आज के युग में हर किसी को प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना बहुत जरुरी है क्योंकि विज्ञान की प्रगति, कारखानों, मशीन आदि के निर्माण एवं तीव्रग्रामी बहुलता के साथ-साथ आधुनिक युग में दुर्घटनाओ की संख्या में दिन – प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है.
दुर्घटनाए कारखानों, सड़कों, खेतो, घर, बाजार, खेल के मैदान आदि किसी भी स्थान में हो सकती है.
दुर्घटना होने पर अगर घायल व्यक्ति को तुरंत बचाने के उपचार नही किये गए एवं डॉक्टर की सहायता प्राप्त ना हो सकें तो घायल व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है.
अत: यह आवश्यक है की हर किसी को प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना चाहिये. इस समय में यदि किसी को प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान हो तो वह दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का जीवन को बचा सकता है.
किन्तु वह अगर इन सब से अनजान है तो वह घायल व्यक्ति की कोई भी मदद नही कर पाएगा. इस तरह से हम कह सकतें हैं की प्राथमिक शिक्षा डॉक्टर के आने से पहले रोगी को दी जाने वाली मदद है.
डॉक्टर के आने से पहले व्यक्ति को बचाने के लिए जो भी सहायता की जाती है उसे प्राथमिक सहायता या प्राथमिक चिकित्सा कहतें है.
प्राथमिक चिकित्सा डॉक्टर नही बन सकता पर डॉक्टर का सहायक बन सकता है.
प्राथमिक चिकित्सा के बारें में पूरी जानकारी
फर्स्ट ऐड या प्राथमिक चिकित्सा क्या है?
किसी दुर्घटनाग्रस्त इंसान को हॉस्पिटल पहुँचने या डॉक्टर के आने से पहले दी जाने वाली सहायता को हम प्राथमिक सहायता या प्राथमिक चिकित्सा कह सकते है. इससे रोगी की जान बचाई जा सकती है.
प्राथमिक चिकित्सा के प्रकार
इसको तीन भागों में बाँटा गया है.
- आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा
- सामान्य प्राथमिक चिकित्सा
- बाल-संरक्षण प्राथमिक चिकित्सा
आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा
इस तरह के फर्स्ट ऐड में बेसिस फर्स्ट ऐड के साथ साथ कई तरह की इमरजेंसी में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों का इस्तेमाल भी किया जाता है जिसके रोगी की जान बचाई जा सके.
सामान्य प्राथमिक चिकित्सा
इस तरह की फर्स्ट ऐड में जख्म और चोटों के उपचार करने की जानकारी होती है जिससे किसी भी तरह के जख्म, खून रोकना, सिर की चोट, गर्दन की चोट, रीड की हड्डी की चोट का इलाज किया जा सकता है ताकि रोगी को आसानी से हॉस्पिटल तक पहुँचाया जा सके.
बाल-संरक्षण प्राथमिक चिकित्सा
इसमें बच्चों में छोटी छोटी बिमारियों और चोटों के इलाज किया जाता है जिससे बच्चों को बड़ी दुर्घटनाओं से बचाया जा सकता है.
प्राथमिक चिकित्सा के उद्देश्य
प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन की रक्षा करना है तथा उसे डॉक्टर के आने से पूर्व हर संभव सहायता देना है.
उसके दुर्घटनाग्रस्त अंग को और अधिक नुकसान न पहुचें यह भी एक इसका उद्देश्य होता है.
- रोगी के जीवन की रक्षा करना- प्राथमिक चिकित्सक का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य जीवन की रक्षा करना होता है.
- रोगी को तुरंत सहायता प्रदान करना- प्राथमिक चिकित्सक का दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य घायल को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान करना ताकि उसकी स्थिति ज्यादा न बिगड़ सकें.
- प्रारम्भिक चिकित्सा प्रदान करना- ध्यान रहे प्राथमिक चिकित्सा doctor नही होता है, उसे केवल प्रारम्भिक चिकित्सा प्रदान करनी होती है और रोगी को जल्द से जल्द डॉक्टर के पास में पहूँचाना होता है.
प्राथमिक चिकित्सा देने की योग्य परिस्थितियाँ
- ज्यादा खून बहने पर
- दम घुटने पर
- आग से जलने पर
- पानी में डूबे व्यक्ति पर
- अस्थि-भंग या मोच आने पर
- बिजली का झटका लगने पर,
- आँख, कान या नाक में किसी अवरोध के कारण
- विष या मादक वस्तु खा लेने पर
- विषैले जीव के कटाने पर
प्राथमिक चिकित्सा के गुण
जैसा की हम स्पष्ट कर चुके है की प्राथमिक चिकित्सक तथापि डॉक्टर नही होता उसका कार्य महत्वपूर्ण होता है.
अत: सुरक्षाकर्मी में प्राथमिक चिकित्सा का कार्य करते हुए निम्नलिखित गुण होने चाहिए :
- निरिक्षण शक्ति- व्यक्ति की निरिक्षण शक्ति अंत्यत तीव्र होनी चाहिए जिससे वह केवल निरिक्षण द्वारा चोट आदि के बारे में अथवा रोगी की स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जान सकें.
- कुशलता- व्यक्ति को अपनी कुशलता के आधार पर रोगी की चोट अथवा रोग आदि के विषय आवश्यक जानकारी अधिक प्रश्न पूछे बिना ही प्राप्त करनी चाहिये.
- साधनकुशल- व्यक्ति को अंत्यत साधनकुशल भी होना चाहिए जिससे घटना स्थल पर उपलब्ध सधनो की सहायता से ही घायल का उचार कर सकें.
- निर्णय लेने की क्षमता एवं विवेक – व्यक्ति में निर्णय लेनी की क्षमता भी होनी चाहिये जिससे की वह उचित ढंग से इस बात का निर्णय ले सकें की उसे सवर्प्रथम क्या करना चाहिए.
- स्म्पष्टवादिता- प्राथमिक चिकित्सा में यह योग्यता होनी आवश्यक है की घटना स्थल पर निरर्थक खड़े व्यक्तियों से आवश्यक सहायता ले सकें जिससे घायल और रोगी का शीघ्रता पूर्वक इलाज हो सकें.
- प्रशिक्षित- व्यक्ति का प्रशिक्षित होना आवश्यक है जिससे की वह रोगी का उचित प्राथमिक उपचार कर सकें एवं बिना पीड़ा पहुचें सुरक्षित स्थान पर ले जाएं.
- आत्मविश्वास- सुरक्षाकर्मी में आत्मविश्वास होना भी परम आवश्यक है. घटनास्थल पर खड़े आसपास लोगों के टीका-टिप्पणी एवं हंसी उड़ाने पर पर भी उसे अपने उपचारों एवं उपायों पर विश्वास रख कर अपना कार्य करना चाहिये.
- सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार- प्राथमिक चिकित्सा के रूप में व्यक्ति को अपना व्यवहार अंत्यत सहानुभूतिपूर्ण एवं प्रेमपूर्वक रखना आवश्यक है.
- विवेकशील- व्यक्ति को दूरदर्शी, सहिष्णु, धैर्यवान, सहासी, गम्भीर, विवेक तथा प्रसन्नचित होना चाहिए.
- शक्तिशाली एवं स्वस्थ्य- व्यक्ति हष्ट-पुष्ट शरीर वाला होना चाहिए, तंदरुशत व्यक्ति ही आवश्यकता के समय रोगी को पीठ पर लादकर ले जा सकता है.
- फुर्तीला- व्यक्ति को फुर्तीला होना चाहिए ताकि वह हर काम को शीघ्रता पूर्वक कर सकें
- धैर्यवान- व्यक्ति को धैर्यवान भी होना चाहिए क्योंकि आकस्मिक उपचार के समय अनेक अवसर ऐसे भी आतें हैं जब उस समय पर भोजन, नींद नही मिल पाती है.
प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान
- पट्टी बाधने, खपची लगाने, कृत्रिम-श्वसन व मालिश करने का पूर्ण ज्ञान होना भी आवश्यक होता है. उसे यह भी ज्ञान होना चाहिए की यदि किसी समय किसी आवश्यक वस्तु का अभाव हो तो उसकी पूर्ति कैसे की जाती है.
- अन्य जानकारियाँ : व्यक्ति को पानी में तैरना, आग बुझाना, मोटर गाड़ी को चलाना भी आना चाहिए ताकि आवश्यकता के समय में इसमें से किसी का भी उपयोग कर सकें.
प्राथमिक चिकित्सा को क्या करना चाहिए –
प्राथमिक चिकित्सा अथवा वह व्यक्ति जो घायल व्यक्ति को प्रारम्भी सहायता देता है उसके लिए जरूरी नही है की वह doctor ही हो प्राथमिक चिकित्सा में सुरक्षाकर्मी को निम्न बाते ध्यान में रखनी चाहिए .
किसी भी प्राथमिक चिकित्सा को घायल व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा देनें से पहले आपालकालीन समय में ABC का ध्यान रखना चाहिए.
ABC अर्थात A- Airway( वायुप्रवाह) B- Breathing (श्वसन) C – Circulation (रक्तसंचरण)
- A से बनता है वायुप्रवाह अर्थात दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति की जीभ मुड़ जाने पर किसी बहारी वस्तु के अन्दर अटके या किसी और पदार्थ के अवरोध से वायुनली बंद हो सकती है जिससे वायु का प्रवाह बंधित हो जाता है.
- B से बनता है श्वसन अर्थात दुर्घटना के परिणामस्वरूप सांसो पर नजर रखनी चाहिए.
- C से बनता है Circulation अर्थात रक्तसंचारण, दुर्घटना के फ्लवस्वरूप यदि घायल की नाड़ी ठीक नहीं चल रही है तो CPR का प्रयोग करें. अगर खून बह रहा है तो खून बंद करने का प्रयास करें.
इसके बाद में निम्नलिखित कार्यवाही करें
- रोगी को धीरज देना, सांत्वना देना- दुर्घटना ग्रस्त रोगी प्राय: घबरा जाते है अथवा उनके मन में गहरा आघात पहुंचता है. ऐसी स्थिति में घायल को यह भी प्रकट नही होनें देना चाहिए की वह बहुत अधिक घायल है अथवा उसे अच्छा होने में ज्यादा समय लग सकता है.
- उचित प्राथमिक सहायता- दुर्घटना होने के वास्तविक कारण का पता लगाने के कारण का पता लगने के बाद में रोगी को क्या कष्ट है पहले इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए एवं उचित प्राथमिक उपचार करना चाहिए.
- रोगी को सही ढंग से बैठना- रोगी को हमेशा ऐसी स्थिति में बैठने या लेटना चाहिए की उसे अधिक आराम का अनुभव हो उसके साथ में प्रेम पूर्वक व नम्रता का व्यवहार करना चाहिए.
- रोगी को पूर्ण शांति देना- रोगी को पूर्ण शांति देनी चाहिए उसके पास ज्यादा लोगों का जमघट नही लगने देना चाहिए और ना ही उसे ज्यादा बातचीत करनी देनी चाहिए.
- घायल अंग का रख रखाव- जिस अंग की असीथ भंग हो गई हो उसे तनिक भी हिलाना नही चाहिए तथा उस अंग को ऐसी स्थिति में रखना चाहिए अधिक से अधिक आराम मिले.
- रक्तस्त्राव को रोकना- यदि रक्तस्त्राव हो रहा है और व्यक्ति मूर्छित भी हो गया हो तो पहले रक्तस्त्राव को रोकना चाहिए उसके बाद में उसकी मूर्छा दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए.
- विषपान से बचाने की कार्यवाही- यदि किसी व्यक्ति ने विष खा लिया हो तो उसे उलटी करवाने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि वह शरीर में ज्यादा फेलाव ना कर सकें.
- घायल व्यक्ति को खुले स्थान पर रखना- घायल व्यक्ति को खुली हवा में रखना चाहिए परन्तु उसे धुप से बचाना चाहिए रोगी के उपर चादर या छतरी आदि को तानकर धुप से बचना चाहिए.
- दुर्घटनास्थल पर उप्लबन्ध समानो का उपयोग- दुर्घटना स्थल पर जो वस्तुए तुरंत उपलब्ध हो सकें उन्ही के द्वारा रोगी को राहत पहुँचाने का प्रयत्न करें.
- उत्तेजक औषधियों का प्रयोग- उत्तेजक औषधियों का प्रयोग doctor की सलाह के बिना नही करना चाहिए. यदि रोगी ठंड को दूर करना हो तो उसे गर्म चीज पिलानी चाहिए.
- कुत्रिम रूप से सांस देना- यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को सांस लेने में कष्ट हो रहा है तो व्यक्ति को उसे कुत्रिम रूप से सांस देना या दिलाना चाहिए.
- किए गए उपचार के बारें में डॉक्टर को जानकारी देना- जब डॉक्टर रोगी के पास आ जाए तब सुरक्षाकर्मी को उसे किए हुए उपचार के बारें में बताना चाहिए की उसने क्या क्या उपचार किए हैं .
- Doctor को सूचित करना- व्यक्ति का सबसे पहला कर्तव्य यह है की वह स्वयं तो रोगी व्यक्ति की सेवा में लगे तथा अन्य किसी व्यक्ति को डॉक्टर को बुला लाने के लिए भेजे या डॉक्टर तक स्वयं जल्दी से जाने का प्रयत्न करें.
- डॉक्टर के पास में ले जाना- किसी कारण वंश डॉक्टर का रोगी के पास में आना संभव ना हो तो या डॉक्टर तक पहुचनें की दुरी ज्यादा हो तो आवश्यक उपचार के बाद में रोगी को अकेले या अन्य किसी की सहायता से डॉक्टर के पास में ले जाना चाहिए.
प्राथमिक चिकित्सा के लिए आवश्यक सामग्री –
प्राथमिक चिकित्सा के लिए निम्नलिखित आवयश्क सामग्री है.
- स्वच्छ रुई- घाव आदि को साफ़ करने के लिए तथा दवाई को लगाने के लिए
- पिन- पिन लगाकर पट्टी को रोका जा सकता है.
- टेप- अनेक स्थानों पर रुई को रख कर टेप से चिपकाया जा सकता है
- कैंची – पट्टी काटने के लिए
- दियासलाई एवं स्प्रिट लैप- कुछ यंत्र गर्म करने के लिए
- चमच्च एवं गिलास- रोगी को दवा एवं दूध पिलाने के लिए
- पट्टियाँ- घाव अथवा मोच पर बांधने के लिए
- पैड– यह रखकर पट्टी बाँधी जाती है
- खपच्चियाँ- अस्थि भंग हो जाने पर खपच्ची रख कर बाँधा जाता है.
- चिमटी- काँटा चुभ जाने पर निकलने के लिए.
- गर्म पानी की बोतल- सेकने के लिए
- बर्फ की टोपी- अधिक तेज बुखार में सर पर रखी जाती है.
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