इलेक्ट्रॉनिक्स तथा संचार फोटो कि उनकी चालकता के आधार पर 3 भागों में विभाजित किया जाता है चालक, अचालक तथा अर्धचालक.

इलेक्ट्रॉनिक्स तथा संचार
इलेक्ट्रॉनिक्स तथा संचार

चालाक

वे पदार्थ जिनमें आवेश प्रवाह है सुगमता से  प्रवाहित होता है, चालक कहलाते हैं. जैसे- चांदी, सोना, तांबा आदि.

अचालक

वे पदार्थ जिनमें आवेश कठिनता से प्रवाहित होता है, यह प्रवाहित ही नहीं होता है. अचालक कहलाते हैं, जैसे-  शीशा, अभ्रक, एबोनाइट, रबड़, शुद्ध जल आदि.

अर्धचालक

यह ठोस पदार्थ की चालकता, काल को एवं चालकों के बीच होती है, अर्धचालक कहलाते  हैं. जैसे- जर्मीनियम, सिलिकॉन.

  • अर्धचालकों में अशुद्धि मिलाने पर इनकी चालकता बढ़ जाती है.
  • परम शून्य ताप पर प्रत्येक अर्धचालक है, पूर्ण अचालक की भांति व्यवहार करता है.
  • संधि डायोड यह P  एवं n प्रकार के अर्धचालकों से बनी इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है. इसका प्रयोग AC धारा को DC  धारा में बदलने में किया जाता है.
  • प्रकाश उत्सर्जक दांतों का उपयोग केलकुलेटर, TV व DVD आदि के रिमोट ने किया जाता है.
  • फोटो डायोड का उपयोग प्रकार संचालित कुंजियो, कंप्यूटर,कार्डो आदि को पढ़ने में किया जाता है.
  • जेनर डायोड का उपयोग विद्युत परिपथ में वोल्टेज स्थिरीकरण के लिए किया जाता है.

ट्रांजिस्टर

यह अर्धचालकों से बनी ऐसी युक्ति है, जो कि इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धन, दोलन आदि क्रियाओं में प्रयुक्त होती है.

डिजिटल परिपथ

इसमें परिपथ जिनमें केवल डिजिटल संकेत प्रयुक्त होते हैं डिजिटल परिपथ कहलाते हैं. इलेक्ट्रॉनिक केलकुलेटर, कंप्यूटर, टीवी, डीवीडी रोबोट डिजिटल होता है.

लॉजिक गेट

इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होम में अर्धचालक युक्तियां एकीकृत परिपथ को ऑन तथा ऑफ करने अर्थात स्विच के रूप में प्रयुक्त की जाती है. इस प्रक्रम को लॉजिक गेट कहते हैं.

एकीकृत परिपथ

एकीकृत परिपथ या चिप एक ऐसा विद्युत परिपथ होता है, जिसमें एक अत्यंत छोटे अर्धचालक टुकड़े पर सभी आवश्यक घटक निर्मित किए जाते हैं.

दूरस्थ नियंत्रण

रिमोट कंट्रोल TV, डीवीडी प्लेयर एवं अन्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूर बैठे-बैठे ही संचालित करने की युक्ति को रिमोट कंट्रोल कहते हैं. इसमें अवरक्त किरणों का उपयोग किया जाता है.

संचार

सूचना एवं संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक है बोधगम्य रूप से स्थानांतरित कराने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं.

संचार व्यवस्था की मूल इकाई

एक संचार व्यवस्था मुख्य रूप से एक सूचना स्रोत, एक पर्सेर, 1 चैनल एवं एक संग्राहक से मिलकर बनी होती है.

सूचना

वह विचार संदेश जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजा जाता है, सूचना कहलाता है.

ट्रांसड्यूसर

ध्वनि संकेतों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करता है.

मोडूलेटर

विद्युत संकेत को उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों में अध्यारोपित करता है.

एंपलीफायर

मोडूलेटेट संकेत की शक्ति को बढ़ाता है.

ऐंटेना

इसकी सहायता से मोडूलेटेड संकेत को आकाश उत्सर्जित किया जाता है.

संचार चैनल

इसका अर्थ है मोडुलेटेड संकेत से ग्राही तक ले जाना है.

ग्राही

ग्राही में लगा ग्राही ऐंटेना संकेत ग्रहण करता है.

मोडूलेटर

मोडुलेटेड संकेत को वाहक तरंगों से अलग करता है.

एंपलीफायर दुर्बल ध्वनि संकेत को शक्ति प्रदान करता है.

ग्राही में लगा ट्रांसडयुसर पुनः ध्वनि संकेत को मृत रूप से ध्वनि तरंगों में रूपांतरित करता है.

प्रकाशीय तंतु

यह पूर्ण आंतरिक प्रक्रिया पर आधारित है. इसमें प्रकाशक कई बार रूप में  पूर्ण आंतरिक परावर्तन होकर जंतु के अक्ष के अनुदिश चलता है.

प्रकाशीय तंतु का उपयोग दूरसंचार में संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में किया जाता है.

नैनो प्रौद्योगिकी

नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर्गत किसी द्रव्य के परमाणविक तथा आण्विक पैमाने पर कार्यकुशलता का अध्ययन किया जाता है. इसमें नैनों के आकार के पदार्थों द्वारा वस्तुओं का निर्माण किया जाता है.

नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र, जैसे- सतह रसायन, कार्बनिक रसायन, आणविक जीव विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

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