History

भारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

19वीं सदी में भारत में कई सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन आंदोलन हुए इसी वजह से 19वीं सदी को धार्मिक एवं सामाजिक पुनर्जागरण की सदी माना गया. 

भारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

भारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

ब्रह्मसमाज

इसकी स्थापना राजा राम मोहन राय ने 1829 ई. में की थी.

इसका उदेश्य तत्कालीन हिन्दू समाज में व्याप्त बुराईयों जैसे सती प्रथा, बहु विवाह, वेश्या गमन, जातिवाद और अस्पृश्यता आदि को समाप्त करना था. राजा राम मोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का मसीहा माना जाता है.

राजा राम मोहन राय की कुछ प्रमुख कृतियों में ‘प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस’ प्रमुख है तथा उन्होंने ‘संवाद कौमुदी’ का भी संपादन किया.

उन्होंने 1815 ई. में आत्मीय सभा की स्थापना की तथा 1925 ई. में वेंदात कॉलेज की स्थापना की थी.

उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध आंदोलन चलाया तथा पाश्चात्य शिक्षा के प्रति अपना समर्थन जताया.

राजा राम मोहन राय का अंतिम शब्द ‘ऊँ’ था. राष्ट्र-वाद के भी जनक माने जाते है.

इनकी मृत्यु के बाद ब्रह्म समाज की देख-रेख की जिम्मेदारी देवेन्द्र नाथ टैगोर के जिम्मे आयी. इन्होंने केशव चन्द्र सेन को बाह्य समाज का आचार्य नियुक्त किया. सेन हिन्दू धर्म को संकीर्ण मानते थे.

1865 ई. में देवेन्द्र नाथ ने इनसे आचार्यत्व छीन ली फिर ब्रह्म समाज का विभाजन हो गया.

  1. भारतीय ब्रह्म समाज (सेन)
  2. आदि ब्रह्म समाज (देवेन्द्र)

केशव चन्द्र के प्रयास से 1872 का ब्रह्म विवाह कानून पारित हुआ.

इन्होंने अपनी पुत्री का विवाह कूच विहार के 16 वर्षीय राजकुमार से कर दिया. जबकि इन्ही के प्रयास से ब्रह्म विवाह कानून पारित हुआ था. फिर आदि ब्रह्म समाज का विभाजन हो गया.

  1. भारतीय ब्रह्म समाज
  2. साधारण ब्रह्म समाज

1831 ई. में राजा राममोहन राय, अकबर द्वितीय का पक्ष रखने के लिए ब्रिटेन गये और वही पर इनकी मृत्यु हो गई.

अकबर द्वितीय के द्वारा उन्हें राजा की उपाधि दी गई.

रामकृष्ण मिशन

स्थापना 1896-97 ई. में दो स्थान पर एक बेदूर (कोलकाता) में तथा दूसरा अल्मोड़ा (उतराखण्ड) में.

इसके मुख्य प्रेरक रामकृष्ण परम हंस थे. रामकृष्ण की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार का श्रेय उनके योग्य शिष्य स्वामी विवेकानंद (नरेन्द्र नाथ दत) को जाता है.

1893 ई. में विवेकानंद ने शिकांगों में हुई धर्म संसद में भाग लेकर पाश्चात्य जगत को भारतीय संस्कृति व दर्शन से अवगत कराया.

आर्य समाज

इसकी स्थापना दयानंद सरस्वती के द्वारा 1875 ई. में बम्बई में की गई.

इसका प्रमुख उदेश्य वैदिक धर्म को पुन: शुद्ध रूप से स्थापित करने का प्रयास भारत में धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक रूप से एक सूत्र में बाधने का प्रयत्न करना तथा पाश्चात्य प्रभाव को समाप्त करना था.

इनको बचपन में ‘मूलशंकर’ के नाम से जाना जाता था.

उनके गुरू स्वामी विरजानंद थे. इन्होंने मूर्तिपूजा, बहुदेव वाद, अवतारवाद इत्यादि की आलोचना की तथा वेदों की ओर लौटो का नारा दिया.

इनके विचारों का संकल्प ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में मिलता है तथा इन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ को हिंदी में लिखा इन्होंने शुद्धी आंदोलन भी चलाया.

यंग बंगाल आंदोलन

भारत में यंग बंगाल आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय हेनरी विवियन डेरोजियो को है.

डेरोजियो कोलकाता में ‘हिंदू’ कॉलेज के अध्यापक थे.

इन्होंने आत्म विस्तार एवं समाज सुधार हेतु एक ‘डामिन एसोसिएशन’ एंव ‘सोसाइटी फॉर द एग्जीविशन ऑफ जरनल नॉलेज’ की स्थापना की.

डेरोजियो ने ‘ईस्ट इंडिया’ नामक दैनिक पत्र का संपादन भी किया. डेरोजियो को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि माना जाता है.

थियोसोफिकल सोसाइटी

इसकी स्थापना 1875 ई. में मैडम ब्लावात्सकी एंव कर्नल अल्काॅट द्वारा न्यूयॉर्क (अमेरिका) में की गई. 1882 ई. में वे भारत आये तथा मद्रास में अड़यार के निकट मुख्यालय स्थापित किया.

भारत में इस आंदोलन की गतिविधियों को व्यापक रूप से फैलाने का श्रेय श्रीमती एनी बेसेंट को दिया जाता है.

1898 ई. में उन्होंने बनारस में (सेंट्रल हिंदू कॉलेज) की स्थापना की जो आगे चलकर 1916 ई. में ‘BHU’ बन गया.

आयरलैंड की उम्र की होमरूल की तर्ज पर बेसेंट ने भारत में होमरूल लीग की स्थापना की.

बहावी आंदोलन

भारत में इसे प्रचारित करने का श्रेय सैयद अहमद बरेलवी तथा इस्लाम हाजी मौलवी मोहम्मद को है.

सर्वप्रथम इस आंदोलन ने ही मुसलमानों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभावों का विरोध किया.

अपने प्रारंभिक दिनों में यह आंदोलन पंजाब में सिख सरकार के विरुद्ध चलाया गया.

इस आंदोलन का मुख्य केंद्र पटना में था.

प्रार्थना समाज

आचार्य केशव चंद्र सेन की प्रेरणा से रानाडे, आत्मा राम पांडुरंग, आदि के द्वारा 1867 ई. में बम्बई में प्रार्थना समाज की स्थापना की गई

इसका उद्देश्य जाति प्रथा का विरोध, स्त्री पुरुष की विवाह की आयु में वृद्धि तथा विधवा-विवाह व स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन देना था

अलीगढ़ आंदोलन

सर सैयद अहमद खाँ द्वारा चलाया गया. 1877 ई. में अली गढ़ में ‘आंग्ल मुस्लिम स्कूल’ की स्थापना की. 1920 ई. तक यही केंद्र अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया.

Share
Published by
Deep Khicher
Tags: History

Recent Posts

अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए – List of Gazetted Officer

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…

20 hours ago

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Paper – 2 Solved Question Paper

निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…

6 months ago

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Solved Question Paper

1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…

6 months ago

Haryana Group D Important Question Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…

6 months ago

HSSC Group D Allocation List – HSSC Group D Result Posting List

अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…

6 months ago

HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern – Haryana Group D

आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…

6 months ago