विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों की सूची तैयार करें?
वन, मृदा, कोयला, पेट्रोलियम, वायु, जल, खनिज लवण, वन्य जीवन।
गंगा के प्रदूषण के मुख्य कारण क्या है?
- गंगा में नहाना व कपड़े धोना।
- बिना जले या अधजले शरीर तथा अस्थियां गंगा में प्रवाहित करना।
- उद्योगों से निकला कचरा, रसायन गंगा में बहा देना।
- गंगा में मल मुत्र (सीवेज) को छोड़ना।
गंगा की प्रदूषण के दो प्रभाव बताएं।
- गंगा के पानी को जहरीला होना, जिसके प्रभाव से नदी के अधिकतर भाग में मछलियां मर जाती है।
- गंगा के पानी में उपस्थित सूक्ष्म जीव पीलिया तथा पेचिश जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।
प्रदूषण के मापदंड के रूप में उपयोग में आने वाले कुछ मापकीय कारकों की सूची बनाएं?
- पानी का pH मान पाने के अम्लीय या क्षारीय गुणों को प्रदर्शित करता है।
- पीने योग्य पानी में कोलीफार्म जीवाणुओं की उपस्थिति उसमें मल-मुत्र के पानी के मिश्रित होने की ओर संकेत करती है.
- पानी का रंग (परिवर्तन)।
- पानी का स्वाद व गंध।
3R क्या प्रदर्शित करते हैं और वे पर्यावरण को किस प्रकार बता सकते हैं? अथवा वातावरण संरक्षण हेतु उपयोगी पुनः प्रयोग एवं पुन परसंकरण पदों को स्पष्ट करें।
कम उपयोग
इसका अर्थ है संसाधनों का कम उपयोग करें। हम बिजली को अनावश्यक पंखे तथा लाइटों को बंद करके बचा सकते हैं।
पुन:चक्रण
इसका अर्थ है कि व्यर्थ पदार्थों, जैसे प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु के बर्तन/पदार्थ आदि को हमें दोबारा वस्तुएं बनाकर पुन चक्रीकृत करना चाहिए, न की अधिक संसाधनों का प्रयोग करके नई वस्तुएं बनने पर जोर देना चाहिए।
पुनः उपयोग
इसे नियोजन में हम वस्तुओं को बार बार उपयोग कर सकते हैं जैसा कि प्लास्टिक की बोतलें, कांच की बोतलें, आचार मुरब्बे आदि के लिए दोबारा उपयोग में लाई जा सकती है।
यह सभी क्रियाएं पर्यावरण को प्रदूषण से बचाती है तथा प्राकृतिक संसाधनों से दबाव को कम करती है। यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी सहायक है।
हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन क्यों करना चाहिए?
- उनमें से अधिकतर नवीकरण के योग्य है।
- वे शीघ्र समाप्त होने वाले हैं।
- वे आने वाली पीढ़ियों के लिए उपलब्ध नहीं रह पाएंगे।
- उनका प्रबंधन पर्यावरण की कम होती गुणवत्ता को कम करेगा या रोकेगा।
- संपोषित विकास के लिए।
पर्यावरणप् नियम क्या है? हमें उन की क्यों आवश्यकता है?
- वन (संरक्षण) एक्ट 1980।
- वायु (प्रदूषण बचाव व नियंत्रण) एक्ट 1980।
- पर्यावरण (सुरक्षा) एक्ट 1986।
- वन्य जीवन (सुरक्षा) एक्ट 1972, संशोधित 1991।
हमें पर्यावरण नियमों की आवश्यकता है क्योंकि कुछ व्यक्तियों को बलपूर्वक नियमों का पालन करने को बाध्य करने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए बनो तथा वन्य जीवो को लालची व्यक्तियों से बचाने के लिए नियमों को बलपूर्वक लागू करना पड़ता है।
संपोषित विकास का क्या अर्थ है? इसे प्राप्त करने की तीन विधियां बताइए?
- संसाधनों का शोषण दया करके।
- पर्यावरण सहायक (दोस्त) तकनीकों का विकास करके।
- वनोन्मूलन तथा वन्य जीवों का शिकार करके पर्यावरण व पारिस्थितिकी/पारितंत्र को हानि न पहुंचाकर।
गंगा के पानी के प्रदूषण के क्या स्रोत है?
- घर से निकला मल-मूत्र, कूड़ा कचरा, उद्योगों से निकले जहरीले व्यर्थ पदार्थों का पानी में मिलना।
- मानव क्रियाकलाप, जैसे नहाना, कपड़े धोना, अस्थियों तथा बिना जले शरीर को पानी में बहा देना।
- गंगा में सीवेज या मल मूत्र को बहा देना।
- धार्मिक क्रियाकलाप।
हम गंगा के जल का प्रदूषण किस प्रकार कम कर सकते हैं?
- गंगा के पानी में अस्थियां तथा अधजले या बिना जले शरीर को ना डालें।
- बिना उपचारित किए औद्योगिक कचरे को गंगा में प्रवाहित ना करें।
- नदी के पानी में मल मुत्र न बहाएँ।
- नदी के जल में ना तो स्वयं ना है और ना ही अपने पशुओं को नहलाएं।
विकास पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करता है?
औद्योगिककरण
उद्योगिक स्थापित करने के लिए वनों को काटना पड़ता है या इसके लिए कृषि योग्य भूमि का उपयोग करना पड़ता है। उद्योग पर्यावरण में बहुत सारा प्रदूषण करते हैं।
शहरीकरण
अधिक से अधिक लोग गांव की अपेक्षा शहरों में रहना पसंद करते हैं। इसलिए अधिक मकानों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे मकान बनाने के लिए कृषि योग्य भूमि का उपयोग करना पड़ता है।
यातायात तथा संचार
सुविधा पूर्वक अधिक यातायात व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए अधिक सड़के व रेल लाइन बिछानी पड़ती है, जिससे पर्यावरण का ह्रास होता है।
पर्यटन
पर्यटन उद्योग भी प्रकृति तथा प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत अधिक दबाव डाल रहा है। पर्यटकों को अधिक सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए होटलों का निर्माण किया जा रहा है जो प्राकृतिक व पर्यावरण की कीमत पर ही है।
हमारे लिए संसाधनों का प्रबंधन क्यों आवश्यक है?
- वे सीमित है तथा उनमें से अधिक निवर्तनीय है।
- वे आने वाली पीढ़ियों को भी उपलब्ध होने चाहिए।
- पर्यावरण को होने वाली हानी से बचाने के लिए।
- बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
क्या होगा यदि हम वर्तमान दर से संसाधनों का दोहन करते रहे?
- इससे पर्यावरण की स्थायी हानि होगी।
- इससे पर्यावरण का अधिक प्रदूषण होगा।
- इससे जैव विविधता की हानि होगी।
जैव- विविधता के संरक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- इससे पारिस्थितिकी संतुलन बना रहता है।
- इससे स्थिर जीन पूल बनाए रखने में सहायता मिलती है।
- यह खाद श्रृंखला व खाद्य जाल के द्वारा जीवन को बनाए रखती है।
- यह उपयोग के लिए अनेक अजैविक संसाधन उपलब्ध करवाती है। ‘
- यह पौधों की किस्में तथा जंतुओं की नस्ल सुधारने में सहायक है।
वनों के चार दावेदारों की सूची बनाएं।
- व्यक्ति जो वन के अंदर या आसपास के क्षेत्र में रहते है और अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर रहते हैं।
- वन विभाग जो उनकी देखरेख करता है।
- वन तथा वन्य जीवन के विषय में चिंता करने वाले व्यक्ति जो प्रकृति तथा प्राकृतिक स्त्रोतों का संरक्षण चाहते हैं और वनों को कोई हानि नहीं पहुंचाते।
- स्थानीय लोग जो उपयोग के लिए वन उत्पाद प्राप्त करते हैं और वनों को कोई हानि नहीं पहुंचाते।
हमने अपने वनों को क्यों खो दिया है।
- देश की आजादी से पूर्व वनों को अंग्रेजों द्वारा इमारती लकड़ी के लिए काटा जाता था जिसे वे UK को निर्यात कर देते थे।
- देश की आजादी के पश्चात उद्योग स्थापित किए गए, जिन्होंने वन उत्पादों का उपयोग कच्ची सामग्री के रूप में किया जिसे वनोन्मूलन हुआ।
- जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी अधिक भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए वनों को काटना पड़ा।
- जैसे ही लोगों में लालच बढ़ा, वनो को केवल आर्थिक लाभ के लिए काटा जाने लगा।
उद्योगों की एक सूची बनाएं जो वन उत्पादों पर निर्भर करते हैं ।
- कागज उद्योग।
- इमारती लकड़ी तथा फर्नीचर उद्योग।
- आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथिक फार्मोस्युटिकल उद्योग जो जड़ी बूटियों तथा औषधीय पौधों पर निर्भर करते हैं।
- रेजिन, गोंद, लाख तथा लेटेस्ट उद्योग।
वनों के संरक्षण में बिश्नोई समुदाय का क्या योगदान है?
वनों तथा वन्य जीवन के संरक्षण में बिश्नोई समुदाय का योगदान और राजस्थान में चिर परिचित है। बिश्नोईयों के लिए वन तथा वन्य जीवन का संरक्षण एक धार्मिक दायित्व रहा है। बहुत पहले सन 1731 में राजस्थान के जोधपुर के निकट खेजराली गांव में खेजरी वृक्षों की रक्षा करते हुए अमृता देवी बिश्नोई ने अन्य 363 व्यक्तियों के साथ अपना जीवन न्योछावर कर दिया। आज भी बिश्नोई वन तथा वन्य जीवो को प्यार करते हैंऔर यदि कोई उन्हें हानि पहुंचाने का प्रयास करता है तो वह उसके विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ते हैं।
हम अपने वनों का संरक्षण किस प्रकार कर सकते हैं।
- वनोन्मूलन के विभिन्न क्रियाकलाप बंद करके।
- भारी संख्या व मात्रा में पेड़ लगाकर वनीकरण के द्वारा।
- ब्लॉक कटिंग की विधि अपनाकर, तथा पेड़-पौधे लगाकर।
- सामाजिक वानिकी अपनाकर जिससे वनों पर दबाव घट जाता है।
- लोगों को वनोन्मूलन किया न्यू के बारे में जागरूक करके।
- बेकार बंजर पड़ी भूमि पर अधिक से अधिक पेड़ लगाकर।
संपोषित (सतत) प्रबंधन किस प्रकार किया जाता है?
प्राकृतिक संसाधनों का इस प्रकार प्रबंधन जिसमें हमें पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना, संसाधनों का ह्रास किए बिना लगातार लाभ होता रहे।
ऐसा प्रबंधन केवल तभी संभव है जब हम दावेदारों को ध्यान में रखें तथा संसाधनों के प्रबंधन में उनकी भागीदारी निश्चित करें। संसाधनों के प्रबंधन से उन्हें अलग रखने से संसाधनों का ह्रास होता है, क्योंकि दावेदारों को पता होता है की इन संसाधनों का प्रबंधन उन्हें हानि पहुंचाए बिना किस प्रकार किया जा सकता है।
वनोन्मूलन की क्रिया किस प्रकार हमारे पर्यावरण को प्रभावित करती है?
- इससे मौसम संबंधी परिवर्तन होते हैं।
- इससे ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ावा मिलता है।
- इससे वर्षा की मात्रा तथा उसका पैटर्न बदलता है।
- इससे मृदा अपरदन होता है।
- इससे जैव-विविधता का विनाश होता है।
वह व्यक्ति जो वनों के अंदर या उनके आस-पास रहते हैं वनों से क्या प्राप्त करते हैं?
- जलाने की लकड़ी तथा भूसा।
- अपनी झोपड़ियों के लिए लकड़ियों या बंबू।
- कृषि उपकरणों के लिए लकड़ी।
- अपने पशुओं के लिए चारा तथा चारागाह।
- फल व सब्जियां।
आजादी के बाद भारत में वनों का क्या हुआ?
- बहुत बड़े वन क्षेत्र से वनस्पति को नष्ट कर दिया गया।
- स्थानीय लोगों को वन उत्पादों के उपयोग करने से रोक दिया गया।
- जेव- विविधता को नष्ट करके समाप्त कर दिया गया।
- जहां से वनों को साफ कर दिया गया वहां वन नहीं लगाए गए।
उन चार क्रियाकलापों के नाम बताएं जो वनों को नष्ट करते हैं?
- वनों के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई।
- लगातार कई वर्षों तक बाढ़ का आना।
- वन क्षेत्र में अति चारण।
- वनों की आग के कारण बहुत बड़ा वन क्षेत्र में हो गया।
- पादप रोग तथा पीड़क।
- अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा इमारती लकड़ी चुराना।
चार विधियां बताएं जिनके द्वारा वन हमारे पर्यावरण को बनाए रखने में सहायता करते हैं। अथवा पर्यावरण में वनों की क्या भूमिका है?
- वे पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं।
- वे अनेक प्रकार के पौधों तथा जीव जंतुओं को निवास स्थान देकर जैव विविधता का संरक्षण करते हैं।
- वह हानिकारक सौर विकिरणों को अवशोषित कर लेते हैं।
- वे CO2\O2 के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
- वह स्वस्थ मौसम परिस्थितियां बनाए रखते हैं।
- वे बाढ तथा मृदा अपरदन को रोकते हैं।
- वे पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करते हैं।
चिपको आंदोलन का जन्म किस प्रकार हुआ? या चिपको आंदोलन का क्या अर्थ है, यह किस प्रकार उत्पन्न हुआ?
वन विभाग ने सन 1970 में उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के रैणी गांव में पेड़ों की कटाई का ठेका दिया। स्थानीय लोगों ने सरकार तथा ठेकेदार के इस कार्य का विरोध किया। जब ठेकेदार के आदमी पेड़ों को काटने के लिए रानी गांव के पास आए तब गांव की औरतें जल्दी से वन के अंदर पहुंच गई तथा पेड़ों के तनों के साथ चिपक गई। इसने मजदूरों को पेड़ों को काटने से रोक दिया।
आंदोलन का नेतृत्व एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुंदरलाल बहुगुणा ने किया और ठेकेदार तथा सरकार को अपना निर्णय वापस लेने के लिए बाध्य कर दिया और इस प्रकार वन क्षेत्र सुरक्षित बच गया।
मानव हस्तक्षेप किस प्रकार जल संसाधनों का प्रदूषण करता है?
- घरेलू कूड़ा करकट जब जलाशय में डाला जाता है तो उनका प्रदूषण होता है।
- जब मानव तथा जंतु मल मूत्र कोच्चि वेज के रूप में जलाशय में छोड़ दिया जाता है।
- अन- उपचारित औद्योगिक कचरा जग जलाशयों में छोड़ दिया जाता है तो जल प्रदूषण होता है।
- खेतों से गुजरने वह वाला बाढ़ का पानी दो जलाशय में मिलता है, उर्वरक तथा पीड़कनाशियों के कारण प्रदूषण का कारण बनता है।
- अपमार्ज़क (सर्फ) तथा कीटनाशकों के कारण भी जल प्रदूषण होता है।
बांध बनाने के क्या क्या उद्देश्य होते हैं?
- बांध जल विद्युत उत्पादन के लिए पानी को इकट्ठा करने के लिए बनाए जाते हैं।
- सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए।
- बाढ़ की स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए।
- छोटे बांध, चेकडैम भूमिगत जल के पुन: पुरण के लिए बनाए जाते हैं।
बड़े बांधों के निर्माण से क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न होती है? तीन समस्याओं का उल्लेख करें।
- इससे स्थानीय लोग विस्थापित होते हैं।
- इससे जैव विविधता वनस्पति तथा वाछादित क्षेत्र का विनाश होता है।
- इसे विस्थापित लोगों के लिए सामाजिक आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती है।
प्राथमिक संसाधनों तथा द्वितीय संसाधनों के दो दो उदाहरण दें।
- प्राथमिक संसाधन- जल, वायु, वन।
- द्वितीय संसाधन- प्राथमिक संसाधनों पर आधारित संसाधनों को द्वितीय संसाधन कहते हैं। बांध, पवन चक्की, लकड़ी, नहरे।
जल को भूमिगत संचित करने के क्या लाभ हैं?
- यह जल वाष्पीकृत नहीं होता है।
- इससे कुआं का पुनः पूर्ण होता है।
- यह काफी बड़े क्षेत्र की वनस्पति को नमी प्रदान करता है।
- यह रोग वाहको, जैसे मित्रों आदि को प्रजनन स्थल उपलब्ध नहीं कर पाता।
- यह मानव तथा जंतु अपशिष्ट से सुरक्षित रहता है।
- यह वायु में उपस्थित है सूक्ष्म जीवों से सदूषित नहीं होता है।
हम भूमिगत जल को बनाए रखने में क्यों असफल हुए हैं?
- वनस्पति की हानि, जो पानी के रिसाव में सहायता करती है।
- भूमिगत जल का सिंचाई के लिए अधिक उपयोग, विशेषकर ऐसी फसलों के लिए जिनको अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जैसे चावल।
- वैश्विक ऊष्मन तथा मौसम संबंधी परिवर्तन जिसे वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन होता है।
- वनोन्मूलन।
- घरेलू तथा औद्योगिक कचरे के कारण भूमिगत जल का प्रदूषण।
जल संरक्षण की छ: विधियों का वर्णन करें?
- वनोन्मूलन को रोके तथा वनीकरण को अपनाएं।
- वर्षा के जल का सपोषण करें।
- सभी के लिए वर्षा के पानी के सम पोषण हेतु पार्केलेशन पीट बनाना अनिवार्य किया जाए ताकि भूमिगत जल का पुनः पूर्ण हो सके।
- फसलों के उगने में परिवर्तन करें। अधिक बहुतायत है।
- बाढ़ को नियंत्रित करने तथा सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति बनाए रखने के लिए छोटे बांध का जलाशय बनाएं।
- पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने देने के लिए जल चक्र को बनाए रखें। वनस्पति आच्छादित क्षेत्र बढ़ाएं।
जल संभर प्रबंधन के क्या लाभ है?
- इससे सुखा व बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।
- यह नदी नालों पर बने बांध तथा जलाशयों के जीवन को बढ़ाता है।
- ईश्वर फसलें उगने में सहायता मिलती है तथा उत्पादन बढ़ता है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- यह जल को बचाकर सरक्षित करता है।
जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न 4 हानिकारक गैसों के नाम लिखें।
कार्बन मोनोऑक्साइड, मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड।
हम कोयला तथा पेट्रोलियम के उपयोग को क्यों नहीं बंद कर सकते हैं?
- यह परंपरागत ऊर्जा के स्रोत है।
- ये सुगमता/आसानी से उपलब्ध है।
- कैलोरी मान के अनुसार/हिसाब से यह बहुत अच्छे इंधन है।
जीवाश्म इन दिनों के उपयोग के हानिकारक प्रभाव कौन से हैं?
- श्वसन तथा गले से संबंधित समस्याएं.
- आंखों में जलन.
- फेफड़ों में गैसों के आदान-प्रदान में कठिनाई.
- त्वचा रोग, आदि.