धातुओं और अधातुओ में अंतर उनके भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर किया जा सकता है।
धातुओं के उदाहरण- सोना, चांदी, लोहा, तांबा।
अधातुओ के उदाहरण- सल्फर, कार्बन , ऑक्सीजन, फास्फोरस।
आघातवर्धनीयत्ता – धातुओं का वह गुण जिसके कारण इन्हें पीट-पीटकर इनकी पतली चादरें बनाई जा सके, आघातवर्धनीयत्ता कहलाता है। जैसे- सोना, चांदी, तांबा व एलुमिनियम आदि धातुओं में यह गुण पाया जाता है।
तन्यता- धातुओं का वह गुण जिसके कारण में इन्हें खींचकर इनकी अटूट व लंबी तारे बनाए जा सके तन्यता कहलाता है जैसे- सोना, चांदी, तांबा व एलुमिनियम में यह गुण पाया जाता है।
भौतिक गुण | धातु | अधातु |
चमक | इनमें अपनी चमक होती है। | इनमें अपनी कोई चमक नहीं होती है। |
आघातवर्धनीय | इनमे यह गुण पाया जाता है। | इनमे इस गुण का अभाव होता है । |
तन्यता | धातुएँ तनय होती है । | अधातुएँ तनय नही होती। |
प्राय: सभी धातुएं विद्युत के चालक होती है। इसलिए तांबे, एलुमिनियम की विद्युत तारें बनाई जाती है, जबकि प्राय अधातुएं विद्युत की कुचालक होती है। केवल ग्रेफाइट (कार्बन) इसका अपवाद है।
धातुएं ऊष्मा की चालक है इसलिए इनसे (तांबा, एलुमिनियम, लोहा आदि के) बर्तन बनाए जाते हैं, जबकि इन्हीं बर्तनों के हैंडल आधातुओ (लकड़ी, बैकलाइट आदि) से बनाए जाते हैं, क्योंकि अधातुओं उष्मा के प्रति चालक नहीं होती। कुचालको से बने हैंडलों के द्वारा गर्म बर्तनों को आसानी से पकड़ा जा सकता है।
धातुएँ ध्वानिक कहलाती है अर्थात धातुएँ गायन ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकती है। यह गुण केवल धातुओं में ही पाया जाता है। इसलिए मंदिरों की घंटियों और वाद्य यंत्रों की तारें विशेष तत्वों से बनी होती है।
तांबा तथा सल्फर के भौतिक गुणों की तुलना निम्नलिखित है-
तत्व | प्रेक्षण | निष्कर्ष |
तांबा | धात्विक चमक, लाल भूरा रंग, काटने में कठोर, हथोड़ा मारने तथा पीटने पर चादर बन जाना, तान्यात, ध्वनि उत्पन्न करने वाला, विधि तथा ऊष्मा का सुचालक है, सरलता से नहीं पिघलता। | धातु |
सल्फर | हल्की चमक, पीला रंग, कोमल, हथोड़ा मारने पर सरलता से टूट जाता है, तन्य नहीं है, आघात करने पर नहीं बजता, विद्युत चालन नहीं करता, सरलता से पिघल जाता है। | अधातु |
ग्रेफाइट के अतिरिक्त सभी अधातुएँ चमकहीन होती है। सल्फर का रंग पीला, क्लोरीन का रंग हरा, फास्फोरस का रंग सफेद या पीला होता है, जबकि हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन रंगहीन गैस है।
जंग- यदि लोहे को नमी वाली वायु में खुला रखा जाए तो इस पर भूरे रंग की एक परत जम जाती है। यह भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड तथा आयरन हाइड्रोक्साइड का मिश्रण होती है। इसी को जंग कहते हैं।
जंग लगने के लिए आवश्यक शर्तें- जल व पानी की उपस्थिति, ऑक्सीजन की उपस्थिति।
जंग से बचाव के उपाय-
सोना एक अक्रियाशील धातु होने के कारण इसका संक्षारण नहीं होता जिस कारण स्थित चमक समाप्त नहीं होती। इसके अतिरिक्त सोने पर वायु, जल तथा अम्लो का प्रभाव नही पड़ता ।
धातुएँ क्षारों (सोडियम हाइड्रोक्साइड) के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती है, जबकि अधातुएँ Kक्षारोंके साथ अभिक्रिया नहीं करती।
लोहा, तांबें से अधिक क्रियाशील है इसलिए तांबा लोहे को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता। इसी कारण फैरस सल्फेट विलयन में तांबे की पत्री डालने पर पत्री पर लोहे की पर्त नहीं बनती।
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