग निर्धारण से संबंधित है, लिंग गुणसूत्र कहलाते हैं। गुणसूत्र दो लिंग निर्धारण से संबंध नहीं रखते, उन्हें अलिंग गुणसूत्र कहते हैं।
मनुष्य में केवल दो लिंग गुणसूत्र होते हैं। मनुष्य में 44 अलिंग गुणसूत्र होते हैं।
मानव नर में XY  तथा मानव मादा में XX  लिंग गुणसूत्र होते हैं। इन गुणसूत्रों को 1 से 22 तक की संख्या दी गई है।

मेंडल द्वारा आनुवंशिकता के विषय में प्रतिपादित नियमों को परिभाषित करें।

इकाई कारक का नियम- प्रत्येक लक्षण को निर्धारित करने वाले दो कारक होते हैं।

प्रभावित का नियम- परिस्थितियों में 2 में से केवल एक  कारक ही स्वयं को प्रकट/प्रदर्शित करता है। जोक आरक्षण को प्रदर्शित करता है, उसे प्रभावी कारक तथा दूसरे को अप्रभावी कर कहते हैं।

पृथक्करण का नियम- इस नियम के अनुसार युग्मक बनते समय दोनों कारक एक से दूसरे पृथक/अलग हो जाते हैं तथा अलग-अलग युग्मक में प्रवेश करते हैं। इसका अर्थ यह है कि युग्मक किसी भी लक्षण के लिए शुद्ध होते हैं।

स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम- इस नियम के अनुसार विभिन्न लक्षणों के कारक एक दूसरे स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ।

मेंडल के कारक तथा गुण सूत्रों के बीच समानताएं बताइए,.

  • दोनों ही निश्चित भौतिक सरचनाएं हैं।
  • दोनों युग्म के रूप में पाई जाती है।
  • दोनों युग्मक बनते समय पृथक होती है।
  • निषेचन के समय युग्म अवस्था दोबारा से प्राप्त कर ली जाती है।

कारक क्या होते हैं? वे जीनों व गुणसूत्रों से किस प्रकार संबंधित है?

मेंडल के अनुसार कुछ निश्चित है, भौतिकी  इकाइयां होती है। जो लक्षणों का निर्धारण करती है। मंडल ने इन विशिष्ट इकाइयों को कारक नाम दिया है। उसके अनुसार प्रत्येक लक्षण निर्धारण करने वाले दो कारक होते हैं।

मेंडल ने जिन कारकों की धारणा प्रस्तुत की थी आज उन्हें जीन कहा जाता है। जीन समजात गुणसूत्रो में जोड़ों के रूप में होते हैं।

जीन, गुणसूत्र तथा (मेंडल के) कारक जोड़े के रूप में विद्यमान रहते हैं।

उपार्जित तथा अनुवांशिक लक्षणों में अंतर करें।

उपार्जित लक्षण अनुवांशिक लक्षण
वे लक्षण जो कोई जीव अपने जीवन काल (जन्म बाद) के दौरान ग्रहण करता है, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। वे लक्षण जो कोई जीव अपने माता-पिता से ग्रहण करता है, उन्हें अनुवांशिक लक्षण कहते हैं।
इनका कोई अनुवांशिक आधार हो भी सकता है और नहीं भी। इनका एक निश्चित अनुवांशिक आधार होता है।
यह अगली पीढ़ी में स्थानांतरित नहीं होते हैं। यह अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।
ये पर्यावरण द्वारा प्रभावित होते हैं। यह पर्यावरण द्वारा प्रभावित हो भी सकते हैं और नहीं भी।

उपार्जित लक्षणों को वंशागत नहीं होते, उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उपार्जित लक्षण जीवो के जीवनकाल के दौरान किए जाते हैं। अत: उपार्जित लक्षण केवल कायिक उतकों में हुए परिवर्तन के फलस्वरूप अर्जित होते हैं और यही कारण है कि यह परिवर्तन लैंगिक कोशिकाओं के DNA  में प्रवेश न करने के कारण वंशानुगत नहीं होते और यह जीव विकास के क्रम में भी नहीं आते।

उदाहरण- पुंछ वाले चूहों की संतान पूछ वाली ही होती है। यदि इन चूहों की पूंछ लगातार कई पीढ़ियों तक काटते रहे तो इनकी संतति  कदापि पूछविहीन वाली नहीं होगी क्योंकि पूंछ कटने पर जनन कोशिकाओं के जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्राकृतिक वरण के द्वारा  स्पीशीज की उत्पत्ती के सिद्धांत का संक्षिप्त वर्णन करें।

प्राकृतिक वरण के विषय में डार्विन के विचार उसके विभिन्न द्वीपों के संबंध में अवलोकन पर आधारित है।

  • जीव अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक संतान उत्पत्ति करते हैं, लेकिन उनमें से सभी जीव जीवित नहीं रह पाते।
  • प्राकृतिक आपदाएं, जैसे युद्ध, अकाल, रोग आदि ऐसे प्रमुख कारक है जो उनकी जनसंख्या वृद्धि को रोकते हैं।
  • अधिक जनसंख्या बढ़ने के कारण जीव भोजन, स्थान, जीवनसाथी आदि के लिए संघर्ष करते हैं।
  • इस संघर्ष में केवल वही जीव जीवित रहते हैं जिनमें उपयोगी विभिन्नताएं होती है और दूसरे मर जाते हैं।
  • उपयोगी विभिन्नताएँ अगली पीढ़ी में वंशानुगत होती है।
  • विभिन्नताएँ जो लंबे समय तक इकट्ठी होती रहती है। एक नई स्पीशीज़ की उत्पत्ति को जन्म देती है।

कायिक तथा जलन विभिन्ताओं के बीच अंतर करें।

कायिक विभिन्नताएं जनन विभिन्नताएँ
विभिन्नताएं जो शरीर की कई की कोशिकाओं में उत्पन्न होती है, उन्हें कायिक विभिन्नताएं कहते हैं। विभिन्नताएं जो जनन कोशिकाओं में उत्पन्न होती है, जनन विभिन्नताएं कहलाती है।
यह अधिकतर पर्यावरणीय प्रभाव के कारण से होती है। यह जीनों/DNAमें कुछ परिवर्तनों के कारण से होती है।
यह लैंगिक जनन में संतति में वंशानुगत नहीं होती है। यह सन्तति में वंशानुगत होती है।

उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धांत के महत्वपूर्ण  लक्षणों की सूची बनाइए। उस वैज्ञानिक का नाम दे जिसने इस सिद्धांत का जोरदार खंडन किया।

अंगों का प्रयोग तथा अप्रयोग

अंग जिनका हम लगातार प्रयोग करते हैं, अधिक विकसित होते हैं (उन अंगों की अपेक्षा जिनका हम कम प्रयोग करते हैं)

पर्यावरणीय प्रभाव

  • पर्यावरणीय कारक विभिन्नताएँ उत्पन्न करते हैं।
  • यह विभिन्नताएं संतति में स्थानांतरित होती है तथा लंबे समय के पश्चात एक नई स्पीशीज़ को जन्म देती है।

औगस्त वायसमान, एक जर्मन जीव वैज्ञानिक ने लैमार्क के सिद्धांत का जोरदार खंडन किया।

कौन सी विभिन्नताएं अगली पीढ़ी में स्थानांतरित नहीं होती है और क्यों?

कायिक विभिन्नताएं अगली पीढ़ी में स्थानांतरित नहीं होती, क्योंकि लैगिक जनन में कायिक कोशिकाओं की कोई भूमिका नहीं होती।

जनन विभिन्नताएं क्योंकि जनन कोशिकाओं को प्रभावित करती है, इसलिए भी अगली पीढ़ी में स्थानांतरित नहीं होती है।

डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद के सिद्धांत  में क्या कमियां हैं?

  • डार्विन विभिन्नताओं के कारणों का वर्णन नहीं कर पाए।
  • उसके अनुसार केवल लाभदायक विभिन्नताएं की अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। जबकि वास्तव में सभी प्रकार की जनन विभिन्नताएं संतति में स्थानांतरित होती है।
  • वह निरंतर तथा निरंतर विभिन्नताओं का वर्णन नहीं कर सका।
  • पीढ़ी दर पीढ़ी वह अवशेषी अंगों की उपयोगिता का वर्णन नहीं कर सका।

आनुवंशिक विचलन का क्या अर्थ है? ऐसा किस प्रकार होता है तथा इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

इसका अर्थ है जनसंख्या के किसी भाग से कुछ विशेष है जीनों का लुप्त हो जाना।

कारण-

  • जनसंख्या के प्रवास के कारण,
  • प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के कारण जनसंख्या की मृत्यु हो जाना।

प्रभाव

  • इससे शेष बची जनसंख्या से जीनों की आवर्ती बदल जाती है।
  • यह अनुकूलन के बिना विविधता प्रदान करती है।
  • इसमें जाति उद्भव होता है।

जैव-विकास वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक है?

जैव-विकास पर आधारित वर्गीकरण को जातिवृत्त वर्गीकरण कहते हैं। यह से ट्रेड/पैटर्न को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। जैव विकास की प्रक्रिया को समझते हुए हमें पता चलता है कि किस प्रकार के जीव अन्य किस प्रकार के जीवो से विकसित हुए हैं। जीव जीन के पूर्वज निकट भविष्य में एक ही रहे हैं उन्हें इकट्ठा रखा जा सकता है क्योंकि उनके गुणों में उनेक गुणों समानताएं होती है। जीव जो जैव-विकास के विभिन्न पैटर्न प्रस्तुत करते हैं, उन्हें अलग ग्रुप में रखा जाता है क्योंकि उनके गुणों में बहुत अधिक विभिन्नताएं होती है।

अभिलक्षण किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।

किसी जीव की बाह्रा आकृति अथवा व्यवहार का विवरण अभिलक्षण कहलाता है। दूसरे शब्दों में विशेष स्वरुप अथवा विशेष प्रकार्य अभिलक्षण कहलाता है।

उदाहरण- हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की अभिक्रिया, कोशिका में केंद्रक का होना, जीवाणु कोशिका में केंद्रक का न होना आदि अभिलक्षण के उदाहरण है।

समजात तथा समवर्ती अंगों के बीच अंतर बताएं।

समजात अंग समवर्ती अंग
ये वे अंग है जीन की उत्पत्ति समान होती है। यह वे अंग है जीन की उत्पत्ति भिन्न होती है।
इनकी मूल सरचना एक दूसरे के समान होती है। इनकी मूल सरचना भिन्न होती है
उदाहरण– मनुष्य की बाजू तथा चिपकली के अग्रपाद उदाहरण– किडजी अपंगता पक्षियों के पंख
पक्षियों के पंख है तथा मेंढक के अगर पाद। चमगादड़ के पंख तथा पक्षी के पंख है।

हम यह कैसे जान पाते हैं कि जीवाशम कितने पुराने हैं?

जीवाशम का बनना- जब जो मरते हैं उनके शरीर का अपघटन हो जाता है और वह समाप्त हो जाते हैं। लेकिन उनके शरीर के कुछ भाग पूर्ण रूप से अपघटित नहीं होते तथा संरक्षित हो जाते हैं। सजीवों के यह संरक्षित भाग जीवाशम कहलाते हैं।

उदाहरण- यदि कोई कीट गर्म कीचड़ में पकड़ा जाता है तो यह शीघ्रता से अपघटित नहीं होता। जब मिट्टी (कीचड़) सा कठोर हो जाता है तो उसके शरीर के अंगों की छाप उस पर बन जाती है।  इस प्रकार की छाप को जीवाशम कहते हैं।

आप किस प्रकार कह सकते हैं कि सरीसृप तथा पक्षी एक दूसरे से निकट रूप से संबंधित है?

  • दोनों पक्षी तथा सरीसृप कशरूकी है।
  • दोनों के शरीर पर पंख होते हैं।
  • जीवाशम  रिकॉर्ड दर्शाता है कि सरीसृपो के भी पर तथा पंख होते हैं।

पौधों में कृत्रिम चयन के चार उदाहरण बताएं।

  • गोभी (पता) का विकास/चयन जिनके पत्तों के बीच बहुत ही कम स्थान होता।
  • फूल गोभी का विकास/चयन जिसमें स्टेराइल फूल होते हैं।
  • ब्रोकोली का चयन जिसमें फूलों का विकास रूका हुआ होता है।
  • गांठ गोभी का चयन फुले हुए भागों के लिए।
  • केल का चुनाव पत्तेदार सब्जी के रूप में जिसके पत्ते थोड़े से बड़े होते हैं।

अवशेषी अंग क्या है? दो उदाहरण दो।

कुछ पौधों और जंतुओं में ऐसे अंग पाए जाते हैं जो कार्यविहीन और अवशेषों के रूप में पाए जाते हैं, इन्हें अवशेषी अंग कहते हैं। अवशेषी अंगों का वर्तमान मे जीवो के लिए कोई विशेष योगदान नहीं होता, बल्कि के अतिरिक्त अंगों के समान होते हैं, परंतु यही अंग किसी समय जीवो में क्रियाशील होते थे,  जैसे मनुष्य में कृमिरूप परिशेसिक, मनुष्य का निषेचक पटल, अनूत्रिक, बाह्राकान की पेशियां, पूछ केशुरूक आदि।

जीवाश्म की आयु का अनुमान किस प्रकार लगाया जाता है?

जीवाश्म की आयु का अनुमान दो विधियों द्वारा लगाया जाता है-

  1. पृथ्वी की विभिन्न परती में जीवाश्म की तुलनात्मक स्थिति यदि जीवाशम पृथ्वी की ऊपरी परतों में उपस्थित है, उनकी आयु अपेक्षाकृत बहुत कम है और यदि वे बहुत ही गहरी परतों में पाई जाती है तो उनकी आयु बहुत अधिक होती है।
  2. जीवाशम में रेडियो एक्टिव पदार्थों (जैसे C-14) की मात्रा का पता लगा कर।

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