महँगाई किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य बढ़ौतरी को कहा जाता है। जब सामान्य मूल्य बढ़ते हैं, तब मुद्रा की हर ईकाई की क्रय शक्ति में कमी होती है, अर्थात् पैसे की किसी मात्रा से पहले जितनी माल या सेवाओं की मात्रा आती थी, उसमें कमी हो जाती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको महंगाई व विविध पक्ष से जुड़े सवाल और उनके जवाब दे रहे है.
महंगाई व विविध पक्ष से जुड़े सवाल और उनके जवाब

Q. मुद्रा के मूल्य में कमी होने से सामान्य मूल्य स्तर पड़ जाता है तो इसे किस की संज्ञा दी जाती है?
Ans. मुद्रास्फीति
Q. मुद्रास्फीति को क्या कहा जाता है?
Ans. मुद्रा प्रसार
Q. भारत में मुद्रास्फीति की गणना किसके आधार पर की जाती है?
Ans. थोक मूल्य सूचकांक
Q. थोक मूल्य सूचकांक में परिवर्तन की दर क्या कहलाती है?
Ans. मुद्रास्फीति
Q. भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति किस विधि से ज्ञात की जाती है?
Ans. औसत विधि तथा बिन्दु-दर-बिन्दु विधि
Q. औसत विधि के अंतर्गत कितने सप्ताह है उसके मूल्य सूचकांक परिवर्तन की दर ज्ञात किया जाता है?
Ans. 52 सप्ताह
Q. मौद्रिक आय में कमी का कारण एक कारण क्या है?
Ans. चलन एवं सांख की मात्रा में कमी होना
Q. भारत में थोक मूल्य सूचकांक की अवधारणा पहली बार कब प्रचलन में आई थी?
Ans. 1942
Q. आधार वर्ष का सूचकांक सदैव कितना होना चाहिए?
Ans. 100
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