विज्ञान में शरीर के बारे में काफी जानकारी मिलती है इससे आप मानव शरीर की क्रिया के बारे में जान सकते है. मानव के शरीर में विभिन प्रकार के अंग-तंत्र , जैसे-पाचन , श्वसन, परिसंचरण, उत्सर्जन तंत्रिका तथा अन्तःस्रावी तंत्र उपस्थित होते है.
शरीर को कार्य करने के लिए उर्जा की जरूरत होती है. यह उर्जा कहाँ से आती है? शरीर उर्जा किस तरह से इस्तेमाल करता है चलिए जानते है मानव शरीर की क्रिया विज्ञान के बारे में.
जीव को वृद्धि विकास व अनुरक्षण हेतु तथा सभी जैविक प्रक्रिया के संचलन हेतु पोषक पदार्थो के अधिग्रहण को पोषक कहते है.
भोज्य पदार्थो में निहित वे उपयोगी रासायनिक घटक , जिनका उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होना शरीर के विभिन जैविक क्रियाओ के लिये अति आवश्यक है, पोषक पदार्थ कहलाते है.
यह कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का कार्बनिक यौगिक है, जिसका अनुपात क्रमशः 1:2:1 है यह पचने के उपरान्त ग्लुकोज में परिवर्तित हो जाता है.
इसी ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से शरीर ऊर्जा मिलती है.
शरीर की कुल ऊर्जा का 50-79% मात्रा की पूर्ति कार्बोहाइड्रेट से होती है.
1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण से 4.5 किलो कैलोरी उर्जा की प्राप्ति होती है.
इसका सामान्य सूत्र (CH2O)n होता है.
यह पौधे की कोशिका भित्ति में पाए जाते है.
कपास एवं कागज शुद्ध सेलुलोज होते है. यह ग्लूकोज का बहुलक है.
पशु, जैसे-गाय, भैंस, बकरी आदि में सेलुलोज का पाचन होता है, परन्तु मनुष्य में इसका पाचन नहीं होता.
ये कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सिजन के असंतृप्त योगिक होते है, किन्तु रासायनिक रूप में कार्बोहाइड्रेट से भिन्न होती है.
इसमें कार्बोहाइड्रेट की तुलना में ऑक्सिजन की बहुत कम मात्रा होती है.
ये पानी में अघुलनशील परन्तु क्लोरोफ़ार्म, बेन्जीन, पेट्रोलियम आदि कार्बनिक विलायको में घुलनशील होती है.
क्षार द्वारा इसका पायसीकरण किया जाता है.
वसा एक अणु ग्लिसरॉल तथा वसा अम्ल के तीन अणुओ के एस्टर बंध द्वारा बनते है, इसलिए इन्हे ट्राइग्लिसराइड्स कहते है.
वसा उर्जा के विपुल स्त्रोत है. ऑक्सीकरण के पश्चात यह कार्बोहाइड्रेट की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा उर्जा उत्पन करते है.
शरीर की कुल उर्जा 20-30% उर्जा वसा से प्राप्त होती है, जबकि वसा के एक ग्राम पूर्ण ऑक्सीकरण से 9.3 किलो कैलोरी उर्जा मुक्त होती है.
वसा का संचय विशीष्ट वसीय ऊतक में होता है. 20०C पर वसा तेल कहलाते है.
यह एक जटिल कार्बनिक यौगिक होता है.
प्रोटीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वर्ष 1938 में बर्जीलियस ने किया.
शरीर की वृद्धि एव ऊतको के टूट-फुट की मरम्मत में प्रोटीन की भूमिका अहम होती है.
इसमें अलावा शरीर में विभिन्न रासायनिक क्रियाओ के लिए उत्प्रेरक के रूप में विभिन्न एंजाइम की भूमिका होती है जो प्रोटीन ही होता है.
प्रोटीन अमीनो अम्लो के बहुलक होते है, इसमें लगभग 20 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते है.
मानव शरीर में इनमे से 10 प्रकार के अमीनो अम्ल का संश्लेषण शरीर में स्वयं होता है, जबकि शेष 10 प्रकार के अमीनो अम्ल भोजन के द्वारा प्राप्त होता है.
शारीरिक प्रोटीन | कार्य |
एन्जाइम्स | जैव-उत्प्रेरक जैव-रासायनिक अभिक्रिया में सहायक है. |
हॉर्मोन्स | शरीर की क्रियाओं का नियमन करते है. |
परिवहन प्रोटीन | हीमोग्लोबिन एवं विभिन्न पदार्थो का परिवहन करती है. |
संरचनात्मक | कोशिका एवं ऊतक निर्माण करती है. |
रक्षात्मक प्रोटीन | संक्रमण से रक्षा करने में सहायक है, उदहारण –प्रतिरक्षी. |
संकुचन प्रोटीन | ये पेशी संकुचन एवं चलन हेतु उतरदायी हैं, उदहारण मायोसीन एक्टिन आदि. |
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