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बिहार में लड़े गए प्रमुख युद्ध
ईसा पूर्व 487 में, जब अजातशत्रु के राज्य की राजधानी राजगीर थी, अजातशत्रु और लिच्छवीराज के बीच युद्ध हुआ था जिसमें अजातशत्रु विजय हुआ था. इस युद्ध का समर क्षेत्र पाटलिपुत्र का किला था.
ईसा पूर्व 323 में चंद्रगुप्त मौर्य और नंद वंश के आखिरी राजा घनानंद के मध्य पाटलिपुत्र में युद्ध हुआ था, जिसमें चंद्रगुप्त मौर्य विजय हुआ.
शुंग वंश का शासन समाप्त होने पर पहली शताब्दी में कनिष्क ने उस काल के प्रकांड विद्वान अशोक घोष को अपने साथ अपनी राजधानी पेशावर ले जाने के लिए पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया. किसी विद्वान को अपने साथ ले जाने के लिए संभवत: संपूर्ण विश्व में अब तक यह एकमात्र युद्ध लड़ा गया था.
सन 514 में प्रसिद्ध हूण शासक ने मिहरीकुल ने बालदित्य (नरसिंह गुप्त) के शासनकाल मगध पर आक्रमण किया था. सन 514 में नरसिंह गुप्त के वंशज तथा गॉड (बंगाल) के राजा शशांक के मध्य मगध क्षेत्र में युद्ध हुआ था, जिसमें शशांक विजय हुआ था. संसाक ने बौद्ध धार्मिक स्थलों को बुरी तरह नष्ट कर दिया.
1539 में शेरशाह का और हुमायूं के मध्य बक्सर के निकट चौसा में युद्ध हुआ था, जिसमें शेरशाह विजय हुआ था.
अगस्त, 1574 में अकबर ने जब पटना आकर स्वयं देखा कि घेरा बंदी में कुछ कमजोरी है, तब उसने पहलेजा और हाजीपुर पर कब्जा किया. कुछ दिनों के बाद दाऊद भाग गया और अकबर विजय हुआ. इसके पश्चात मानसिंह को बिहार का गवर्नर सूबेदार बनाया गया.
1740 में मराठा जनरल रघुजी भोसले ने बिहार के तत्कालीन सूबेदार कॉर्नर, हैबतगंज के कार्यकाल में गया और आरा क्षेत्र पर आक्रमण किया. वह केवल लूटपाट करके चला गया. उसका किसी से भी नहीं हुआ था. शाहआलम द्वितीय ने सन 1759 में बिहार पर हमला किया था.
1760 में पटना तथा इसके आसपास के क्षेत्रों पर शासन करने वाला मुस्तफा खां के शासनकाल में जानूजी भोसले ने आक्रमण किया. वह भी लूटपाट कर चला आया था. सन 1763 में पटना में अंग्रेजों और मीर कासिम के मध्य युद्ध हुआ था, जिसमें मीर कासिम प्राप्त हुआ था.
1764 बक्सर में बंगाल के नवाब मीर कासिम, दिल्ली के बादशाह शाह आलम द्वितीय तथा अवध के नवाब शुजाउदौला, कि संयुक्त सेना से अंग्रेजों का युद्ध हुआ था, जिसमें सर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेज विजय हुए थे.