जो जीव अति सरल रचना वाले और आकार में काफी सूक्ष्म हो और जिन्हें केवल सूक्ष्म दर्शी यंत्र द्वारा देखा जा सके सूक्ष्म जीव कहलाते हैं।
सूक्ष्म जीव हर स्थान पर पाए जाते हैं।
हैजा, निमोनिया।
लैक्टोबैसिलस।
जीवाणु मृत जीवों को गला सड़ा कर आंशिक रूप से अपघटित कर गहरे भूरे रंग के पदार्थ में बदल देते हैं, इसे ह्रामूस कहते हैं।
किण्वन के कारण उत्पन्न हुई कार्बन डाइऑक्साइड गैस।
जिस क्रिया में शर्करा तथा स्टार्च अणु छोटे अणुओ में टूट जाते हैं और अल्कोहल वह कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है, किण्वन क्रिया कहलाती है।
एक्टोबैक्टर जीवाणु का।
सन 1857 में लुई पाश्चर ने।
अलेकजेंडर फ्लेमिंग ने 1929 में।
ऐसा पदार्थ शरीर में प्रविष्ट हो कर रोगकारक सूक्ष्मजीवों के लिए रोग प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न करता है, टीका या वैक्सीन कहलाता है।
एडवर्ड जेनर ने 1798 ईसवी में।
हैजा, क्षय रोग, पोलियो, हेपिटाइटिस।
साइनोबैक्टीरिया।
वातावरण के नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करना।
मृत पेड़ पौधे, गोबर।
प्लास्टिक, पॉलिथिन
ऐसे सूक्ष्म जीव जो रोग उत्पन्न कर सकें, रोगजनक रोगाणु कहलाते हैं।
जो रोग संपर्क से फैले, संचरणीय रोग कहलाते हैं।
हैजा, सर्दी जुखाम आदि संचरणीय रोग है।
घरेलू मक्खी, मादा एनाफिलीज मच्छर। ‘
एंथ्रेक्स
मुंह खुर रोग।
रस्ट (गेहूं में होने वाला रोग), कैंकर (नींबू में होने वाला रोग), पीत (भिंडी में होने वाला रोग)।
ऐसे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि रोककर इन्हें खराब होने से बचाते हैं परिरक्षक कहलाते हैं।
साधारण नमक और चीनी।
दूध को 70 डिग्री सेल्सियस पर 15-30 सेकंड तक गर्म कर सूक्ष्म जीव से मुक्त करने को पाश्चुरीकरण कहते हैं।
तेल द्वारा, सिरके द्वारा।
इन्हें वायुरोधी पैकटों में सील करके सूक्ष्मजीवों से बचाया जा सकता है।
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