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उत्तर प्रदेश के ऊर्जा संसाधन
ऊर्जा कृषि एवं उद्योग दोनों के विकास हेतु अति आवश्यक है. उर्जा की प्राप्ति का उपभोग विकास का सूचक कहलाता है. उत्तर प्रदेश में व्यापारी (कोयला, पेट्रोल, विद्युत आणविक आदि है) एवं गैर व्यापारिक (लकड़ी, उपला, खरपतवार, आदि) दोनों ही स्रोतों से उर्जा की आवश्यकता पूर्ति की जाती है. परंतु औद्योगिक एवं आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से व्यापारिक स्रोत की महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत माने जाते हैं.
देश का पांचवा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है. राज्य के कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 80% तापीय विद्युत 10% जल विद्युत एवं लगभग 2% नाभिकीय विद्युत के रूप में होता है.
उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां ऊर्जा उत्पादन के दो प्रमुख स्रोत – कोयला (तापीय उर्जा) तथा जल (जल ऊर्जा) पाए जाते हैं. राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के द्वारा राज्य के सिंगरौली में पहला ताप विद्युत गृह लाया गया है, जबकि राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में स्थापित है कोयले पर आधारित अन्य ताप विद्युत परियोजनाएं हैं- रिहंद ताप विद्युत परियोजना, दादरी ताप विद्युत परियोजना, ऊंचाहार ताप विद्युत परियोजना.
फिरोज गांधी ऊंचाहार ताप विद्युत संयंत्र (1,000 मेगावॉट क्षमता) के क्रियान्व्यन एन.टी.पी.सी द्वारा तीव्रता से कार्य किया जा रहा है. राज्य में जल विद्युत का विकास खनिज तेल भंडारों का अभाव एवं कोयला भंडारों की अल्प मात्रा के कारण स्वाभाविक रूप से हुआ है. इसके अतिरिक्त बुलंदशहर जिले के नरोरा में वर्ष 1989 व 1991 में मानकीकृत तथा स्वदेशी उन्नत दबावयुक्त गुरु जल रीएक्टर के डिजाइन पर आधारित 235 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयों वाले परमाणु रिएक्टर स्थापित किए गए हैं. नरौरा में ही इतनी क्षमता के दो और परमाणु रिएक्टरों का निर्माण भी जल्द ही पूर्ण होने वाला है.
एन.टी.पी.सी. के ताप विद्युत केंद्र
- टांडा ताप विद्युत केंद्र (अंबेडकर नगर)
- रिहंद ताप विद्युत केंद्र (सोनभद्र)
- ऊंचाहार ताप विद्युत केंद्र (रायबरेली)
- सिंगरौली सुपर ताप परियोजना (सोनभद्र)
एन.टी.पी.सी. के गैस आधारित विद्युत केंद्र
- औरैया ताप विद्युत केंद्र (औरैया)
- दादरी ताप विद्युत परियोजना (गौतम बुद्ध नगर)
- आंवला ताप विद्युत परियोजना (बरेली)