मुगल शासन काल में बिहार – बिहार का इतिहास

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आज इस आर्टिकल में हम आपको मुगल शासन काल में बिहार – बिहार का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.

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मुगल शासन काल में बिहार – बिहार का इतिहास

शेरशाह के पश्चात बिहार जिन अफगानों के नियंत्रण में रहा उसमें ताज खां करारानी, सुलेमान खान कराररानी एवं दाऊद खां करारानी के नाम शामिल है.

सुलेमान का करारानी ने अपने शासनकाल (1565 से 1572 ईसवी) राज्य का विस्तार किया और उड़ीसा के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया. उसने अकबर के साथ सम्मानपूर्ण रवैया अपनाया. परंतु उसके पुत्र दाऊद ने अकबर के प्रति अहंकारी आचरण का प्रदर्शन किया. परिणामत: मुगल बादशाह अकबर ने स्वयं बिहार आकर उसके राज्य पर आक्रमण किया और 1574 ई. पटना पर अधिकार कर लिया तथा मिथिला के नरेश को भी पराजित कर दिया.

लगभग 1580 ईसवी में बिहार को मुगल साम्राज्य का एक प्रांत घोषित कर दिया गया. दाऊद ने नगर से पलायन कर गया. अकबर ने राजा मानसिंह को बिहार में प्रांतपति नियुक्त किया, जिसने 1587 से 95 ईसवी के दौरान यहां पर मुगल को सुदृढ़ किया.

मानसिंह ने रोहताश को अपनी राजधानी बनाया. जहांगीर के शासनकाल में खोखरा देश छोटानागपुर क्षेत्र (झारखंड) पर मुगलों का अधिकार हो गया.

जहांगीर ने 1621 ईसवी में राजकुमार  परवेज को बिहार का प्रांतपतिनियुक्त किया. 1702 ईसवी में औरंगजेब के शासनकाल में उसके पुत्र राजकुमार अजीम को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया गया. बंगाल में 1704 ईसवी में मुर्शीद कुली खान ने एक स्वतंत्र राज्य का गठन किया तो बिहार उसके नियंत्रण में आ गया.

औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात बहादुरशाह 1707 से 1712 ईसवी तक मुगल शासक रहा. 1711 ईस्वी में फ्रुर्खशियर बंगाल से बिहार आ गया. फ्रुर्खशियर पहला मुगल सम्राट था जिसका राज्याभिषेक पटना बिहार में (1773 ईसवी में) हुआ था. तत्पश्चात आगरा की लड़ाई में उसने बहादर साहा को पराजित कर मुगल शासन पर अधिकार कर लिया.

फ्रुर्खशियर  का शासनकाल 1712 से 1719 ईसवी तक रहा. बंगाल के नवाब ने 1733 ईसवी तक बिहार, बंगाल और उड़ीसा का प्रत्यक्ष आसन ग्रहण कर लिया. अंग्रेजों की सत्ता स्थापित होने तक यह स्थिति कायम रही. इसके बावजूद बिहार के क्षेत्र में प्रशासन चलाने के लिए एक उप नवाब अथवा नायक नाजिम को नियुक्त किया गया.

मुगल साम्राज्य के पतन के बाद बिहार के क्षेत्र में अफगानों के विद्रोह होने शुरू हो गए. अलीवर्दी खा ने स्थिति संभालने हेतु जैनुद्दीन हेबतजग को बिहार में उपनवाब बनाया.

अफगानों ने 1748 ईसवी में हेबतजंग की हत्या कर दी. इससे कुपित होकर अलीवर्दी का स्वयं रानीसराय एवं पटना के युद्ध में अफगानों को कुचलकर विद्रोह है शांत किया. अली वर्दी खान के निधन के बाद 1756 में उसका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना.

व्यापारिक सुविधाओं के दुरुपयोग के मुद्दे पर उसका अंग्रेजों से मतभेद हो गया. परिणाम स्वरुप सिराजुद्दौला और अंग्रेजों की बीच जून, 1757 प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुदुल्लाह पराजित हुआ और बाद में मारा गया. इसके बाद मीरजाफर बंगाल का नया नवाब बना. इस समय इस क्षेत्र में अंग्रेजों का शासन प्रारंभ हो गया.

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