आज इस आर्टिकल में हम आपको झारखंड के प्रमुख जलप्रपात व जलकुंड के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप JSSC और झारखण्ड के दुसरे कई एग्जाम की तैयारी आसानी से कर सकते है. नदी तल का ढाल अक्समात तीव्र हो अथवा ऊर्ध्वाधर हो और जल वेग से नीचे गिरे तो, इस अवस्था को जलप्रपात कहते हैं, जलप्रपातों का निर्माण नदियों के मार्ग में होता है जिनके तल में कठोर तथा मुलायम शैलो की परतें क्रमवत स्थित हो। झारखंड के छोटा नागपुर पठार की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां कई स्थानों पर विभ्रंश घाटीयों तथा कठोर चट्टानों से निर्मित अवशिष्ट श्रेणियाँ और पहाड़ियाँ है जो जलप्रपातों को जन्म देती है।
यहां रांची, पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, गिरिडीह, पलामू, जिलों में अनेक स्थानों पर जलप्रपात मिलते हैं। झारखंड के प्रमुख जलप्रपात निम्नलिखित है-
यह जलप्रपात रांची से 45 किलोमीटर दूर है। यहां स्वर्ण रेखा नदी द्वारा निर्मित यह जलप्रपात झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। इसकी ऊंचाई लगभग 74 मीटर है।
रांची से 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों और जंगलों के बीच यह जलप्रपात (जोन्हा एवं रारू नदी के संगम पर स्थित) है जहां पानी से 40 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
रांची से 34 किलोमीटर दूर स्थित जलप्रपात 10 छोटे-बड़े जलप्रपातों का अद्भुत समन्वय है। इसकी ऊंचाई लगभग 40 मीटर है।
हुंडरू जलप्रपात | रांची से 45 किलोमीटर |
दसम जलप्रपात | रांची से 34 किलोमीटर |
जोन्हा जलप्रपात | रांची से 40 किलोमीटर |
हिरणी जलप्रपात | रांची से 70 किलोमीटर |
नागफेनी जलप्रपात | लोहरदगा से 15 से 20 किलोमीटर |
धड़धड़िया जलप्रपात | लोहरदगा से 20 किलोमीटर |
मालूदह जलप्रपात | चतरा से 8 किलोमीटर पश्चिम में |
लोधा जलप्रपात | महुआटांड से 14 किलोमीटर दूर |
सुखदारी जलप्रपात | नगर ऊटारी से 35 किलोमीटर |
पंगुरा जलप्रपात | मुरहू से 10 किलोमीटर है |
तिरु जलप्रपात | बुढ़मु से 15 किलोमीटर |
सीता जलप्रपात | रांची से 44 किलोमीटर |
सुनुवा बेड़ा जलप्रपात | रांची 44 किलोमीटर |
कुंड जलप्रपात | हुसैनाबाद प्रखंड में है |
गोआ जलप्रपात | चतरा से 6 किलोमीटर |
गुरसिंधु जलप्रपात है | गढ़वा से 40 किलोमीटर |
हेसातू जलप्रपात | हेसातु से 2 किलोमीटर |
पेरवा घाघ जलप्रपात | तोरपा से 25 किलोमीटर |
मिरचइया जलप्रपात | गारू से 3 किलोमीटर |
यह जलप्रपात पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित है जहां पानी 120 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
समतल प्रदेश में पारगम्य शैल-पूर्ण रूप से जल संतृप्त हो जाता है परंतु उनका जल स्वत पृष्ठ पर नहीं बहता है । ऊंचे-नीचे प्रदेश पारगम्य शैल को ढाल मिल जाता है। उसमें उपस्थित जल समांतर तल ही बनायेगा। ऐसी दशा में भू-पृष्ठ पर उभरी पारगम्य शैल से जल स्वत बाहर निकल पड़ता है। इस प्रकार भूमि से रिसते जल को स्त्रोत या जलकुंड कहते हैं। यदि एक स्रोत को जल की प्राप्ति ऐसे स्थान से हो रही है जहां शैल का ताप पृष्ठीय शैल ऊंचा है, तो गर्म स्रोत कहलाता है। गर्म जल के ऐसे स्रोतों के रासायनिक विश्लेषण से इनमें यथेष्ठ मात्रा में खनिज लवण, गंधक आदि मिले रहते हैं। जिनमें यह जल त्वचा के रोगों को लाभान्वित करता है। यहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री इन कुंडों में स्नान कर लाभान्वित होते हैं। शीतकालीन में कुंडों में स्नान करने का आनंद ही कुछ और है।
झारखंड राज्य में गर्म जल के स्रोत हजारीबाग, धनबाद, पलामू, गिरिडीह, दुमका आदि जिलों में भी विद्यमान है। हजारीबाग जिले का सूरजकुंड सबसे अधिक गर्म जल का कुण्ड है। जिसका तापमान लगभग 88 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। हजारीबाग जिले में 5 अन्य स्थानों पर भी गर्म जल के स्रोत होते हैं। धनबाद में 3 गर्म जल के स्रोत, दुमका में एक स्थान पर और पलामू जिले में एक स्थान पर जलस्रोत है। यहां के जल स्रोत पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किए जा रहे हैं जिससे राज्य सरकार की आय में वृद्धि होगी।
सूरजकुंड | हजारीबाग |
तेतुलिया | धनबाद |
ततहा | पलामू |
दुआरी | चतरा |
काबा | हजारीबाग |
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