चिम्पैंजी
जातिवृत्त आनुवांशिक वर्गीकरण किसी जाति/जीव के विकास के आधार पर आधारित है। यह अधिक उन्नत तथा अधिक विश्वसनीय वर्गीकरण का आधार है।
किसी जीव का विकास का इतिहास हमें जीवो के वर्ग या जाति के पूर्वजों के विषय में जानकारी देता है। जीवो में अधिक घनिष्ठ संबंध होता है। यदि उनके पूर्वजों में निकट संबंध रहा है।
ऐसा भी अब प्रमाणित किया जा चुका है कि निकट संबंधित जातियों में DNA तथा प्रोटीन भी समान होता है। जैव-रसायनिक समानता के आधार पर ही, मनुष्य तथा चिम्पैंजी के बीच संबंध स्थापित किया गया।
जीवाश्म प्राचीन समय में पाए जाने वाले जीवो में स्थित अन्य चट्टानों पर उनकी छाप होती है।
उनका अध्ययन हमें यह समझने में सहायता करता है कि भूतकाल में किस प्रकार के जीव जंतु पृथ्वी पर विद्यमान थे। वह किस प्रकार आज के जीव जंतुओं के समान है या उनसे भिन्न है। यह समानताएं या विभिन्नताएं हमें यह समझने में सहायता करती है कि जीवो के कौन से समूह एक दूसरे के निकट संबंधी है और कौन से समूह एक दूसरे से बहुत दूर है तथा कौन से समूह दो समूहों को जोड़ने का काम करते हैं। इन संबंधों को विकासीय संबंध की संज्ञा देते हैं।
अजैविक (अकार्बनिक) पदार्थों से जीवन की उत्पत्ति यह विचार सर्वप्रथम एक अंग्रेज वैज्ञानिक जे बी एस हाल्डेन 1929 में प्रस्तुत किए। उसके अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के ठीक पश्चात, इस तरह की परिस्थितियां उपलब्धि थी जिन्होंने जीवन की उत्पत्ति में सहायता की। उन परिस्थितियों में अजैविक पदार्थों से सरल व डिटेल प्रकार के कार्बनिक यौगिक बने।
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