बिलासपुर
जाजल नगरी
जांजगीर
4466.74 वर्ग किमी
10 (बामिनीदीही, पामगढ़, नवागढ़, सक्ति, मालखरौदा, जेजेपुर, डभरा, बलौदा, अकलतरा, चांपा)
915
09
631
04
0
11
5
16,19,707
8,15,717
8,03,990
2,24,218
1,14,954
1,09,261
73.07 प्रतिशत
61.31 प्रतिशत
363 प्रतिवर्ग किमी
1000 : 986
15
1
7
1,87,196
93,186
94,110
3,97,908
1,99,633
1,98,275
12,94,646
7,01,401
6,93,245
2,25,061
1,14,316
110745
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय स्थल |
जांजगीर | ऐतिहासिक ,पुरातात्विक | विष्णु मंदिर, शिव मंदिर, बरमबाबा चौरा |
खरौद | ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक | लक्ष्मणेश्वर मंदिर, शबरी मंदिर |
शिवरीनारायण | धार्मिक, सांस्कृतिक | शिव नारायण मंदिर, दूधाधारी मठ |
पिथमपुर | ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक | कमलेशवर महादेव मंदिर |
चांपा | ऐतिहासिक, धार्मिक | समलेश्वरी देवी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, राजमहल |
सक्ती | ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक | दमाउ दहरा,पंचवटी, रावनखोल |
चंद्रपूर | इतिहास धार्मिक, | चंद्रहासिनी देवी मंदिर |
लाल एवं पीली मिट्टी
गेहूं, चावल, तिलहन।
हसदो, महानदी, शिवनाथ, मांड
चूना पत्थर, डोलोमाइट
कबीरपंथीयों का मेला।
रेशम उद्योग (चाम्पा), सीमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड अकलतारा (जांजगीर)
अगरिया, बैगा, भारिया, बिनज्वार, धनवार, कावर, खैरवार, कोरवा, माझवार पारधी, बहेलिया
200
हसदेव बांगो परियोजना
778 वर्ग किमी
जांजगीर चांपा (420 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी)
चाम्पा
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय स्थल |
कोरबा | उद्योगी | सुपर थर्मल पावर, बालको |
पाली | ऐतिहासिक, धार्मिक | प्राचीन शिव मंदिर |
लाफ़ागढ़ | ऐतिहासिक, धार्मिक | प्राचीन किला, गुफा महामाया मंदिर |
केंदई | जलप्रपात प्राकृतिक | जलप्रपात |
तुम्हान | पुरातात्विक | प्राचीन शिव मंदिर |
बांगो | जलाशय, प्रकृतिक | बांध दृश्य |
नाम | स्थान | मेगा वाट |
सुपर थर्मल पावर स्टेशन एनटीपीसी लिमिटेड | जमनीपाली, कोरबा | 2100 मेगावाट |
बाल्को कैपटिव पावर प्लांट | प्रगति नगर कोरबा | 270 मेगा वाट |
कोरबा थर्मल पावर स्टेशन | कोरबा | 440 मेगा वाट |
हसदेव थर्मल पावर स्टेशन | कोरबा | 840 मेगा वाट |
चाम्पा हावड़ा, मुंबई रेल मार्ग पर बिलासपुर से रेलमार्ग द्वारा 53 किलोमीटर सड़क मार्ग द्वारा 78 किलोमीटर दूरी पर समुद्र तल से 500 मीटर की ऊंचाई पर हसदो नदी के तट पर बसा यह नगर अपने कास, ( टशर) तथा कंचर ( सोना) से निर्मित वस्तुओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ में रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो में मदनपुर (चाम्पा) भी एक महत्वपूर्ण गढ था। यहां समलेश्वरी देवी का मंदिर श्री जगन्नाथ मंदिर, श्री मुरली मनोहर का शिव मंदिर, श्री कृष्ण गौशाला मंदिर, राजमहल एवं रामबांध तालाब, मदनपुर गढ़, मड़वा रानी मंदिर आदि प्रमुख है।
मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर सक्ति स्टेशन से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अड़भार का प्राचीन इतिहास में उल्लेख अष्टद्वार के नाम से मिलता है। अंडमान में स्थित अष्टभुजी माता का प्राचीन मंदिर दर्शनीय है। कल्चुरीकालीन यह मंदिर छत्तीसगढ़ की तत्कालीन शिल्पकला का श्रेष्ठ नमूना है।
बिलासपुर से लगभग 113 किलोमीटर मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर सक्ति से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर दमाऊदहरा स्थित है। जोकि ऋषभ तीर्थ या गूंजी नाम से भी जाना जाता है। दमाऊदहरा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ों के बीच स्थित जल का एक गहरा कुंड है। इसके पास पहाड़ से लगातार पानी गिरता रहता है। इसमें पहाड़ में एक प्राचीन प्रस्तर शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसके आधार पर यही प्राचीन ऋषभ तीर्थ है। ऋषभ तीर्थ का वर्णन महाभारत में वन पूर्व के अवसर पर तथा श्री भागवत के पांचवें स्कंध के तीसरे अध्याय में तीसरे अध्याय में मिलता है। इन उल्लेखों से ऋषभ तीर्थ की प्रमाणिकता सिद्ध होती है। यहां भगवान श्री ऋषभदेव की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। किवदंती है कि प्राचीनकाल में यहां भगवान ऋषभदेव निवास करते थे। इसके समेत तीन किमी पर पंचवटी (काल वराहकल्प राम आश्रम), 8 किलोमीटर पर गीद्ध पर्वत ( जटायु आश्रम) तथा रेनखोल (रावण खोल अर्थात रावण की गुफा) है। जनश्रुतिओं के अनुसार, रेनखोल भगवान श्री रामचंद्र के वनवासकाल की स्मृतियों के लिए अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थल है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने सीता का अपहरण इसी स्थान से किया था।
खरौद चित्रोत्पाला गंगा (महानदी) के किनारे बिलासपुर से 63 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व में प्रसिद्ध तीर्थ शिवरीनारायण से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक नगर है। शैव परंपरा यहां स्थित लक्ष्मेश्वर (लखेश्वर) शिवलिंग से स्पष्ट परिलक्षित होती है। शिव मठ भी इसका घोतक है, शायद यही कारण है कि शिवरीनारायण और खरौद को क्रमश विष्णुकांक्षी और शिवाकाक्षी कहा जाता है। और इनकी तुलना उड़ीसा के जगन्नाथ के भगवान जगन्नाथ और भुवनेश्वर के लिंगराज से की जाती है। प्राचीनकाल से जगन्नाथपुरी जाने का रास्ता खरौद और शिवनारायण से होकर जाता था। यहां लक्ष्मेश्वर, शबरी मंदिर, इंदल देव मंदिर आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसे छत्तीसगढ़ का काशी भी कहा जाता है।
बिलासपुर से दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 64 किलोमीटर दूर प्राचीन धार्मिक स्थल शिवरीनारायण स्थित है। यहां छत्तीसगढ़ की 3 प्रसिद्ध नदियां – महानदी (चित्रोत्पला गंगा), शिवनाथ नदी एवं जोंक का संगम प्रयाग के त्रिवेणी संगम के सदृश्य है। इस स्थल का नाम शिवरीनारायण क्यों पड़ा? इस पर कुछ की कीवदंतीयां हैं जिनके अनुसार यह स्थान रामायणकालीन रामभक्त शबरी की तपोभूमि था यहाँ शबरी ने राम को जुठे बेर खिलाए थे। अंतर शबरी के नाम पर यह शिवरीनारायण हो गया। यहां एक सबरी ईंटों का प्राचीन मंदिर भी है, जो तर्क के पक्ष में आता है। 9वीं शताब्दी की मूर्तियों को समेटे हुए 12वीं शताब्दी मे निर्मित शिवरीनारायण का मंदिर अंचल का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां बड़ा मंदिर एवं नर नारायण मंदिर के नाम जाना जाता है। इसके अलावा केशवनारायण मंदिर चंद्रचूड़ महादेव का मंदिर ( निर्माणकर्ता कुमारपाल नामक एक कवि), राम-लक्ष्मण जानकी मंदिर, दूधाधारी मठ, केवट मंदिर, सिंदूरगिरी, संगम घाट आदि प्रमुख दर्शनीय स्थलों में है। प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के पावन पर्व के अवसर पर शिवरीनारायण में विशाल मेला लगता है।
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