कुछ लोगो में बीमारियाँ उनको पूर्वजों से मिलती है जैसे मधुमेह, बालों का झड़ना, बड़े बड़े बाल होने, रंग पहचाने में दिक्कत होना, कद का छोटा और कम विकसित होना, खून का कैंसर होना, या मंद बुद्धि, नेत्र रोग होना. इस तरह के रोग मानव में जेनेटिक रोग के लक्षण है.
यह सभी मानव में होने वाले जेनेटिक रोग है जो हमारे जीन के आदान प्रदान से हमारे बच्चों में होते है. अभी हाल ही में इसके ऊपर कई विकसित प्रणाली बनाई गयी है जिसकी मदद से खराब gene pool को हटाया जा सकता है.
इसमें पिता के Y गुणसूत्र बच्चे तक जाता है और इसमें बच्चे के कर्णपल्लव पर बड़े बड़े बाल उगने लगते है.
इसमें रोगी को लाल और हरा रंग दिखाई नही देता है. यह ज्यादातर पुरुषों में होता है. स्त्रियों में यह रोग 0.9% पाया जाता है.
यह रोग स्त्रियों में तभी होता है जब माता पिता दोनों में यह रोग हो.
इस रोग कम उम्र के बच्चों में बुढ़ापे जैसे लक्षण दिखाई देने लगते है. यह एक दुर्लभ रोग है जो की एक वंशानुगत रोग है.
इसे ‘हचिंगसन-गिल्फोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम’ या हचिंगसन-गिल्फोर्ड सिंड्रोम’ भी कहते हैं।
प्रोजेरिया में बच्चे की उम्र तेजी से बढती है और वो छोटी सी उम्र में ही बूढ़े दिखने लगते है.
इस रोग की वजह से चोट लगने के बाद में 1/2 घंटे से लेकर 24 घन्टे तक खून का थक्का नही बनता.
सामान्य मानव के खून का थक्का 2 से 5 मिनट में बन जाता है.
यह रोग स्त्रियों में होता है. इसमें स्त्रियों का शरीर कम विकसित, कद छोटा रहना और छाती का चपता रहना जैसे लक्षण होते है.
इसके अलावा उनके जनन अंग भी विकसित नही होते है जिसकी वजह से उनको बाँझपन होता है. यह रोग 5000 स्त्रियों में से 1 को होता है.
इस रोग में रोगी का ऊपर का होठ बीच से कट जाता है. इसके अलावा तालू में दरार, मंद बुद्धि, आँखों के रोग जैसे लक्षण देखने को मिलते है.
इस रोग के रोगी मंदबुद्धि होते है. इसके रोगी की जीभ मोटी और शरीर का ढांचा भी अनियमित होता है. इसे मंगोलिज्म भी कहते है.
इसमें गुण सूत्रों की संख्या 46 की जगह 47 हो जाती है और यह ज्यादातर पुरुषों में होता है. इसमें रोगी के वृषण विकसित नहीं हो पाते इसके अलावा इसमें औरतों के जैसे स्तन विकसित होने लगते है.
इस रोग से पुरुष नपुंसक होते है. यह रोग 500 लोगो में से एक को होता है.
इसमें रोगी को खून का कैंसर होता है. इसे फिलाडेल्फिया क्रोमोसोम भी कहते है.
यह भी जेनेटिक रोग होता जिसमें चमड़ी में मछली के छिलकों के समान पपड़ी बन जाती है.
यह एक चर्म रोग है जिसमें चमड़ी पर सफेद छोड़ने वाले लाल रंग के चकते बन जाते है.
इस रोग में एक हाथ की पांच उँगलियों के जगह पर 6 या इससे अधिक हो सकती है.
इस रोग में कई तरह के आँखों से जुड़े रोग होते है. ये रोग तिरोधायक, तिरोहित और लिंगग्रथित जीन के दोष के कारण होता है.
इसमें मोतियाबिंद , अति निकटदृष्टि, ग्लॉकोमा, दीर्घदृष्टि , वर्णांधता , रतौंधी और दिनांधता जैसे रोग हो जाते है.
जेनेटिक रोगों में मधुमेह (मूत्र में शर्करा का निकलना, डायबिटीज़), गठिया, चेहरे का विकृत और भयावह हो जाना जैसे रोग भी आनुवांशिकी रोग होते है.
Genetics रोगों को दूर करने के लिए एक प्रणाली बनाई गयी जिसका नाम सुजनिकी कहा जाता है.
सुजनिकी का पिता सर फ्रांसिस गाल्टन है.
इस प्रणाली में उत्तम गुणों का चयन करके वंशानुगत को बढ़ावा देकर और खराब लक्षणों को रोककर आने वाली प्रजाति को जीन पूल को सुधारा जाता है.
मानव के उच्च जेनेटिक लक्षणों का उत्तम पोषण और शिक्षा विकास का अध्ययन को सौपरिवेशिकी कहा जाता है.
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…