बिलासपुर
ऊर्जा नगरी
7145.44 वर्ग किलोमीटर
5 (कोरबा, कटघोरा, पाली, करताल, पौड़ी उपरोडा)
792
05
390
01
02
02
9
12,06,640
6,12,915
5,93,725
1,72,016
87,487
84,529
966
72.37 प्रतिशत
82.48 प्रतिशत
61.93 प्रतिशत
169 प्रतिवर्ग किमी
1000 : 969
22
10
9
4,93,359
2,46,323
2,47,236
1,24,679
63,446
61,233
7,60,350
3,81,424
3,78,926
4,46,290
2,31,491
2,14,799
लेटराइट मिट्टी
गेहूं, चावल, मक्का, तिलहन
हंसदो, लीलागर, बोराई।
बॉक्साइट, कोयला।
कोरबा सुपर थर्मल पावर स्टेशन ( 1978), भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड, कोरबा ( 1965)।
चाम्पा जंक्शन से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर औद्योगिक नगरी कोरबा स्थित है। बिलासपुर से इसकी दूरी 112 किलोमीटर है। यह नगर कोयला क्षेत्र में स्थित है एवं देश-विदेश में विद्युत उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है। यह छत्तीसगढ़ की उर्जा नगरी है।
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय स्थल |
कोरबा | औद्योगिक | सुपर थर्मल पावर, बाल्को |
पाली | ऐतिहासिक, धार्मिक | प्राचीन शिव मंदिर |
लाफ़ागढ़ | ऐतिहासिक, धार्मिक | प्राचीन किला, गुफा महामाया मंदिर |
केंदई | जलप्रपात प्राकृतिक | जलप्रपात |
तुम्हान | पुरातात्विक | प्राचीन शिव मंदिर |
बांगो | जलाशय, प्राकृतिक | बांध दृश्य |
अगरिया, बैगा, भैना, भूमिया, भारिया, धनवार, कावर, खेरवार, कोरबा, माझवर, पारधि, बहेलियां।
कोरबा ताप विद्युत गृह, बाल्कों ताप विद्युत केंद्र।
केंदई जलप्रपात
लेहरु हाथी अभयारण्य
3344 वर्ग किलोमीटर
बांगो परियोजना ( हसदेव नदी पर)
सर्वजनिक क्षेत्र का देश में प्रथम एल्यूमीनियम संयंत्र 27 नवंबर, 1965 को कोरबा जिले में स्थापित किया गया।
नाम | स्थान | मेगावाट |
कोरबा सुपर थर्मल पावर स्टेशन एन.टी.पी.सी. लिमिटेड | जमनीपाली, कोरबा | 2100 मेगावाट |
बाल्को कैप्टिव पावर प्लांट | प्रगति नगर कोरबा | 270 मेगावाट |
कोरबा थर्मल पावर स्टेशन | कोरबा | 440 मेगावाट |
हसदेव थर्मल पावर स्टेशन | कोरबा | 840 मेगावाट |
कोरबा के समीप स्थित एन.टी.पी.सी. द्वारा स्थापित देश के सबसे बड़े विद्युत गृह ने इस अंचल को सहज ही देश के उर्जा मानचित्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है। 2100 मेगावाट का कोरबा स्थित यह ताप विद्युत गृह, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की विद्युत परियोजना की श्रृंखला की दूसरी कड़ी के साथ-साथ सर्वाधिक महत्वाकांक्षी विद्युत परियोजना भी है।
कोरबा के सार्वजनिक क्षेत्र में भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड का एक विशाल संयंत्र स्थापित है। 1500 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैले इस संयंत्र की नींव 27 नवंबर, 1965 को रखी गई थी तथा उत्पादन 1975 में आरंभ हुआ। वर्तमान में यह एक संयुक्त उपक्रम है, क्योंकि फरवरी 2001 को इसके 51% शेयर निजी भारतीय कंपनी स्टरलाइट को दे दिए गए हैं।
औद्योगिक नगरी कोरबा से 25 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम छुरी से 9 किलोमीटर दूरी पर उत्तर-पूर्व स्थित हसदेव नदी के समीप समुद्र सतह से लगभग 400 फुट की ऊंचाई पर छत्तीसगढ़ के गड्ढों में से एक कौसगईगढ़ विद्यमान है। यह कुछ अवधि के लिए राजा वाहरेंद्र ( 1480- 1525 ई.) के समय कल्चुरियों की राजधानी रहा। यहां स्थित किला, गोमुखी, आदि प्रमुख स्थल है।
बिलासपुर-अंबिकापुर मार्ग पर 132 किमी की दूरी पर ग्राम केंदई स्थिति है। पहाड़ियों तथा साल के घने वनों के मध्य स्थित केंदई ग्राम में एक पहाड़ी नदी लगभग 200 फुट की ऊंचाई से गिरकर एक खूबसूरत प्रपात बनाती है, जो केंदई जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। गर्मियों में ऊंचाई से गिरती दूध-सी सफेद विशाल जलराशि और उस पर पड़ती सूर्य की किरणों से उत्पन्न इंद्रधनुषीय आभा यहां का मुख्य आकर्षण है।
बिलासपुर-अंबिकापुर मार्ग पर कटघोरा से 10 किलोमीटर की दूरी पर पसान मार्ग पर तुम्माण स्थित है। राजाओं ने सर्वप्रथम अपनी राजधानी यहीं पर स्थापित की थी। यहां कल्चुरी शासक रत्नदेव प्रथम ने शिव मंदिर का निर्माण कराया था। यह 11वीं शताब्दी का पंचरथ प्रकार का पश्चिमोनमुख मंदिर है। शिव मंदिर के अलावा यहां उत्खनन में प्राप्त महल एवं विभिन्न देवी-देवताओं, नायक-नायिकाओं की एवं मिथुर प्रतिमाएं दर्शनीय है।
बिलासपुर-अंबिकापुर मार्ग पर लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग से दाईं ओर 10 किलोमीटर भीतर बांगो स्थित है। यही महानदी की सहायक नदी हसदो पर एक सुंदर बांध बनाया गया है। जो हसदैव-बांगो बहुउद्देशीय परियोजनातगर्त मिनीमाता जलाशय के नाम से जाना जाता है। या 120 मेगावॉट का जल विद्युत गृह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा विद्युत गृह है-
कोरबा शहर से लगा हुआ दुर्गा देवी को समर्पित सर्वमंगला मंदिर कोरबा के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण कोरबा के जमींदार राजेश्वर दयाल के पूर्वजों ने कराया था। सर्वमंगला मंदिर के पास त्रिलोकीनाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलश भवन है।
चैतुरगढ़ को लाफ़ागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। कोरबा जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर पाली के पास 3060 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण राजा पृथ्वीराज देव ने करवाया था। यह किले जैसा लगता है। इसमें तीन प्रवेश द्वार है। जिन्हें मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्धार नाम से जाना जाता है। चैतुरगढ़ में महिषासुर मर्दिनी मंदिर है।
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