जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा प्राप्त की जाती, ईंधन कहलाते हैं।जेसे लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, CNG, LPG, आदि।
भोजन पकाने मे, परिवहन वाहनों में, कारखानों मे, बिजली उत्पादन व अंतिरिक्ष वाहनों में ।
ठोस ईंधन- लकड़ी, कोयला, चारकॉल व कोक कुछ महत्वपूर्ण ठोस ईंधन है।
द्रव ईंधन- मिट्टी का तेल, डीजल व एल्कोहाल कुछ महत्वपूर्ण द्रव ईंधन है।
गैसीय ईंधन- प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम गैस, बायोगैस, कोल गैस व जल गैस कुछ महत्वपूर्ण गैसीय ईंधन है।
LPG का ज्वलन ताप बहुत कम है और गैस लाइटर की हल्की सी चिंगारी ही उसे ज्वलन-ताप तक पहुंचाकर ज्वलित कर देती है। इसे अधिक गरम करने की आवश्यकता नहीं है।
कोयले का ज्वलन ताप काफी अधिक है, जबकि केरोसीन में डूबे कपड़े का ज्वलन ताप काफी कम होता है। जब केरोसिन में डूबे कपड़े को जलाया जाता है तो यह तुरंत जलने लगता है तथा जलते हुए केरोसिन में डूबा हुआ कपड़ा कोयले को उसके ज्वलन ताप तक गर्म कर देता है जिससे कोयला जलने लगता है।
आग बुझाने में दहन के लिए आवश्यक तीन कारक इस प्रकार है- ज्वलनशील पदार्थ, जलने में सहायक पदार्थ या ऑक्सीजन, ज्वलन ताप। इनमें से अगर एक भी कारक उपलब्ध न हो तो आग बुझ जाएगी। इसलिए-
जब एक मोमबत्ती की ज्वाला को फूंक मारकर बुझाया जाता है , तब बत्ती तथा मोमबत्ती के मोम का ताप फूँक की ठंडी वायु के कारण ज्वलन-ताप से कम हो जाता है और ज्वाला भूल जाती है।
लगभग 200 वर्ष पूर्व निरापद माचिस का प्रचलन हुआ। माचिस की तीलियों के सिरे पर एंटीमनी ट्राइसल्फाइट व पोटैशियम क्लोरेट लगाया जाता है, जबकि रगड़ने वाली सतह पर चूर्णित काँच और कम मात्रा में लाल फास्फोरस का पेस्ट लगा देते हैं। जब तीली को खुरदरी सतह पर रगड़ा जाता है टो पुट लाल फास्फोरस श्वेत फास्फोरस में परिवर्तित होकर जलने लगता है जिसके कारण तीली आग पकड़ लेती है।
श्वेत फास्फोरस का उपयोग माचिस उद्योग में काम करने वाले वहीं से उपयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए खतरनाक सिद्ध हुआ है।इसलिए श्वेत फास्फोरस का उपयोग माचिस उद्योग में बंद कर दिया गया है। यह घर्षण की थोड़ी सी ऊष्मा से ही जलने लगता है।
वैसे तो कागज आग के संपर्क में आने पर तुरंत जल उठता है, परंतु जब कागज से बने कप में जल डालकर ज्वाला पर गर्म किया जाता है तो कागज के कप को दी जाने वाली ऊष्मा चालन द्वारा जल में चली जाती है। जिसके कारण जल की उपस्थिति में कागज ज्वलन ताप है तक नहीं पहुंच पाता और कागज को आग नहीं लगती।
ज्वलनशील पदार्थ- ज्वलन ताप वाले पदार्थ, ज्वाला के संपर्क में आने पर तुरंत आग पकड़ लेते हैं, इन्हें ही ज्वलनशिल पदार्थ कहते हैं।
उदाहरण- पेट्रोल, एल्कोहल, LPG, CNG, आदि।
आग पर सुखी रेत फेकना उसे बुझाने में निम्नलिखित प्रकार से सहायता करता है-
अग्नि शमन का अर्थ है- आग को बुझाना। अग्निशमन के उपकरणों में कार्बन डाइऑक्साइड में पानी का उपयोग किया जाता है, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड वायु से भारी होने के कारण ज्वलनशील पदार्थों के चारों ओर घेरा बनाकर ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर देती है तथा आग बुझ जाती है। इसके साथ-साथ पानी ज्वलनशील पदार्थ को उसके ज्वलन-ताप से नीचे ले जाने का कार्य करता है।
CO2 ऑक्सीजन से भारी होने के कारण और को कंबल की तरह लपेट लेती है जिस से आग तक (ईंधन तक) ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, अंत आग बुझ जाती है। CO2 विद्युत उपकरणों को भी आने नहीं पहुंच। LPG की तरह है यदि CO2 को संगठित कर सिलेंडरों में भरा जाए तो छोड़ने पर यही CO2 तेजी से फैलने के साथ और ठंडी हो जाती है जिसमें ईंधन काजोल अल्ताफ कम होने से भी आगे तुरंत बुझ जाती है।
दहन मुख्य तीन प्रकार का होता है-
तीव्र दहन- LPG काजल इसका उदाहरण है।
स्वत: दहन- श्वेत फास्फोरस का कमरे के तापमान पर ही स्वयं जलना इसका उदाहरण है।
विस्फोट- पटाखे से उष्मा, प्रकाश व ध्वनि पैदा करना विस्फोट कहलता है।
दहन के समय जो पदार्थ वाष्पित होते हैं वह ज्वाला का निर्माण करते हैं। जैसे मिट्टी के तेल का कण व पिंघली मोमबत्ती के मोम के कण साथ- साथ ऊपर उठते हैं और दहन के समय वाष्पित होकर ज्वाला का निर्माण करते हैं। लकड़ी का कोयला वाष्पित न होने के कारण ज्वाला का निर्माण नहीं करता।
ज्वाला का मध्य भाग आंशिक दहन वाला भाग होता है। जिसमें कार्बन के कारण गर्म व लाल होकर चमकाने लगते हैं जो मिलकर पीला रंग उत्पन्न करते हैं। आंतरिक क्षेत्र में कार्बन के बिना जले कण होते हैं जिसके कारण किस भाग का रंग काला दिखाई देता है।
मोमबत्ती की ज्वाला का सबसे बाहरी तथा सबसे गर्म भाग अदीप्त मंडल है जो हमें दिखाई नहीं देता। इसकी उपस्थिति का पता लगाने के लिए इसके ऊपर एक माचिस की तिल्ली लेकर जाओ तो है तुरंत जल उठेगी जिससे सिद्ध होता है कि अदीप्त मंडल सबसे गर्म तथा सबसे ऊपर होता है।
इन तीनों में से प्रत्येक का उष्मीय मान 45,000 kj\kg है, अबे किसी भी इंदर का उपयोग समान रूप से लाभदायक है।
मेथेन व CNG प्रत्येक का उष्मीय मान 50,000 kj\kg है, जबकि LPG उष्मीय मान 55,000 kj\kg है। अत: यदि तीनों इंजन उपलब्ध हो तो LPG का उपयोग करना ही लाभदायक है।
जैव गैस का उष्मीय मान 35,000-40,000 kj\kg है। हाइड्रोजन का उष्मीय मान 1,50,000 kj\kg होने के बावजूद आदर्श ईंधन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि इसका दहन खतरनाक है। हाइड्रोजन जोरदार धमाके के साथ जलती है। इसका यही गुण इस आदर्श ईंधन की श्रेणी से बाहर कर देता है।
कार्बन के बिना जले कार्बन कण, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, SO2 व नाइट्रोजन के गैसीय ऑक्साइड।
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