आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रकाश से जुड़ी जानकारी के बारे में जानकारी देने जा रहे है.
प्रकाश से जुड़ी जानकारी

प्रकाश
प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों के रुप में संचरित होती है. प्रकाश के कारण ही हम संसारिक वस्तुओं को देख पाते हैं, प्रकाश तरंगे अनुप्रस्थ होती है. प्रकाश के वेग की गणना सबसे पहले रोमर ने की थी. सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 19 सेकंड में पहुंचता है. चंद्रमा से परावर्तित प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1.28 सेकंड का समय लगता है.
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल
माध्यम | प्रकाश की चाल |
निर्वात | 3X10 |
कांच | 2X10 |
तारपीन तेल | 2.04X 10 |
जल | 2.25x 10 |
रॉक साल्ट | 1.96X\10 |
नाइलोन | 1.96X\10 |
प्रकाश का परावर्तन
प्रकाश चिकने पृष्ठ से टकराकर पुन: प्रारंभिक माध्यम वापस आने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं. आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब द्वारा प्रवर्तित किरण एक ही तल में होते हैं. आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है.
प्रकाश का अपवर्तन
- दिव्य प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो अपने मार्ग से विचलित हो जाती है, यह घटना प्रकाश का अपवर्तन कहलाती है.
- अपवर्तन की घटना में आपतन कोण की त्रिज्या, परावर्तन कोण की त्रिज्या का अनुपात एक नियंताक है ,जिसे एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं.
- आपतित किरण अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं.
- लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम तथा बैंगनी रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है.
- जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो इस की आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है, जबकि तरंगदैध्र्य तथा वक्त बदल जाता है.
- ताप बढ़ने पर सामान्यतः अपवर्तनांक घटता है.
- आकाश का रंग नीला दिखाई देता है, क्योंकि नीले रंग सबसे अधिक के प्रकृति से होता है तथा फैल जाता है.
- हम दर्पण में अपने आप को देख पाते हैं क्योंकि दर्पण से प्रकाश का परावर्तन होता है.
- पृथ्वी के वायुमंडल से अपवर्तन के कारण ही हमें तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं.
- खतरे के निशान लाल रंग के बनाए जाते हैं, क्योंकि लाल रंग की तरंगदेधैर्य अधिक होती है. जिसके कारण ही है दूर तक दिखाई देता है.
- वर्षा के मौसम में इंद्रधनुष दिखाई देता है, क्योंकि वायु में उपस्थित जल के कारण प्रिज्म का कार्य करते हैं. परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण इंद्रधनुष है.
- बिजली चमक के समय प्रकाश पहले दिखाई देता है, तथा ध्वनि बाद में सुनाई देती है, क्यों प्रकाश शीतल धोनी की अपेक्षा अधिक होती है.
- सूर्योदय के पहले तथा सूर्योदय के बाद भी सूर्य दिखाई देता है.
- प्रकाश का अपवर्तन के कारण द्रव में अशत: डूबी हुई सीधी छड टेडी दिखाई पड़ती है तथा जल के अंदर पड़ी हुई वस्तु वास्तविक गहराई से कुछ ऊपर दिखाई पड़ती है.
- सघन माध्यम का वह अवतरण जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90० हो, क्रांतिक कोण कहलाता है.
- पूर्ण आंतरिक परावर्तन तब होता है, जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही हो तथा आपतन कोण क्रांति कौन से बड़ा हो.
- प्रकाशिक तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर आधारित युक्ति है.
- प्रकाश के व्यक्तिकरण गुण के कारण जल की सतह पर फैली हुई केरोसिन की परत सूर्य के प्रकाश में रंगीन दिखाई देती है.
प्रकाश का विवर्तन
प्रकाश का अवरोधक के किनारों पर मुड़कर उसकी छाया में प्रवेश करने की घटना को विवर्तन कहते हैं.
प्रकाश का प्रकीर्णन
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरती है, जिसमें घुल तथा अन्य पदार्थों के अध्यक्ष समकोण होते हैं तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है, इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहा जाता है. बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है.
दर्पण
एसी तरह जिसका उपयोग प्रतिबिंब देखने के लिए किया जाता है, दर्पण कहलाती है. कांच की होती है इसका एक मुख्य दिखाई देता है. दर्पण दो प्रकार के होते हैं – समतल दर्पण, गोलीय दर्पण
समतल दर्पण
प्रतिबिंब काल्पनिक वस्तु के बराबर तथा पार्षद उल्टा होता है.
गोलीय दर्पण
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं- अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण
अवतल दर्पण के उपयोग
दाढ़ी बनाने में एवं नाक के डॉक्टर के द्वारा उपयोग में, गाड़ी की हेडलाइट में, सोलर कुकर में.
उत्तल दर्पण के उपयोग
गाड़ी में चालक की सीट के पास पीछे के दृश्य को देखने में, सोडियम परावर्तक लैंप में
आवर्धन
प्रतिबिंब की लंबाई और वस्तु की लंबाई के अनुपात को आवर्धन कहते हैं. उत्तल दर्पण से बना प्रतिबिंब वस्तु से छोटा, सीधा एवं आभासी होता है. जबकि अवतल दर्पण से बना प्रतिबिंब बढ़ा वह वास्तविक होता है.
अवतल दर्पण में बने प्रतिबिंब की स्थिति एवं प्रकृति
वस्तु की स्थिति थी | प्रतिबिंब की स्थिति | वस्तु की तुलना में प्रतिबिंब का आकार | प्रतिबिंब की प्रकृति |
अनंत पर है | फॉक्स पर है | बहुत छोटा( बिंदु मात्र है) | उल्टा वह वास्तविक है |
वक्रता केंद्र एवं अनंत के बीच | फॉक्स एवं वक्रता केंद्र के बीच | छोटा | उल्टा व वास्तविक |
तथा वक्रता केंद्र के बीच | वक्रता केंद्र एवं अनंत के बीच | बड़ा | उल्टा वह वास्तविक |
फॉक्स पर | अनंत पर | बहुत बड़ा | उल्टा व्यवस तरीके |
फोकस तथा ग्रहों के बीच | दर्पण के पीछे | बड़ा | सीधा व आवासी |
लेंस
लेंस दो प्रकार के होते हैं- उत्तल लेंस, अवतल लेंस
प्रकाशिक बिंदु
यह देश के अंदर स्थित वह बिंदु है, जिस से गुजरने पर प्रकाश किरणों का विचलन नहीं होता है.
मुख्य अक्ष
लेन्स के दोनों पृष्ठों के वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा को लेंस का मुख्य अक्ष कहते हैं.
फॉक्स
मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली किरणें लेंस के अपवर्तन के पश्चात जिस बिंदु पर मिल जाती है अथवा मिलती हुई प्रतीत होती है, उसे लेंस का फोकस कहते हैं.
राजस्थान के वन के प्रश्न उत्तर – Rajasthan GK
फॉक्स दूरी
प्रकाशिक केंद्र से फॉक्स तक की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं.
प्रिज्म
किसी कोण पर झुके दो समतल पृष्ठों के बीच गिरे किसी पारदर्शक माध्यम को प्रिज्म कहते हैं.
प्रकाश का वर्ण- विक्षेपण
- न्यूटन के अनुसार, जब प्रकाश की किरण एक पतले प्रिज्म से गुजरती है, तो अमृत किरण अपने मार्ग से विचलित होने के साथ साथ साथ विभिन्न धर्मों के प्रकाश में विभक्त हो जाती है. इस घटना को वर्ण विक्षेपण कहते हैं.
- प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के कारण प्राप्त छात्रों की पट्टिका को वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम कहते हैं. इसे स्पेक्ट्रम में रंगो के क्रम इसी प्रकार होते हैं, बैंगनी, आसमानी, नीला, पीला, नारंगी तथा लाल, सांकेतिक रूप से इसे हिंदी में बिआनीहैप्पीनाला तथा अंग्रेजी में VIBGYOR से निरूपित करते हैं.
- किसी वस्तु का रंग उसके द्वारा प्रवर्तित होने वाला प्रकाश होता है.
- बैंगनी रंग सबसे अधिक तथा लाल रंग सबसे कम विचलित होता है.
- लाल, हरा और नीले रंग का प्राथमिक रंग या मूल रंग कहते हैं.
रंगों का मिश्रण होता है
यह निम्न प्रकार होता है
लाल + हरा + नीला = सफेद
हरा + नीला = मोरनी रंग
लाल + हरा = पीला
लाल + नीला = मैजेंटा
मानव नेत्र प्रकाशिक यंत्र है, जो फोटोग्राफी के कैमरे की तरह व्यवहार करता है, इसके द्वारा वास्तविक प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है. संपर्क दूरी की न्यूनतम दूरी 25 सेंटीमीटर होती है.
सामान्य आंखों से देखी जा सकने वाली अधिकतम दूरी अनंत है. मानव नेत्र में एकल उत्तल लेंस होता है, जिसे नेत्र लेंस कहते हैं.
दृष्टि दोष
निकट दृष्टि दोष
इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति नजदीक की वस्तु को देख लेता है, परंतु दूर स्थित वस्तु को नहीं देख पाता है. इस दोष के निवारण में अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है.
दूर दृष्टि दोष
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति निकट की वस्तु नहीं देख पाता है. इस दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है.
अबिंदुकत्ता या दृष्टि वैषम्य
इसमें नेत्र से क्षेतिज दिशा में ठीक देख पाता है, परंतु उर्ध्व दिशा में नहीं देख पाता है. इसके निवारण के लिए बेलनाकार लेंस का उपयोग किया जाता है.
सूक्ष्म दर्शी
सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग छोटी वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है, जबकि दूरदर्शी का प्रयोग दूर की वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है.
सूक्ष्मदर्शी दो प्रकार की होती है-
सरल सूक्ष्मदर्शी
यह कम दूरी का उत्तल लेंस होता है. इसमें वस्तु का आकार वस्तु द्वारा नेत्र पर बनाए गए दर्शन पूर्ण पर निर्भर करता है. यहां फोकस दूरी = 25 सेंटीमीटर.
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी
इसमें एक ही अक्सर 2 उत्तल लेंस लगे होते हैं, 2 लेंस वस्तु की ओर होता है वह अभिदृश्यक लेन्स होता है. तथा जो लेन्स प्रक्षेक की आंख के पास होता है, वह नेत्रिका कहलाता है. अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी व् द्वारक कम हुआ है अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी व द्वारक बड़े होते हैं..
दूरदर्शी
इसमें दो उत्तल लेंस होते हैं. अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी नेत्रिका लेन्स से अधिक होती है. अभिदृश्यक द्वारक का होता है, जिसे यह दूर से आने वाले प्रकाश की अधिक मात्रा को एकत्रित करता है. अभिदृश्यक वस्तु की ओर होता है, तथा अभिनेत्र लेंस प्रक्षेक की आंख के पास होता है.
No Comments