आज इस आर्टिकल में हम आपको मनुष्य में लैगिक जनन अंगो के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी दे रहे है.
मनुष्य में लैगिक जनन
मनुष्य में लैगिक 2 प्रकार का पाया जाता है, जिसमें नर एवं मादा जनन तंत्र सम्मिलित होते हैं. इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है->
नर जनन तंत्र वृषण
यह ग्रन्थ अंडाकार अंग है, जो वृषण में उपस्थित होता है. वृषण का तापमान शरीर के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस कम होता है. वृषण का अंत स्रावी उत्तर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन उत्पन्न करता है.
शुक्रवाहिनी
शुक्राणुओं का संग्रह चालन करती है.
मूत्र मार्ग
यह मोटी दीवार वाली पेशियां वाहिका है, जो मुत्र दोनों के गुजरने हेतु मार्ग प्रदान करती है, यह जनन मूत्रवाहिनी भी कहलाती है. यह शिश्न के शीर्ष से खुलती है.
शिश्न
यह मैथुन अंग है, यह शुक्राणुओं को मादा जनन मार्ग में पहुंचाने में सहायक होता है.
मादा जनन तंत्र अंडाशय
यह वृक्क के निकट स्थित होते हैं. यह अंडे एवं लिंग प्रोजेस्टीरोन उत्पन्न करते हैं.
डिंबवाहिनी
यह अंडाशय से गर्भाशय तक जाती है, यह अंडों को ले जाती है तथा निषेचन का केंद्र है .
गर्भाशय
यह मूत्राशय की उपयोगिता पीछे प्रतीत होता है तथा स्नायु के द्वारा शरीर से चिपका रहता है. गर्भाशय की दीवार सरल पेशियों तत्वों की बनी होती है, जिसे मायो मीत्रियम कहते हैं.
गर्भाशय का शलेषिका का झिल्ली के द्वारा घिरा रहता है जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं. गर्भाशय में भ्रूण का पुरा के द्वारा जुड़ा रहता है.
योनि
यह मूत्रमार्ग कुंदा के बीच अगर भाग में खुलती है. संगम के दौरान शिश्न से वीर्य ग्रहण करती है. शिशु के जन्म के समय नलिका के रूप में कार्य करती है.
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