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आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास

आर्थिक संवृद्धि और आर्थिंक विकास दोनों एक दुसरे से जुड़े होते है जैसे की आर्थिक विकास का सम्बन्ध विकासशील देशों और आर्थिंक संवृद्धि का सम्बन्ध विकसित देशों से होता है. इनको भी अलग अलग भागों में बाँटा जाता है.

आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास
आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास

आर्थिक संवृद्धि क्या है?

आर्थिक संवृद्धि का सम्बन्ध मात्रात्मक वृद्धि  से है. आर्थिक संवृद्धि एक सामान्य प्रक्रिया है. यह मात्रात्मक परिवर्तन से जुड़ा है.

किसी देश की अर्थव्यवस्था में किसी समयावधि में होने वाली उत्पादन क्षमता और वास्तविक आय की वृद्धि आर्थिक संवृद्धि कहलाती है.

मतलब किसी अर्थव्यवस्था में सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलु उत्पाद एव प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि.

आर्थिक विकास किसे कहते है?

देश, किसी स्थान, व्यक्ति समूह की आर्थिक संवृद्धि में वृद्धि को आर्थिक विकास कहा जाता है. नीति निर्माण की दृष्टि से आर्थिक विकास उन सभी कोशिशों को कहते है जिससे जन स्तर में सुधार लाया जाता है. या हम इसको इस प्रकार भी कह सकते है की आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में दीर्घकालिक वृद्धि होती है.

आर्थिक विकास एक व्यक्तिनिष्ठ अवधारणा है जो गुणात्मक (qualitative) परिवर्तन से जुड़ा है अर्थात इसके अन्तर्गत व्यक्ति के सभी पक्षों के विकास पर बल दिया जाता है.

परंपरागत विचारधारा में आर्थिक विकास एक ऐसी स्थिति है जिसमें सकल राष्ट्रीय या घरेलू उत्पाद 5 से 7% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ता रहे और उत्पाद एव रोजगार सरंचना में इस प्रकार परिवर्तन हो की उसमे कृषि का हिस्सा कम होते हुए विनिर्माण क्षेत्र (manufacturing sector) तथा तृतीय क्षेत्र (tertiary sector) का हिस्सा बढ़ता जाए.

किन्तु आर्थिक विकास का तात्पर्य नए दृष्टिकोण में भौतिक कल्याण में वृद्धि, गरीबी का निवारण, असमानता और बेरोजगारी का निवारण रखा गया जिसे पुनर्वितरण के साथ संवृद्धि का नारा दिया गया.

आर्थिक संवृद्धि के साथ आर्थिक विकास की संकल्पना अधिक व्यापक है. जहाँ आर्थिक संवृद्धि से तात्पर्य किसी देश में प्रति व्यक्ति उत्पादन से है, वही आर्थिक विकास से तात्पर्य प्रति व्यक्ति उत्पादन के अलावा सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में परिवर्तन से है.

अक्सर जनसँख्या के व्यवसायिक वितरण की दृष्टी से राष्ट्रों को विकसित और अल्पविकसित देशो में राष्ट्रीय आय का बड़ा हिस्सा कृषि तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्रो से उत्पादित होता है.

भारतीय योजना आयोग के अनुसार अल्पविकसित देश वह है जिसमें एक ओर तो मानव शक्ति की क्षमता का बहुत कम उपयोग होता है वही दूसरी ओर प्राकृतिक ससाधनो का भी पूरा प्रयोग नहीं हो पा रहा हो.

विकसित देशो की तुलना में अल्प विकसित देशो में मानव पूँजी (human capital) भी बहुत कम विकसित है जहाँ सयुक्त राज्य अमेरिका में साक्षरता का स्तर 99% है वही भारत में केवल 74% लोग साक्षर है.

आर्थिक विकास के कारक (Factors Of Economic Development) कौन कौन से है?

  • किसी भी देश के आर्थिक विकास में आर्थिक कारको की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
  • हैराल्ड-डोमर मॉडल में पूँजी को आर्थिक संवृद्ध में निर्णायक भूमिका दी गई है. अर्थव्यवस्था चाहे जिस प्रकार की हो आर्थिक विकास की गति तेज रखने के लिए पूँजी निर्माण की दर ऊँची रखनी चाहिए.
  • अन्य कारकों में कृषि, विदेश व्यापार, आर्थिक प्रणाली आदि है.
  • आर्थिक विकास की प्रक्रिया में अनार्थिक कारक भी महत्वपूर्ण है, जिनमें मानव संस्थान शिक्षा, भ्रष्टाचार से मुक्ति, विकास की आकांक्षा है.
  • अल्पविकसित देशों में यदि गरीबी के दुष्चक्र से छुटकारा पाना है तो उसके लिए ‘प्रबल प्रयास’ (big push) आवश्यक होगा निवेश की मात्रा अधिक होनी चाहिए.

मानव विकास (Human Development) क्या है?

मानव विकास की अवधारणा सबसे पहले पाकिस्तान के अर्थशास्त्री ‘महबूब-उल-हक’ (Mahboob-ul-haq) के द्वारा दी गई संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nation Development Programme – UNDP) के अनुसार 1990 से प्रत्येक वर्ष मानव विकास रिपोर्ट (Human DevelopmentReport-HDR) जारी की जाती है जो मानव विकास सूचकांक (human development index-HDI) पर आधारित होती है.

मानव विकास प्रतिमान (Paradigm) के चार अनिवार्य घटक

  1. औचित्य (Equity)- अवसरों तक पहुँच न्यायोचित होना चाहिए.
  2. धारणीयता (Sustainability)- देश के भीतर और विभिन्न देशों के बीच जीवन स्तर संबंधी विषमताओं पर ध्यान देना चाहिए.
  3. उत्पादकता (Productivity)- यह विकास का एक घटक मात्र है.
  4. सशक्तिकरण (Empowerment)- इसका अर्थ है कि लोग अपनी इच्छा से निर्णय ले सके.

मानव विकास सूचकांक (Human Development Index)

1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी पहली Human Development Report में मानव विकास सूचकांक की संकल्पना प्रस्तुत की HDI मानव विकास का माप है. वह किसी भी देश की मानव विकास के संदर्भ में तीन मूलभूत आयामों/ सूचकों के क्षेत्र में उपलब्धियां की माप करता है.

HDI तीन सूचकों पर आधारित है

  1. प्रति व्यक्ति आय (per capita income) या एक अच्छा जीवन स्तर, जिसे क्रयशक्ति समाहित प्रतिव्यक्ति आय के जरिये मापा जाता है. (100-40,000 डॉलर)
  2. जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) या लंबा व स्वस्थ जीवन (जीवन प्रत्याशा: 25-85 वर्ष)
  3. शिक्षा विशेषकर महिला शिक्षा (Education Especially woman Education) या ज्ञान की उपलब्धि (साक्षरता दर: 0-100%)
  • प्रति व्यक्ति आय की गणना सभी देशों के लिए डॉलर में की जाती है.
  • HDR-2009 के अनुसार HDI के मूल्य के आधार पर देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है.

I. निम्न देश-0-0.499
II. मध्य देश-0.500-0.799
III. उच्च देश-0.800-0.899
IV. बहुत उच्च देश – 0.900 से ऊपर

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने वर्ष 2011 की मानव विकास रिपोर्ट जारी की है इस सूचना के 187 देशों की सूची में भारत का स्थान 134वां है.

भारतीय अर्थव्यवस्था के अभ्यास के लिए प्रश्न

मानव विकास रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण देशों के स्थान

  1. नार्वे-1
  2. ऑस्ट्रेलिया-2
  3. श्रीलंका-97
  4. चीन-101
  5. भारत-134
  6. कांगो-137
  7. पाकिस्तान-145

Note:- Congo Democratic Republic का HDI रैंक 187 है.

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मानव विकास रिपोर्ट के आधार पर भारत में भी मानव विकास रिपोर्ट जारी किया गया है.
  • भारत में राज्य स्तरीय मानव विकास रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य मध्य प्रदेश है जिसने अपनी पहली मानव विकास रिपोर्ट 1995 में प्रस्तुत की.

HDR 2010 में तीन नए माप प्रस्तुत किए गए हैं जिसमें-

मानवीय कल्याण माप

  1. मानवीय सूचकांक
  2. लिंग-संबंधित विकास सूचकांक
  3. मानवीय निर्धनता सूचकांक

(I) असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक(Inequality Adjusted human development index)
(II) लिंग असमानता सूचकांक(Gender Inequality index Gll)
(III) बहु आयामीय निर्धनता सूचकांक(Multi-Dimensional index)

लिंग-संबंधित विकास सूचक(Gender Related development index)

Human Development Report-1995 में दो विश्वव्यापी लिंग सूचकांक शामिल किए गए. लिंग संबंधित विकास सूचकांक और लिंग सशक्तिकरण माप (Gender Empowerment Measure).

लिंग-संबंधित विकास सूचक तथा मानवीय विकास सूचक औसत उपलब्धि में पुरुषों एव स्त्रियों में असमानता को दर्शाता है. इसके लिए तीन आयामों का प्रयोग किया जाता है जो नीचे दिए गए हैं-

  1. स्त्रियों में जन्म पर जीवन-प्रत्याशा.
  2. स्त्री बालिग साक्षरता एवं कुल नामांकन अनुपात.
  3. स्त्री प्रति व्यक्ति आय.

HDR-2010 में एक नए माप को लिंग-असमानता सूचकांक अपनाया गया इसमें महिलाओं के दृष्टिकोण में तीन महत्वपूर्ण आयाम है.

  1. प्रजनक स्वास्थ्य (Reproductive Health)
  2. सशक्तिकरण (Empowerment)
  3. श्रम बाजार में हिस्सेदारी
  • इस सूचकांक का मान 0 से 1 के बीच ही हो सकता है.
  • Gll के शून्य होने का अर्थ है- महिलाओं और पुरुषों की स्थिति समान है तथा इसके 1 होने का अर्थ है महिलाओं की स्थिति अत्यंत खराब है.
  • Gll रिपोर्ट 2011 में कुल 146 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें भारत का स्थान 129वां है स्वीडन का स्थान प्रथम व नीदरलैंड का स्थान द्वितीय है.

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (Multi-Dimensional Poverty Index-MPI)

  • Human development Report-1997 में पहली बार मानव निर्धनता सूचकांक को शामिल किया गया जो मानवीय जीवन के तीन अनिवार्य अंगो- आयु, ज्ञान, और एक अच्छा जीवन स्तर में अपदस्त (deprivation) पर ध्यान केंद्रित करती है.
  • HDR-2010 में HPI के स्थान पर एक नया माप बहुआयामी निर्धनता सूचकांक अपनाया गया है.
  • MPI में HDI को प्रतिबिंबित करने वाले तीन आयाम लिए गए हैं- स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन स्तर.
  • HDR-2010 के अनुमान लगाया गया है कि 104 देशों 1/3 जनसंख्या के आधे से अधिक निर्धनता सहारा (अफ्रीका) में है.
  • भारत के आठ राज्यों में निर्धनता का स्तर 26 है जो सर्वाधिक निर्धन अफ्रीकी देशों के बराबर है.

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