सभी सजीव कार्बन पर आधारित होने के बावजूद प्रकृति में कार्बन अल्प मात्रा में पाई जाती है। भूपर्पटी में कार्बन यौगिकों के रूप में केवल 0.02% कार्बन पाई जाती है। वायुमंडल में इसकी मात्रा 0.03% (कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में) पाई जाती है।
सहसंयोजी यौगिक इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के कारण बनते हैं। अनु के विभिन्न परमाणु के बीच सहसंयोजी बंध होते हैं। यह परमाणु प्रबल सह संयोजी बंध द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। लेकिन लोगों के बीच लगने वाला आणविक बल बहुत कमजोर होता है, जिन्हें तोड़ने के लिए कोई विशेष बल की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसलिए अधिकतर कार्बनिक (जैविक) यौगिकों के गलनांक व क्वथनांक निम्न होते हैं और यह पदार्थ है जैसी है तथा द्रव्य अवस्था में पाए जाते हैं।
सह संयोजी यौगिक, सहसंयोजी आबंधो के कारण बनते हैं। इसमें से अधिकतर यौगिक जल में घुलनशील होते हैं और आयनों के रूप में अपगठित नहीं होते हैं। आयनों (अवशोषित कणों) की उपलब्ध न होने के कारण यह विद्युत का चालन नहीं कर सकते।
जब ये कार्बनिक विलायकों में घूलते हैं, तो भी यह आवेशित कण उत्पन्न नहीं करते। इस कारण से विद्युत के चालन में असफल रहते हैं।
कार्बन के बाह्यत्तम कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं अत: कार्बन परमाणु को उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता होती है। अंतः कार्बन परमाणु-
इस प्रकार कार्बन परमाणु अन्य तत्वों के परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी कर दोनों परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त कर यौगिक का निर्माण करते हैं।
आयनिक यौगिक | सहसंयोजी यौगिक |
यह प्राय: क्रिस्टलीय ठोस होते हैं | ये प्राय: गैसीय या द्रव होते हैं। |
इनके गलनांक व क्वथनांक प्राय उच्च होते हैं। | इनके गलनांक व क्वथनांक निम्न होते हैं। |
यह शीघ्रता से पानी में घुल जाते हैं। | यह शीघ्रता से कार्बनिक विलायक को में घुल जाते हैं। |
यह विद्युत के अच्छे चालक होते हैं | यह विद्युत के कुचालक होते हैं। |
इनकी अभिक्रियाएं सामान्यतः तीव्र होती है। | इनकी अभिक्रियाएं धीमी होती है। |
हीरा | ग्रेफाइट |
यह एक पारदर्शक ठोस है। | यह एक स्लेटी रंग का ठोस अपारदर्शक पदार्थ है। |
यह ऊष्मा और विद्युत का कुचालक है। | यह ऊष्मा और विद्युत का सुचालक है। |
यह अत्यधिक कठोर होता है। | यह अपेक्षाकृत नर्म होता है। |
इसका गलनांक बहुत उच्च होता है। | इसका भी गलनांक उच्च होता है लेकिन अपेक्षाकृत कम होता है। |
संश्लेषित हीरा तैयार करने के लिए शुद्ध कार्बन को उच्च ताप व उच्च दाब पर उपचारित किया जाता है। यह संश्लेषित हीरे आकार में छोटे होते हैं लेकिन प्राकृतिक हीरो से किसी भी प्रकार भिन्न नहीं है।
संतृप्त कार्बन यौगिक
जिसे यौगिक सारे कार्बन परमाणु केवल एकल आबध से जुड़े हो, संतृप्त कार्बन योग्य कहलाता है, जैसे मेथेन, एथेन, प्रोपेन ब्यूटेन आदि।
असंतृप्त कार्बन यौगिक
जिस योगी के दो कार्बन परमाणु एक द्वि-आबंध या त्री-आबंध से जुड़े हो, उन्हें असंतृप्त कार्बनिक यौगिक कहते हैं, जैसे एथीन, एथाईन आदि।
संतृप्त कार्बनिक यौगिक | असंतृप्त कार्बनिक यौगिक |
कार्बनिक यौगिक जिसमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एक कल आबंध होते हैं,संतृप्त यौगिक कहलाते हैं। | कार्बनिक यौगिक जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि-या त्री-आबंध होते हैं, असंतृप्त कार्बनिक यौगिक कहलाते हैं। |
यह प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं। | यह योगात्मक अभिक्रिया करते हैं। |
यह ब्रोमीन जल को रंगहीन नहीं करते है। उदाहरण- एल्केन | यह प्रॉमिस जल को रंगहीन कर देते हैं। उदाहरण- एल्कीन, एलकाइन। |
हाइड्रोकार्बन
कार्बन और हाइड्रोजन परमाणु वाले यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। ये प्रमुख तीन प्रकार के होते हैं-
एल्केन
संतृप्त हाइड्रोकार्बन (एकल आबंध वाले)
एल्कीन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (एक या अधिक दोहरे आबंध वाले)
एल्काइन
असंतृप्त (एक या अधिक त्री-आबंध वाले)
समजातीय श्रेणी में आणविक द्रव्यमान पड़ने पर भौतिक गुण धर्मों में करता दिखाई देती है क्योंकि आणविक द्रव्यमान के बढ़ने से गलनांक एवं क्वथनांक में वृद्धि होती है। किसी विशेष विलायक में विजेता जैसे भौतिक गुणधर्म में भी इसी प्रकार क्रम बद्ध दिखाई देती है। परंतु कार्यात्मक समूह के द्वारा सुनिश्चित किए जाने वाले रासायनिक गुण समजातीय श्रेणी में एक समान बने रहते हैं।
25 करोड़ वर्ष पूर्व महाद्वीपों के अधिकांश भाग दलदल से ढके हुए थे। इस दलदल में विशालकाय फर्न के सघन वन पाए जाते थे। इन वनों द्वारा विशाल मात्रा में सौर ऊर्जा का अवशोषण किया जाता था। इस प्रक्रम में वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड गैस में से कार्बन, का कार्बोहाइड्रेट के रूप में जैव द्रव्यमान में परिवर्तित हो गया तथा ऑक्सीजन वायुमंडल में मुक्त हो गया।
पृथ्वी पर होने वाली भूकंप जैसी प्रक्रियाओं के कारण 1 पृथ्वी की गर्त में समा गए तथा ऑक्सीजन की पहुंच से दूर हो गए। ऐसे दबे हुए जंगल ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अधिक दाब तथा उच्च ताप के कारण कोयले में परिवर्तित हो गए।
ऐसा विश्वास किया जाता है कि पेट्रोलियम समुन्द्र में रहने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं के अवशेषों से बनता है। मृत्यु के पश्चात यह जीव धंसकर तल पर पहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे रेत तथा मृदा द्वारा ढक जाते हैं। करोड़ों वर्षों की अवधि में यह अवशेष ऊष्मा, दाब तथा उत्प्रेरक की क्रियाओं के फलस्वरूप पेट्रोलियम में परिवर्तित हो जाते हैं। यह हल्के होने के कारण छिद्रयुक्त स्थानों रिसकर पृथ्वी की सतह की और तब तक आते रहते हैं, जब तक अपारगम्य में चट्टानों द्वारा उन्हें रोक नहीं लिया जाता। इस प्रकार अपारगम्य में चट्टानों के बीच तेल कूप बन जाते हैं।
कोयला तथा पेट्रोलियम जीवाश्म इंधन है। इनमें सल्फर तथा नाइट्रोजन के यौगिक होते हैं। इन यौगिकों के जलने पर सल्फर के ऑक्साइड, जैसे SO2, SO3 तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे – N2O, NO2 आदि उत्पन्न होते हैं. यह ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं तथा जल में घुलनशील होते हैं. यह वर्षा के जल में भी घुल जाते हैं तथा अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं. इसलिए कोयला और पेट्रोलियम के दहन के कारण प्रदूषण होता है.
योगात्मक अभिक्रिया | प्रतिस्थापन अभिक्रिया |
कार्बनिक यौगिक जिसमें कार्बन-कार्बन द्वि-या त्रिआबध होते हैं हाइड्रोजन के साथ योगात्मक अभिक्रिया करके एकल उत्पाद बनाते हैं, ऐसी अभी क्रियाओं को योगात्मक अभिक्रिया ही कहते हैं। | कार्बनिक यौगिक जिनमें कारबन- कार्बन ए कल आबंध होते हैं क्लोरिन जैसे अनुभव के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन परमाणु को प्रतिस्थापित कर देते हैं। ऐसी अभिक्रियाएं प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती है। |
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन इस प्रकार की अभिक्रिया करते हैं,। | असंतृप्त हाइड्रोकार्बन इस प्रकार की अभिक्रिया करते हैं। |
पानी जो साबुन के साथ कठिनता से झाग देता है, उसे कठोर पानी कहते हैं। इस प्रकार का पानी साबुन के साथ तलछट बनाता है, जो जल में घुलनशील होता है तथा नीचे बैठ जाती है।
कारण- पानी की कठोरता उसमें उपस्थित कैल्शियम तथा मैग्नीशियम क्लोराइड तथा सल्फेट लवणों के कारण से होती है।
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