चंद्रयान

चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन चंद्रयान-I है, जिसका प्रक्षेपण भारत में वर्ष 2008 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (shar) हरि कोटा से किया. अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस, जापान और चीन के बाद भारत का छठा ऐसा देश है, जिसने चंद्रमा के लिए यान भेजा है.

चंद्रयान II

भारत सरकार द्वारा 18 सितंबर, 2008 को चंद्र यान II  अभियान को स्वीकृति प्रदान कर दी गई. यह अभियान वर्ष 2017 तक में संपन्न होना है. इस अभियान हेतु इसरो तथा रोस्कोस्मोस (रूस की अंतरिक्ष एजेंसी) के बीच समझौता हुआ है. चंद्रमा के अन्वेषण एवं उपयोग के लिए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन वर्ष 1993 में बिटनवर्ग (स्विट्ज़रलैंड)  में हुआ था, और छठा अंतर्राष्ट्रीय लुनार सम्मेलन 22-26 नवंबर, 2004 को उदयपुर (राजस्थान) में आयोजित किया गया.

रूस ने वर्ष 1959 में लूना III  प्रक्षेपित किया, जिसने चंद्रमा के सतही भाग का चित्र भेजा था, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है. पृथ्वी से चंद्रमा का अधिकतम 61 प्रतिशत भाग ही दिखाई देता है.

GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम)

GPS में आधुनिक तकनीक है, जो नौवहन सर्वेक्षण एवं जीआईएस आंकड़ों के संग्रहण में किसी वस्तु की सही जानकारी देती है. इसमें किसी भी वस्तु या स्थान की सही सही स्थिति बताने के लिए सैटेलाइट व कंप्यूटर की आवश्यकता होती है.

मंगलयान

इसरो द्वारा मंगल ग्रह के अध्ययन हेतु 5 नवंबर, 2013 को PSLV-25 प्रक्षेपण यान से यह उपग्रह प्रक्षेपित किया गया. 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो गया. अपने प्रथम प्रयास में ही ऐसे ही सफलता प्राप्त करने वाला भारत प्रथम देश है.

ट्रांसपोंडर

ट्रांसपोंडर उपग्रह में रखी गई एक मशीन है, जो पृथ्वी के स्टेशनों से सिग्नल ग्रहण करके उस धरातल पर पुनः एक बड़े भाग में फैला देती है. एक उपग्रह में सामान्यतः 12 या 24 ट्रांसफार्मर लगे रहते हैं.

भारत द्वारा आर्थिक एवं उत्तरी ध्रुव में स्थापित अनुसंधान स्टेशन

अनुसंधान केंद्र स्थापना वर्ष
दक्षिण गंगोत्री (प्रथम) 1982-83
मैत्री (द्वितीय) 1989
भारती (लारसेमान हिल्स) 2012
हिमांदरी (उत्तरी ध्रुव) 2008

 

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