आज इस आर्टिकल में हम आपको भक्ति एवं सूफी आंदोलन के बारे में बताने जा रहे है.

भक्ति एवं सूफी आंदोलन
भक्ति एवं सूफी आंदोलन

मध्य काल में सर्वप्रथम के अलवार संतो द्वारा भक्ति आंदोलन की शुरुआत हुई. उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय रामानंद को है. रामानंद का जन्म  प्रयाग( इलाहाबाद) में हुआ था. उन्होंने विष्णु के अवतार के रूप में राम की भक्ति को लोकप्रिय बनाया.

कबीर ने हिंदू- मुस्लिम एकता पर बल दिया. उनकी रचनाएं बीजक में संग्रहीत है. निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि थे.

गुरु नानक का जन्म ननकाना साहब ( तलवंडी) में हुआ था. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल.

चैतन्य बंगाल में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक थे. उन्होंने कीर्तन प्रथा को जन्म दिया.

सूरदास कृष्ण भक्ति परंपरा से संबंधित थे. उन्होंने अपने ग्रंथ सूरसागर के राधा- कृष्ण आदर्श प्रेम को लोकप्रिय बनाया.

गुजरात के  संत नरसिंह मेहता राधा- कृष्ण भक्ति से संबंधित थे.

शंकराचार्य के अद्भुत दर्शन के विरोध में दक्षिण में वैष्णव संतों द्वारा चार भक्ति संप्रदायों की स्थापना की गई थी.

सूफियों का संगठन Silsila कहा जाता था, जो लोग सूफी संतों से शिक्षा ग्रहण करते थे. उन्हें मुरीद कहा जाता था.

चिश्ती संप्रदाय के संस्थापक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती थे. उन का मकबरा अजमेर में स्थित है.

बाबा फरीद की कुछ रचनाएं गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल है.

दक्षिण के राज्य – विजयनगर, बहमनी राज्य, मुगल और मराठा साम्राज्य

हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवन काल में दिल्ली के सुल्तानों का शासन देखा था. अभी दिल्ली दूर है, यह वतन निजामुद्दीन औलिया ने गयासुद्दीन तुगलक को कह रहे थे.

शेख अब्दुल्ला सतारी ने सतारी सिलसिले की स्थापना की थी. इसका मुख्य केंद्र बिहार था.

रोशनी या संप्रदाय के संस्थापक वाजिद अंसारी थे. सोहर अवधि परंपरा की शाखा फिरदौसी पूर्व भारत विशेषकर बिहार में विकसित हुई, जिसके महत्व पूर्ण संत है सर्फ उद्दीन याह्रा  मनेरी थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *