आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana GK | हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकार और उनकी रचना के बारे में बता रहे है. हरियाणा में कई रचनाकार हुए और उनकी रचनाये आज भी गई जाती है. आजकल कवि समेलन का दौर कम होता जा रहा है लेकिन जब भी जहाँ पर भी कवि समेलन होता है, इन रचनाकारों का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है.
हरियाणा हिंदी भाषी राज्य है, जहाँ पर हरियाणवी बोली जाती है. परन्तु वास्तव में यह हरियाणवी न होकर खड़ी बोली का ही पर्याय रूप है. डॉ हरदेव बाहरी के अनुसार खड़ी बोली के कई रूप है, जैसे – हिन्दुस्तानी, नागरी, सरहिन्दी व कौरवी. मूलत: हरियाणवी को भी कौरवी का ही रूप माना जाता है.
इसके अलावा हरियाणा में सामान्यत: हरियाणवी, पंजाबी, हिंदी, उर्दू व अंग्रेजी भाषाएँ भी बोली जाती है, लेकिन 89% से ज्यादा राज्य की जनसँख्या बहुधा हिंदी भाषा का ही प्रयोग करती है.
हरियाणा राज्य में कई प्रकार की बोलियाँ भी बोली जाती है. इनमें बांगरू, मेवाती तथा अहीर नामक बोलियाँ सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. कठेरी व राठी मेवाती की दो उप बोलियाँ है, जो नूंह और फिरोजपुर झिरका में बोली जाती है, जब की राठी नारनौल और रेवाड़ी के आसपास के क्षेत्र में बोली जाती है.
हरियाणा साहित्य गद्य व पद्य में रचित होने के साथ तत्सम व तदभव शब्दों से भी युक्त है। हरियाणा को साहित्यिक दृष्टि से सम्पन्न बनाने में जैन तथा नाथ कवियों का विशेष रूप से योगदान रहा है। हरियाणा में हिन्दी का प्रथम साहित्यकार चौरगीनाथ को माना जाता है।
कुरुक्षेत्र के हस्तलिखित संग्रहालय में शारदा लिपि में रचित पांच नाथ संप्रदाय से जडे हए ग्रंथ हए हैं, जिनक नाम है- अष्टाजोग, हठायोग, प्रदीपिका, विवेक मार्तण्ड षट्चक्र निर्णय व अमटोधशासनम्।
इसके अतिरिक्त ‘प्राण-सांकली’, ‘श्रीनाथ अष्टक’, ‘कुछ शब्दियां तत्त्व-भवनों प्रदेश’ नामक रचनाएं सिद्ध चौरंगी नाथ द्वारा रचित हैं। ‘सिद्ध सिद्धांत पद्धति’ तथा ‘गोखन सिद्धांत संग्रह’ नामक योगराज पूर्णनाथ द्वारा रचित हैं।
गोरखनाथ ने हरियाणवी में अनेक राग और भजनों की रचना की. इनके द्वारा रचित पांडुलिपि में 49 राग एवं 182 पद संकलित बताए जाते हैं.
हरियाणवी भाषा में अनेक कविताओं की रचना की, इनका जन्म छुड़ानी (झज्जर) में सन 1717 में हुआ.
दयालदास गरीबदास के अनन्य भक्त थे. हरियाणवी पुट के साथ उनके द्वारा रचित ग्रन्थ “विचार प्रकाश” नामक रचना काफी प्रसिद्ध हुई
हरियाणवी भाषा के प्रसिद्ध कवि और राजा रतनसेन नामक हरियाणवी ग्रंथ के रचनाकार.
संत सिद्धांत प्रकाश ‘नित्यानंद के भजन’, ‘बारहखडी’ आदि हरियाणवी रचनाओं के रचनाकार.
तमाशा राजा नल, और कृष्ण लीला जैसे सांगो के साथ दोहे भजनों की रचना की,
उन्नीसवीं सदी के प्रमुख साहित्यकार, रुक्मणी विवाह जैसे ग्रंथों का रचनाकार
मेवात क्षेत्र के प्रसिद्ध और वरिष्ठ साहित्यकार, जिन्होंने महाभारत की रचना की
हरियाणवी के पद लिखने की परंपरा को कायम रखने की महत्वपूर्ण भूमिका अदा की
गुरु गुरमा, राजा गोपीचंद, राजा नल आदि हरियाणवी रचना के रचनाकार.
सूफी विचारधारा वाले महान साहित्यकार द्वारा प्रेम लहर, प्रेम वाणी, प्रेम प्याला और इंतखाब आदि की रचना की. इनकी हरियाणवी चौपाई काफी प्रसिद्ध हुई.
पूरणभक्त, रामायण, कुंजडी, शालादे जैसे हरियाणवी रचना के रचनाकार.
जयमल-फंता, रामायण, गूंगा चौहान और पद्मिनी चंदकिरण इनकी प्रमुख हरियाणवी रचनाएं हैं.
इनके द्वारा हरियाणवी भाषा में अनेक भजनों व गीतों की रचना की गई
कृष्णलीला, महाभारत, जोधपुर नरेश जसवंत सिंह, माधव नल दुल्ला काम कंदला आदि हरियाणवी सॉन्ग रचनाकार.
यह भी हरियाणा के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे.
दिवाकर और गुलाबकावली जैसे रचना के रचनाकार
राममाल और दाहिने हाथ का शंख जैसे हरियाणवी रचनाएं
इनके द्वारा भक्तमाल, भक्त प्रहलाद की रचना की गई
संस्कृत ग्रन्थ ‘श्री भगत फूल सिंह चरित्रम’, व्यवहार भानु, महर्षि दयानंद, ऋग्वेद काव्य तत्वानी, संक्षिप्ते रामायण इत्यादि इनकी प्रमुख रचनाएँ है.
हरियाणवी नाटक साक्षा सीर की रचना रामफल चहल ने की.
साहित्यकार | रचना |
दंत कवि | बारहखड़ी |
माणिक्य राज | अमरसेन चरित्र |
नेमीचन्द्र | त्रिलोक दर्पण |
भगवती | सीतासेतु |
बालमुकुन्द | तारा, तुलसी,सुधाकर, अधखिला, फूल,अश्रमति, हिन्दी भाषा, हिन्दी भाषा की भूमिका। |
गुलाब सिंह | भवर सामृत,माक्ष पन्य तथा प्रबोध चन्द्रोदय। |
संतोष सिंह | रामकोश, श्री गुरुनानक प्रकाश,गरव गजनी, वाल्मीकि रामायण, आत्म पुराण,गुरु प्रताप सूरज। |
ईशदास | अंगद पैर, भरत मिलाप व सत्यवती कथा। |
सम्राट हर्षवर्द्धन | प्रियदर्शिका,रत्नावली, नागानन्द। |
गरुड़ध्वज | धर्मध्वज। |
बाणभट्ट | चण्डी शतक, पार्वती परिणाम हर्षचरित, कादम्बरी। |
माधव प्रसाद मिश्र | माधव मिश्र निबन्धावली |
रामप्रसाद | स्वदेश दर्शन |
ब्रजलाल सेंधी | निम्बार्क सम्प्रदाय प्रकाश। |
शम्भूदयाल | रुकमणी मंगल। |
हरद्वारीलाल | सारस्वत। |
रामचन्द्र | कुरुक्षेत्र महात्म्यम्। |
श्रीधर | चन्द्रमा,शान्तिनाथ, पार्श्वनाथ, वर्द्धमान महावीर। |
ठाकुर फेरू | वस्तुसार तथा रत्न परीक्षा। |
मनभावन | वृज विनोद। |
निश्चलदास | विचार सागर, वृत्ति प्रभाकर, युक्ति प्रकाश। |
बूधराम | संतोष जयतिलक,नेभिनाथ वसन्तु, नेमिश्वर का बारहमासा, टंझणा गीत। |
साहित्यकार | रचना |
महर्षि वेदव्यास | महाभारत, गीता, पुराण। |
सत्यमेव वशिष्ठ | सत्यभाषयम्, सत्यागृहनीति काव्यम्, विष्णुसहस्रानाम व नाड़ीतत्त्वदर्शनम्। |
आचार्य भगवान देव | महाभाव्यम्, नारायण स्वामिनीचरित्रम्, छन्द शास्त्रम्, काव्यालंकार सूत्रादि, कारिका प्रकाश, गुरुकुल, शतकम, दयानन्द लहरी, विरजानन्द चरित्रम्, ब्रह्मचर्यामृतम् व ब्रह्मचर्यशतकम्। |
स्वामी हरिदास | दादुरामोदय। |
पं. माधवाचार्य शास्त्री | कबीर चरित्रम्। |
पं.हरिपुण्य न्याय रत्न | चित्रबोधिनी। |
पं. विद्याधर शास्त्री | विवाह पद्धति, वास्तुशान्ति पद्धति, शिक्षान्यास पद्धति,समार्तप्रभु, उपनयन पद्धति, श्राद्धसार, देवचयाज्ञिक पद्धति, सुलभ सूत्रवृत्ति व काल्यायन श्रोत सूत्रवृत्ति। |
पं.विद्यानिधि | श्री भक्त फूल सिंह चरित्रम्, संक्षिप्ते रामायण महाभारते, महर्षि दयानन्द, व्यवहार भानु, ऋग्वेद काव्य तत्त्वानि व मैत्रीवणीसंहितोक्ता सूक्तिसंग्रह। |
पं.जयराम शास्त्री | जवाहर बसंत साम्राज्य। |
महाकवि मयूर | मयूराष्टक व सूर्यशतक। |
पं.छज्जुराम शास्त्री | संस्कृत साहित्य, कुरुक्षेत्राष्टकम, दुर्भाभ्युदयानानाकट्म, सुल्तान चरित्रम्। |
सीमारात शास्त्री | साहित्यमोपदेश्य। |
साहित्यकार | रचना |
भगवती दास | चतुर बनजारा,मनक रहरास, अनेकों अर्थ माला, सीता सुत, जोगीरासा, मधु बिन्धक चौपाई,टंझणा रासव मृणांककलेरवा चरित। |
बनारसी दास | नवरास रचा अर्द्ध कथानाक, नाटक समयसार, बनारसी विलास, नामा माला, मोह विवेक युद्ध। |
विजयानन्द सूरि | नवतत्त्व,आत्म बावनी, रलावली, जैन तत्त्वादर्श व अज्ञात तिथि भास्कर। |
पुष्पदंत | कोश ग्रन्थ, जसहर चरिउ व तिसट्टिय महापुरिस गुणालंकर। |
मालदेव | देवदत्त चौपाई, विरांगत चौपाई, भोज प्रबन्ध, स्थूलभद्र फागु, पुरन्दर चौपाई व सुर सुन्दरी चौपाई। |
बूचराज उर्फबल्ह | फुटकर बसंत, नेमीश्वर बारहमासा, नेमिनाथ वसन्तु, संतोष जयतिलक, चेतन पुदृगल ढाल, मयण जसू व टंझणा गीत। |
श्रीधर अपरवाल | पासणाह चरिउ, सुकमाल चरिउए भविसयत चरिउ व आमेर शास्त्र भण्डार। |
जगतराय | सभ्यकत्य कौमुदी, आगम विलास व पद्मनन्दी पत्र विशन्तिका। |
सुन्दरदास | सुन्दर शृंगार,सुन्दर विलास,सुन्दर सतसई,पाखण्ड पचासीका व धर्म सहेली। |
रूपचन्द्र पाण्डेय | मंगलगीत, गीत परमार्थी, रूपचन्द्र शतक व परमार्थी शतक। |
आनन्दधन | आन्नदधन बहोत्तरी। |
गोवर्द्धन दास | शकुन विचार। |
धर्मपाल | श्रतु पंचमी रास व आदिनाथ स्तवन। |
उपन्यासकार | उपन्यास |
हेमराज निर्गम | तराशे हुए, मुझे भूल जाना, बसंत फिर आएगा, टूटते बंधन, प्रतीक्षा, लाल बहादुर, जाल व मुक्ति तथा सीप का मोती |
मोहन चोपड़ा | ये नए लोग, बाहें, नीहड़ के आगे, सुबह से पहले, टुटा हुआ आदमी, एक छाया |
डॉ शशि भूषण सिंहल | अपने पराए तथा जानी अनजानी राहें |
कृष्ण मदहोश | अंधा सफ़र |
राजकुमार निजात | साए अपने-अपने |
अभिमन्यु अनंत | लाल पसीना |
अमृतलाल मदान | लाल धूप |
मधुकांत | गाँव की ओर |
रमेशचन्द्र जैन | मेंहदी रचे हाथ |
उर्मी कृष्ण | वन और पगडीडयां |
जयनारायण कौशिक | माटी का मोल व बूढी सुहागिन |
प्रसिद्ध रचनाएं प्राण सांकली, श्रीनाथ अष्टक कुछ शब्दावली तत्व भावनो पदेश
प्रसिद्ध ग्रंथ सिद्ध सिद्धांत पद्धति तथा गोरख सिद्धांत संग्रह.
कुरुक्षेत्र के हस्तलिखित संग्रहालय शारदा लिपि के रचित पांच नाथ संप्रदाय से संबंधित हुए प्राप्त हुए हैं, वे थे, विवेक मार्तंड, अमरोधशासनम्, षटचक्र निर्णय, हठयोग प्रदीपिका और अष्टां जोग
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