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मानव रक्त का संघटन
मानव रक्त लाल रंग का एक योजी उत्तक है। इसकी दो प्रमुख घटक होते हैं.
- रक्त प्लाज्मा
- रक्त कणिकाएं
रक्त प्लैज्मा
यह हल्के पीले रंग का द्रव होता है। इसका 90% भाग पानी होता है तथा शेष लवण ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, हार्मोन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड गैस, कुछ पाचित तथा कुछ अपाचित पदार्थ होते हैं।
कार्य
इसके एक प्रोटीन जैसा फाइब्रिनोजेन होता है जो रक्त के जमने में सहायक है। इसमें प्रतिरक्षी भी होते हैं जो बाहरी पदार्थ जैसे जीवाणुओं को निष्क्रिय कर देते हैं।
रक्त कणिकाएं
रक्त में मुख्यतः तीन प्रकार की कणिकाएं होती है जिनका वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है:-
लाल रक्त कणिकाएं
यह गोलीय, बीच से दबी हुई कोशिकाएं होती है। इनका जीवन का लगभग 4 महीने (120 दिन) का होता है। उनमें लाल रंग का एक प्रोटीन होता है जिसे हिमोग्लोबिन कहते हैं। यह गोल, छोटी एवं सपाट होती है। परिपक्व होने पर इनमें केंद्रित नहीं होता है। इनकी संख्या बहुत अधिक होती है। (50 लाख\मी.मी.3)।
कार्य–
- यह रक्त को लाल रंग प्रदान करती है।
- इनमें उपस्थित हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को शरीर के सभी भागों में पहुंचाता है। यह ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्सिहिमोग्लोबिन बनाती है।
श्वेत रक्त कणिकाएं
इनकी संख्या लाल रक्त कणिकाओं से कम होती है लेकिन यह आकार में बड़ी होती है। यह रंग हीन होती है तथा इनमें हिमोग्लोबिन नहीं होता है। उनकी आकृति भी कुछ निश्चित नहीं होती है। यह पांच प्रकार की होती है।
कार्य
जो रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं यह उन्हें मार देती है या निगल जाती है। इस प्रकार यह हमारे शरीर को रोगाणुओं से बचाती है। यह शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है।
थ्रोमबोंसाइटस/विंबाणु
यह बीच में से मोटी तथा किनारों से पतली होती है। यह आकर में बहुत ही छोटी होती है तथा इनमें केंद्रक होता है।
कार्य
यह रक्त के जमने में सहायक है। जब चोट के स्थान से रक्त बाहर आता है तो वह चोट के स्थान पर एकत्रित हो जाती है तथा रासायनिक अभिक्रिया का आरंभ करती है ताकि और अधिक रक्त बाहर ना निकले।