आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रागैतिहासिक कालीन बिहार से जुड़े तथ्य – Bihar GK के बारे में बताने जा रहे है.
- बिहार के दक्षिणी भाग में आदिमानव के निवास के साक्ष्य मिले हैं।
- सबसे पुराने अवशेष आरंभिक पूर्व-प्र्सत्तर युग के है जो अनुमानत: 1,00,000 ई. पू. काल के है, इनमें पत्थर की कुल्हाड़ियों के फल, चाकू और खुरपी के रूप प्रयोग किए जाने वाले पत्थर क टुकड़े है।
- सबसे पुराने अवशेष मुंगेर और नालन्दा जिलों में उत्खनन में प्राप्त हुए है. मध्य पाषाण युग के अवशेष मुंगेर में मिले है. यहीं से परवर्ती पाषाण युग के अवशेष भी मिले है. जो छोटे आकार के पत्थर के छोटे टुकड़ों से बने है.
- मध्य पाषाण युग (9000 से 4000 ई.पू. ) के अवशेष सिहंभूम,रांची ,पलामू ,धनबाद ,और संथाल परगना ,जो अब झारखंड में है. से प्राप्त हुए है. ये छोटे आकार के पत्थर के बने सामान है जिनमें तेज धार और नोक है.
- नव पाषाण युग के अवशेष उत्तर बिहार में चिरांद (सारण जिला ) और चेचर (वैशाली जिला ) से प्राप्त हुए है. इनका काल सामान्यत: 2500 ई.पू. से 1500 ई.पू. के मध्य निर्धारित किया गया है. इनमे से न केवल पत्थर के अत्यंत छोटे औजार पप्राप्त हुए, बल्कि हड्डियों से बने सामान भी मिले.
- ताम्र पाषाण युग में पश्चिम भारत में सिंध और पंजाब में हड़प्पा संस्कृति का विकास हुआ. बिहार में इस युग में परिवर्तित चरण के जो अवशेष चिरांद(सारण), चेचर(वैशाली), सोनपुर(गया), मनेर(पटना) से प्राप्त हुए हैं उनमें आदिमानव के जीवन के साक्ष्य और उनमें आने वाले क्रमिक परिवर्तनों के संकेत मिलते हैं.
- उत्खनन में प्राप्त मृदभांड और मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े भी तत्कालीन भौतिक संस्कृति पर प्रकाश डालने में सहायक सिद्ध हुए हैं.
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