ScienceStudy Material

जीव जनन से जुड़े लघु उत्तर वाले प्रश्न

Contents show

जनन किसे कहते हैं? जीव जनन क्यों करते हैं?

जीवो में वंश वृद्धि को जनन कहते हैं। जीव जनन निम्नलिखित कारणों से करते हैं –

  • यह किसी स्पीशीज की समष्टि के लिए उसे बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  • यह प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  • इससे विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है जिससे जीवो के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।  इससे नई स्पीशीज के विकास में सहायता मिलती है।

जनन कितने प्रकार का होता है?

लैगिक जनन- नर तथा मादा का युग्मक की सहायता से संतान उत्पन्न करने की क्रिया को लैगिक जनन कहते हैं। नर के शुक्राणु में व मादा के अंडाणु मिलकर युग्मनज बनाते हैं जिस से भ्रूण तथा भ्रूण से जीव बनता है। उदाहरण- पक्षी, मनुष्य, मेंढक आदि।

अलैंगिक जनन- बिना नर तथा मादा युग्मको के संतान उत्पन्न करने की क्रिया को अलैंगिक जनन कहते है। इस क्रिया में पौधे के किसी भाग में विशेष परिवर्तन आकर बीजाणु बनते हैं। जो अनुकूल वातावरण में नए पौधे को जन्म देते हैं। इस में नर युग्मक तथा मादा की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण- अमीबा, स्पंज, मूंगे, मयूकर आदि।

सजीव व निर्जीव में कोई चार अंतर लिखो?

सजीव निर्जीव
यह सांस लेते हैं। यह सांस नहीं लेते हैं।
इनमें कोशिकीय के संगठन होता है। इनमें कोशिकीय संगठन का अभाव होता है।
सजीव भोजन खाते हैं। निर्जीव भोजन नहीं खाते हैं।
इनमें विकास और वृद्धि होती है। इनमें विकास और वृद्धि नहीं होती है।

हमें किस प्रकार पता चलता है कि विभिन्न जी एक ही स्पीशीज़ से संबंधित होते हैं?

  • उनके गुणों का अवलोकन कर के।
  • एक ही स्पीशीज से संबंधित जीवो के गुण भी समान होते हैं तथा उनकी शारीरिक संरचना भी समान होती है।
  • किसी एक ही जाति के जीव आपस में संकरण कर सकते हैं।

विभिन्नताओं का क्या महत्व है?

  • विभिन्नताएँ किसी जाति विशेष के सदस्यों की पहचान एक कल रूप से करने में सहायक है।
  • विभिन्नताएँ अच्छे ढंग से जीवित रहने के अवसर प्रदान करती है।
  • विभिन्नताएँ लंबे समय में नई स्पीशीज़ की उत्पत्ति में सहायक है।

समष्टि की विभिन्नताएं अधिक महत्वपूर्ण होती है, कैसे?

यदि समष्टि अपने परिवेश के अनुकूल अपने आपको ढालने में असमर्थ रहे तो समष्टि का समूल विनाश संभव है। परंतु जब समष्टि में विभिन्नताएं हो, तो कुछ विशेष समष्टि परिवेश के अनुकूल डालने में सफल हो सकती है और समूल विनाश से बच सकती है। इस प्रकार, वे विभिन्नताएं जो जीवो में विद्यमान है उनके अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक है।

तीन कारकों की सूची बनाइए जो आवास थानों में जीवो के कार्य में परिवर्तन ला सकती है।

  • पृथ्वी के वायुमंडल में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन।
  • विनाशकारी परिस्थितियां, जैसे बाढ, सूखा, उल्का पिंड आदि का टकराना आदि पास आवास तथा उनके कार्य में परिवर्तन ला सकती है।
  • जैव-विकास या विदेशी स्पीशीज़ जो हानिकारक प्रवृत्ति की होती है, जैसे यूकेलिप्टस, पारथेनियम,हिस्टेरोफॉरेस।

अमीबा में जनन प्रक्रिया का वर्णन करें?

अमीबा में जनन सम्मानित द्वि-खंडन विधि द्वारा होता है। अमीबा की कोशिका दो समान कोशिकाओं में विभक्त हो जाती है।

  • पहले केंद्रीय असमसूत्री विभाजन के द्वारा दो भागों में विभक्त हो जाता है।
  • इसके बाद कोशिकाद्रव्य का विभाजन लगभग दो समान भागों में हो जाता है।
  • इसके बाद कोशिका दो समान भागों में बांट कर दो सतंति कोशिकाओं (जीवो) में विभक्त हो जाती है तथा प्रत्येक संतति कोशिका में एक केंद्र विद्यमान रहता है।

लेस्मानिया में द्विखंडन किस प्रकार होता है?

लेस्मानिया एक एक कोशिकीय जंतु है, जो कालाजार नामक रोग का रोगाणु है।

यह एक कोशिकीय जीव कुछ जटिल संरचना प्रदर्शित करता है, इसमें जीव (कोशिका) के एक सिरे पर एक चाबुक जैसी संरचना होती है।

लेस्मानिया में द्विखण्डन  शरीर सरचना के एक निश्चित दिशा में होता है। इसमें शरीर का ऊर्ध्वाधर विभाजन होता है, जिससे संतति जीव बनते हैं।

यीस्ट में अलैंगिक जनन किस प्रकार होता है?

यीस्ट समानता मुकुलन द्वारा जनन करते हैं। यीस्ट एक कोशिका कवक है।

हाइड्रा में अलैंगिक जनन किस प्रकार होता है?

हाइड्रा एक बहुकोशिकीय सिलेटरेंट है ।

  • किसी विशेष स्थान पर लगाकर कोशिका विभाजन के द्वारा एक प्रवर्ध उत्पन्न होता है जिसे मुकुल कहते हैं।
  • यह मुकुल पूर्ण के रूप में विकसित हो जाते हैं।
  • जब ये पूर्ण रूप से परिपक्व होते हैं, तो मुकुल पैतृक शरीर अतिरिक्त शरीर से अलग है होकर नए स्वतंत्र जीव के रूप में विकसित हो जाते हैं।

प्लेनेरिया में पुनरुदभवन किस प्रकार नए जीवो के विकास में सहायता करता है?

पुनरुदभवन वह पर घटना है जिसमें जीव अपने खोए हुए अंगों का विकास या पूर्ण शरीर ही अपने शरीर के छोटे से भाग से कर लेता है।

  • प्लेनेरिया में  पुनरुदभवन विशेष कोशिकाओं या कटे हुए भागो द्वारा होता है।
  • यह कोशिकाएं विभाजित होकर अनेक कोशिकाएं बनाती है।
  • कोशिकाओं में इस द्रव्यमान से कोशिकाएं विभाजित होकर विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं में उत्तक बनाती है।
  • ये सभी परिवर्तन एक संगठित क्रम में होते हैं और इस प्रक्रिया का विभेदन कहते हैं।

नोट- पुनरुदभवन की क्षमता केवल निम्न प्रकार के जीवों में पाई जाती है।  हाइड्रा एक अन्य जंतु का उदाहरण है जिसमें यह क्षमता पाई जाती है।

उत्तक संवर्धन तकनीकी के क्या क्या लाभ है?

  • पौधों को बिना बीज के पाया जा सकता है
  • पौधे जो इस प्रकार के बीज उत्पन्न नहीं करते जो कि उग सके, उन्हें भी इस विधि द्वारा संवर्धित किया जा सकता है।
  • उत्तक के एक छोटे से भाग द्वारा अनेकों पौधे उगाए जा सकते हैं।
  • यह बहुत ही सरल और सस्ती तकनीक है।

चार पौधों के नाम बताइए जिन्हें कायिक प्रवर्धन द्वारा संवर्धित किया जा सकता है?

गुलाब, बोगनविलिया, डेहलिया, ब्रायोफिलम, आलू आदि।

पौधों में कायिक प्रवर्धन पौधे के किस किस भाग में होता है? उदाहरण भी दे।

  • जड़ द्वारा, जैसे शकरकंदी में।
  • तने द्वारा, जैसे आलू, अदरक, गन्ना में।
  • पतियों द्वारा, जैसे ब्रायोफिलम में।

पौधों में कुत्रिम कायिक प्रवर्धन की विधियों के नाम लिखें।

  • कलम लगा कर, जैसे गुलाब, गन्ना में।
  • दाव लगा कर, जैसे अंगूर, चमेली में।
  • कलम चढ़ा कर, जैसे आम, अमरूद, लीची में।
  • कलिका चढ़ा कर, जैसे बोगनेवेलिया, निंबू में।
  • उत्तक संवर्धन द्वारा, जैसे आर्किड, एस्पेरेगस रबड़ में,

कायिक प्रवर्धन के लाभ लिखें।

  • एकल पौधे द्वारा जनन संभव है।
  • कायिक प्रवर्धन द्वारा तैयार पौधों में पुष्प व फल, बीज द्वारा तैयार पौधे की तुलना में कम समय में मिलने लगते हैं।
  • यह विधि उन पौधों के लिए उपयोगी है, जिन पौधों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं है।
  • इस विधि द्वारा उत्पन्न सभी पौधे अनुवांशिक रूप से जनक के समान होते हैं। अंत: पौधों के विशेष गुण सहेज कर रखना इस विधि के द्वारा आसान है।
  • इस विधि द्वारा रोग प्रतिरोध/किस्में तैयार करना सरल है।

लैंगिक तथा अलैंगिक जनन के बीच अंतर कीजिए।

लैंगिक जनन अलैंगिक जनन
इसमें युग्मक बनते हैं तथा उनका सहयोग होता है इसमें युग्मक नहीं बनते और ना ही उनका सहयोग होता है।
इसमें दोनों पैतृक भाग लेते हैं। इसमें केवल जनक/पैतृक भाग लेता है।
जीवो के दोबारा संयोग के कारण अनेक गुण विकसित होते हैं। समानयत: कोई नया लक्षण/गुण विकसित नहीं होता है।
यह सामान्य उंच पौधे और जंतुओं में होता है। यह केवल निम्न पौधों और जंतुओं में होता है।

स्वपरागण तथा परागण के बीच अंतर स्पष्ट करें ?

स्वपरागण परपरागण
पराग कणों का उसी फूल के या उसी पौधे पर लगे अन्य फूल के  वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होने की क्रिया स्वप्रागण कहलाती है। पराग कणों का एक पौधे पर लगे फूलों से अन्य पदों पर लगे फूलों के वर्तिकाग्र  तक स्थानांतरित होने की प्रक्रिया परपरागकण कराती है।
इसमें अधिक की विभिन्नताएं उत्पन्न नहीं होती है। इसमें विभिन्नताएं उत्पन्न होती है।
पराग कणों के खराब होने के कम अवसर हैं। पराग कणों के खराब होने के अधिक अवसर हैं।

स्वपरागण परपरागण में से पौधों के लिए कौन सी ज्यादा लाभदायक है? व्याख्या करें।

स्वपरागण की बजाय परपरागण ज्यादा लाभदायक है क्योंकि-

  • इस प्रक्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ होते हैं।
  • इस प्रक्रिया से नई जातियों उत्पन्न करना संभव है।

अंड/डिंब तथा शुक्राणु के बीच अंतर करें?

अंड/डिंब शुक्राणु
यह मादा युग्मक है। यह नर युग्मक है।
यह आकार में बड़ा होता है। यह आकार में छोटा होता है।
इसमें पूंछ व सिर अनुपस्थित होते हैं। इसमें पूंछ व सिर उपस्थित होते हैं।
यह अगतिशील है। यह गतिशील होता है तथा तैर सकता है।
इसमें कोशिका द्रव्य भरा होता है। इसमें कोशिका द्रव्य लगभग अनुपस्थित होता है।

परागण के चार कारकों के नाम बताइए।

वायु, जल, कीट, पक्षी, जंतु आदि।

मनुष्य में निषेचन के पश्चात होने वाले परिवर्तनों का कारण करें।

लैंगिक क्रिया के पश्चात शुक्राणुओं को योनि में जमा कर दिया जाता है। जहां से ग्रीवा, गर्भाशय में से होते हुए अंड वाहिनी नलिका में अंड तक पहुंच जाते हैं। अंड का निषेचन अंड वाहिनी नलिका में होता है।

नर तथा मादा युग्मक के संयोग से युग्मनज बनाता है, जो फिर विभाजित हो कर दो, चार, 8 कोशिकाओं वाली संरचना बनाता है। इस बीच यह अडवाहिनी में से गति करता रहता है, फिर यह कोशिकाओं का एक ठोस द्रव्यमान बनाता है जिसे मोरूला कहते हैं। बाद में मोरूला के अंदर एक गुहा विकसित होती है। इस सतना को ब्लास्टूला कहते हैं। ब्लास्टूला गर्भाशय में पहुंचने पर गर्भाशय की भिती पर रोपित हो जाती है। जहां पर यह भ्रूण में विकसित होती है, जो बाद में शिशु का रूप धारण करता है।

अपरा (प्लेसेंटा) के क्या कार्य है?

  • माता से शिशु को पोषण अपरा के माध्यम से प्राप्त होता है।
  • विकासशील शिशु के शरीर से व्यर्थ पदार्थ अपरा के माध्यम से ही बाहर आ जाते हैं।
  • माता के शरीर से प्रतिरक्षी शिशु में अपरा के माध्यम से ही प्रवेश करते हैं जो उसे रोगों से बचाते हैं।

माता के गर्भाशय में स्थित शिशु से व्यर्थ पदार्थ किस प्रकार बाहर निकाले जाते हैं?

व्यर्थ पदार्थों को शिशु के शरीर से अपरा के माध्यम से ही बाहर निकाला जाता है। इनका विसरण माता के शरीर में हो जाता है जहां से वृक्क में रक्त के अपोहन के द्वारा इन्हें मूत्र के रूप में बाहर निकाला जाता है।

लीडिंग कोशिका किसे कहते हैं?

यह कोशिका वृषण के क्रियात्मक अवयओं में से एक है, इन्हें अंतराली कोशिकाएं भी कहते हैं। यह नर लैंगिक हॉर्मोन testostrone का स्त्राव करती है जो प्राथमिक एवं द्वितीयक लैंगिक गुणों का विकास करने में तथा शुक्राणुओं के बनने में सहायता करता है।

रजोनिवृत्ति कब होती है?

मादा में रजोदर्शन तथा रजोनिवृत्ति के बीच का समय 12 से 50 वर्ष तक जनन काल कहलाता है। गर्भधारण करने की अवस्था में या फिर लगभग 50 वर्ष की आयु से अधिक आयु होने पर रजोनिवृत्ति हो जाती है। शिशु के जन्म लेने तक अंडोत्सर्ग तथा रजोधर्म दोनों बंद रहते हैं।

मासिक धर्म के बंद होने के कारण लिखिए।

गर्भाशय की दीवार तथा भ्रूण के बीच एक विशेष उत्तक विकसित होता है जिसे प्लेसेंटा कहते हैं। प्लेसेंटा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्त्राव कर मासिक धर्म को बंद कर देता है।

मादा में निषेचन और प्रसव तक की क्रियाओं का उल्लेख करें।

मैथुन क्रिया द्वारा नर युग्मक (शुक्राणु) स्त्री जननांग में प्रवेश कर गर्भाशय की ओर बढ़ता है। केवल एक शुक्राणु डिंब वाहिनी नली में अंडाणु निषेचित करता है। अंडोत्सर्ग काल में मैथुन क्रिया यूग्मनज बनाते है तथा ऋतु स्त्राव बंद हो जाता है। उसके उपरांत युग्मनज़ से भ्रूण के विकास के लिए पोषण, श्वसन तथा उत्तरण की पूर्ति मातृ शरीर से अपरा द्वारा होती है। गर्भाशय में जन्म लेने तक गर्भ के विकास को गर्भावती कहते हैं। इसके समाप्त होते ही अर्थात लगभग की 228 दिन की गर्भवती के उपरांत गर्व का जन्म होता है इस क्रिया को प्रसव कहते हैं।

गर्भनिरोधक युक्तियों अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?

गर्भनिरोधक वे युक्तियां/विधियां होती है जो गर्भधारण को रोकती है। यह यांत्रिक अवरोधक, रसायन (शुक्राणु नाशक) या हार्मोन (जो अंडोत्सर्ग को रोकते हैं) होते हैं।

गर्भनिरोधकों का उपयोग

  • इन्हें गर्भधारण को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • इन्हें जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • इसे यौन संचारित रोगों को रोकने के लिए प्रयोग करते हैं,  जैसे- निरोध (कंडोम)।

कन्या शिशु लिंगानुपात घटने का प्रमुख कारण क्या है?

शल्यचिकित्सा द्वारा अनचाहे गर्भ को हटाया जा सकता है। इस तकनीक का दुरुपयोग जब उन लोगों द्वारा किया जाता है जो विशेष लिंग अर्थात नर लिंग को ही चाहते हैं और इस प्रकार गैर- कानूनी कार्यक्रम मादा गर्भ को नष्ट कर दिया जाता है।  इस प्रकार, हमारी जनसंख्या में मादा लिंग तेजी से घट रहा है। विशेषकर हरियाणा, पंजाब में लिंग अनुपात का अंतर काफी तेजी से बढ़ रहा है जो अपने में एक भारी चिंता का कारण है।

मानव की इतनी जनसंख्या चिंता का विषय क्यों बन गई है?

स्थान तथा खाद्य पदार्थों की कमी, गरीबी को बढ़ाना, शिक्षा तथा चिकित्सा सुविधाओं में कमी, प्रदूषण का बढ़ना, बेरोजगारी का बढ़ना, तनाव, निराशा तथा असंतोष का बढ़ना।

एडस क्या है? इसके लक्षण तथा बचने के उपाय लिखें।

एडस का पूरा नाम है उपार्जित रोधक्षमता हीनता जन्य.  एडस स्वयं में कोई रोग नहीं है, लेकिन प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर शरीर अनेक रोगों/संक्रमण से ग्रसित हो जाता है।

लक्षण

  • शरीर की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
  • लंबे समय तक बुखार रहता है जिसका कोई कारण दिखाई नहीं देता।
  • अचानक शरीर का वजन कम हो जाता है।
  • समरण शक्ति समाप्त हो जाती है।

एड्स से बचने के उपाय

  • सुरक्षित यौन संबंध- कंडोम का प्रयोग।
  • यौन संबंध केवल एक जीवन साथी के साथ।
  • सुरक्षित रक्त आदान- प्रदान।
  • निवर्जनीय सुई का प्रयोग।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close