द्रव्य
कोई भी वस्तु या पदार्थ जिसमें स्थान घेरने की क्षमता हो तथा जिसका कोई भार हो, द्रव्य कहलाती है।
द्रव्य (matter) सामान्यत: तीन अवस्थाओं में पाया जाता है- ठोस, द्रव तथा गैस.
ठोस, द्रव और गैस में कुछ गुण अधिक स्पष्ट रूप से पाए जाते है, जो निम्नलिखित है.
- ठोस-प्रत्यास्थता
- द्रव-दाब, प्लवन, पृष्ठ तनाव, केशिकात्व, श्यानता
- गैस-वायुमंडलीय दाब
ठोसों के गुण
प्रत्यास्थता
प्रत्यास्थता (Elastic) किसी पदार्थ का वह गुण है.
जिसके कारण वस्तु किसी विरुपक बल के द्वारा उत्पन्न आकार अथवा रूप के परिवर्तन का विरोध करती है तथा विरुपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त करने का प्रयत्न करती है.
प्रतिबल
प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले आंतरिक बल को प्रतिबल (Stress) कहते है.
इसका मात्रक न्यूटन/ मी2 या पास्कल होता है.
विकृति
किसी वस्तु के एकांक आकार में परिवर्तन, उस वस्तु की विकृति (Strain) कहलाती है.
प्रतिबल तथा विकृति का अनुपात नियतांक होता है, इसे प्रत्यास्थता गुणांक γ कहते है.
E= प्रतिबल/विकृति
इसे हुक का नियम कहते है.
यदि विकृति तथा प्रतिबल अनुदैर्ध्य हो तो प्रत्यास्थता गुणांक को यंग प्रत्यास्थता गुणांक γ कहते है.
आपेक्षिक घनत्व
आपेक्षिक घनत्व= वस्तु का घनत्व / 4० C पर पानी का घनत्व
आपेक्षिक घनत्व (Relative Density) को हाइड्रोमीटर से मापा जाता है.
समुद्र के जल का घनत्व साधारण जल के घनत्व से अधिक होता है.
लोहे का घनत्व जल के घनत्व से अधिक तथा पारे के घनत्व से कम होता है इसलिए लोहे का टुकड़ा पानी में डूब जाता है, लेकिन पारे में तैरता रहता है.
किसी बर्तन में पानी भरा है और उस पर बर्फ तैर रही है, जब बर्फ पूरी तरह पिघल जाएगी तो पात्र में पानी का तल बढ़ता नहीं है, पहले के समान ही रहता है.
जब पानी में तैरता है,तो उसके आयतन का 1/10 भाग पानी के ऊपर रहता है.
किसी सतह के एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बाह्य बल को दाब कहते है.
दाब= बल/क्षेत्रफल
इसका मात्रक न्यूटन/मी2 है. यह एक सदिश राशि है, वायुमंडलीय दाब बैरोमीटर से मापा जाता है.
बैरोमीटर का पाठ्यांक जब एकाएक नीचे गिरता है, तो आंधी आने की संभावना होती है.
बैरोमीटर का पाठ्यांक जब धीरे-धीरे नीचे गिरता है, तो वर्षा होने की संभावना होती है. इसका पाठ्यांक जब धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता है तो तीन दिन साफ़ रहने की संभावना होती है.
हाइड्रोलिक लिफ्ट, हाइड्रोलिक प्रेस, हाइड्रोलिक ब्रेक आदि पास्कल नियम पर आधारित है.
दाब बढने पर पदार्थ गलनांक बढ़ जाता है. गर्म करने पर जिन पदार्थो का आयतन घट जाता है, दाब बढाने पर उनका गलनांक भी कम हो जाता है. सभी द्रवों का क्वथनांक दाब घटाने पर घट जाता है.
पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है, जिसके कारण पहाड़ों पर खाना बनाने में कठिनाई होती है.
वायुयान में बैठें यात्री के फाउंटेन पेन से स्याही रिस जाती है, व्यक्ति की नाक से खून निकलने लगता है.
अधिक ऊँचाई पर कम दाब के कारण वायु की मात्रा कम होती है, अत: साँस लेने में कठिनाई होटी है.
पास्कल का नियम
यदि किसी द्रव के नियत आयतन पर दाब आरोपित किया जाए, तो यह दाब बिना किसी क्षय के सम्पूर्ण द्रव में सभी दिशाओं में संचारित हो जाता है.
आर्किमिडीज का सिद्धांत
जब वस्तु किसी द्रव में डुबोई जाती है, तो उसके भार से कमी होती है, भार में यह आभासी कमी वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है.
लोहे की बनी छोटी-सी गेंद पानी में डूब जाती है. तथा बड़ा जहाज तैरता रहता है, क्योकि जहाज द्वारा विस्थापित किए गए जल का भार उसके भार से बराबर होता है.
हाइड्रोजन से भरे गुब्बारे हवा में उड़ते है, क्योकि हाइड्रोजन का भार इसके द्वारा प्रतिस्थापित वायु के भार से कम होता है.
पृष्ठ तनाव
प्रत्येक द्रव का स्वतंत्रता पृष्ठ सिकुड़कर न्यूनतम क्षेत्रफल ग्रहण करने की प्रवृति प्रदर्शित करता है, जिसे द्रव का पृष्ठ तनाव (Surface Tension) कहते है. इसका SI मात्रक न्यूटन-मीटर है.
द्रव का ताप बढाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है. और क्रान्तिक ताप शून्य हो जाता है. साबुन के घोल के बुलबुले घोल के पृष्ठ तनाव कम होने के कारण बड़े बनते है.
पृष्ठ तनाव कारण ही द्रव की बुँदे वृताकार होती है. पानी में मिट्टी का तेल डालने पर पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, जिसके कारण पानी की साथ पर तैरते मच्छर के अंडे आदि डूब जाते है.
नदी से समुद्र में पहुँचने पर जहाज थोडा ऊपर उठ जाता है, क्योकि समुद्र में उपस्थित नमक के कारण इसकी सघनता अधिक होती है. साफ़ जल का पृष्ठ तनाव, साबुन के घोल के पृष्ठ तनाव से अधिक होता है.
साबुन के घोल को जल में मिलाकर जल के पृष्ठ तनाव को कम किया जा सकता है. एक ही पदार्थ के अणुओ के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को ससंजक बल कहते है, जबकि विभिन्न पदार्थों के अणुओ के बीच आकर्षण बल को आसंजक बल कहते है.
पृष्ठ तनाव का कारण
पृष्ठ-तनाव पदार्थों का आणविक गुण है, अणुओ के बीच लगने वाले ससंजक या आसंजक बल है. आसंजक बल के कारण ही जल किसी वस्तु को भिगोता है एंव पारा कांच से नहीं चिपकता है, आदि
केशिकात्व
केश्नाली में द्रव के ऊपर चढने या नीचे उतरने की घटना को केशिकात्व कहते है.
श्यानता
श्यानता (Viscosity) द्रव का वह गुण है, जिसके कारण वह अपनी विभिन्न परतों में होने वाली आपेक्षित गति का विरोध करता है, ताप बढाने पर द्रवों की श्यानता घट जाटी है, परन्तु गैसों की बढ़ जाती है.
सांतत्य समीकरण
किसी पाईप से बहने वाले द्रव के लिए पाईप क्ले सभी बिन्दुओ पर द्रव के वेग तथा पाईप के अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल का गुणनफल सदैव नियत रहता है.
बरनौली प्रमेय
जब कोई आदर्श द्रव किसी नाली में धारा रेखीय प्रभाव में बहता है, तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिंदु पर उसके एकांक आयतन की कुल उर्जा (दाब उर्जा, गतिज उर्जा, एंव स्थितिज उर्जा) का योग नियत रहता है.
वेंच्युमीटर, बुनसन बर्नर, कार्बन फ़िल्टर पम्प मैग्नस प्रभाव तथा वायुयान की गति बरनौली प्रमेय पर आधारित है.