कार्योंजेनिक प्रौद्योगिकी
कम ताप अवस्था(कार्योंजेनिक अवस्था) वाले इंजनों में अति निम्न ताप (- 250०C) पर हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में तथा ऑक्सीजन (- 183०C) का ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग होता है. इस प्रद्योगिकी में प्रणोदक को तरल अवस्था में ही प्रयोग किया जाता है. इसमें इंजन को समतापीय अवस्था में प्रयोग करने की विशेषता के कारण इसे कार्योंजेनिक इंजन कहते हैं.
वर्ष 2006 में तमिलनाडु के महेंद्र गिरी में, कार्योंजेनिक (पूर्ण निम्न ताप) अवस्था का भारत में सफल परीक्षण किया. भारत से पूर्व यह क्षमता अमेरिका, रूस, चीन, जापान एवं यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने प्राप्त की है.
जीसैट – 12
भारत के आधुनिकतम संचार उपग्रह जीसैट-12 का पीएसएलवी-सी 17 रॉकेट से 15 जुलाई, 2011 को श्री हरि कोटा के अंतरिक्ष स्थल में सफल प्रक्षेपण किया गया. रॉकेट ने 1410 किलोग्राम वाले संचार उपग्रह जीसैट-12 को कक्षा में स्थापित किया. जीसैट-12 में संघनित सी बैंड के 12 ट्रांसपांडरों का इस्तेमाल सुदूर चिकित्सा, सुदूर शिक्षा, दूरभाष और बहुत-सी अन्य संचार संबंधी जरूरतों को पूरा करने में किया जाना है.
मेगा ट्रापिक्स
यह भारत और फ़्रांस सरकार का संयुक्त उपक्रम है, इसे 12 अक्टूबर 2011 को पीएसएलवी-सी 18 से प्रक्षेपित किया गया.
सरल
यह भारत और फ़्रांस का संयुक्त मिशन है. यह समुंदर अनुसंधान हेतु प्रक्षेपित उपग्रह प्रणाली है, इसका प्रक्षेपण 25 फरवरी, 2013 को पीएसएलवी सी-20 प्रक्षेपण यान द्वारा किया गया.
IRNSS (भारतीय क्षेत्रीय नौवहन प्रक्षेपण प्रणाली )
इसके अंतर्गत सात उपग्रहों की श्रृंखला का प्रक्षेपण किया जाना है. इसके अंतर्गत IRNSS-IA (1जुलाई, 2013) IRNSS- IB ( 4 अप्रैल, 2014) IRNSS-IC ( 10 नवंबर, 2014) को प्रक्षेपित किए जा चुके हैं. IRNSS-ID का प्रक्षेपण 7 मार्च, 2015 को प्रस्तावित है.
एस्ट्रोसैट इसरो द्वारा 28 सितंबर, 2015 को प्रक्षेपित किया गया. यह एक्सरे वैब के अध्ययन में सहायक है.
भारतीय अंतरिक्ष यात्री
राकेश शर्मा अप्रैल, 1984 में भारत के प्रथम तथा विश्व के 138 में अंतरिक्ष यात्री हैं.
कल्पना चावला 1 फरवरी, 2003 को ( भारतीय मूल की) अमेरिका अंतरिक्ष यान कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हुआ इसी में इनकी मृत्यु हो गई. भारत सरकार ने उन्हें के सम्मान में मेटसेट का नाम बदलकर कल्पना रखा.
सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री है, अंतरिक्ष में सर्वाधिक समय बिताने वाली महिला है.
विश्व अंतरिक्ष अभियान
NASA( नासा) अन्तरिक्ष टेक की कंपनी है जो 29 जुलाई, 1958 को संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित किया गया था, इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है.
राष्ट्रीय विमानकी एवं स्पेस व्यवस्था को सूक्ष्म रुप में नासा कहते हैं. इसी के तहत भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक कल्पना चावला, जो अंतरिक्ष यान कोलंबिया द्वारा अंतरिक्ष यात्रा पर गई थी, 1 फरवरी, 2003 को यान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी.
नासा में निम्नलिखित स्पेस शटल है-
कोलंबिया, चेंलेंजर, डिस्कवरी, अटलांटिस, एटरप्राइज
- नासा का स्पेश सटल कार्यक्रम वर्ष 2011 को समाप्त हो गया.
- सुनीता विलियम्स ने स्पेस में अटलानिट्स सटल द्वारा यात्रा की थी.
- नील आर्मस्ट्रांग अपोलो-II यान से वर्ष 1969 में चंद्रमा पर गए थे. उनके साथ एडमिन LED और कोलिंस भी थे. यह चंद्रमा पर पैर रखने वाले प्रथम व्यक्ति थे.
- मैगैलन सुख की छाया के मानचित्रण और ग्रहिय गुरुत्वाकर्षण को मापने के लिए नासा ने वर्ष 1989 में मैगलेन अंतरिक्ष यान भेजा. इसे विनाश (शुक्र) राडार मैपर के रूप में भी जाना जाता है..
- नासा का Messenger नामक सैटेलाइट बुद्ध की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष यान है. इस वर्ष 2004 में प्रक्षेपित किया गया और यह वर्ष 2011 में यह कक्षा में स्थापित हुआ. ऐसा करने वाला यह पहला उपग्रह है, जिसे डेल्टा-2 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था.
- एटलस-5 नासा का मंगल टोही परिक्रमा यान है, जिसे मंगल ग्रह के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिए मंगल ग्रह की कक्षा में वर्ष 2006 में स्थापित किया गया. इस यान को लाकहिड मार्टिन द्वारा बनाया गया था.
- इबुकी या गोसेट (ग्रीन हाउस ओब्जव्रिंग सैटेलाइट) जापान ने सर्वप्रथम वर्ष 2009 में एक गोसेट बनाया, जो ग्रीन हाउस गैसों की जांच करता है एव CO2 और मिथेन के घनत्व को मापता है, और संबंधित सूचनाओं को विश्व समुदाय से सांझा करता है.
- एनर्जीज बुर्क- हेवन नेशनल लेबोरेटरी. यह लेबोरेटरी न्यूयॉर्क में स्थित है. यहां भौतिक, रसायन, हाई एनर्जी, प्रमाणविक, न्यूरो साइंस, चिकित्सा, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में गहन खोज होती है. अभी तक इस संस्थान के वैज्ञानिकों को भौतिकी के पांच, रसायन के दो नोबेल मिल चुके हैं. वर्ष 2009 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार विजेता वेंकटरमन रामाकृष्ण इसी संस्थान से जुड़े हैं.
- बैलिस्टिक मिसाइल वर्न्ह्रर वान ब्राउन को फादर ऑफ रॉकेट साइंस कहते हैं उन्होंने अमेरिका के लिए सर्वप्रथम बैलिस्टिक मिसाइल बनाई थी.