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भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह कब और कहाँ

भारत इतिहास में 1757-1947 के बीच बहुत से ऐसे विद्रोह हुए जिन्होंने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला कर रख दी थी. भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध दो तरह के विद्रोह जिसमें हिंसक विद्रोह और अहिंसक विद्रोह शामिल थे. यहाँ पर हम आपको सभी प्रमुख विद्रोह की जानकारी दे रहे है.

भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह कब और कहाँ

भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह कब और कहाँ

सन्यासी विद्रोह (1763-1800 ई.)

सन्यासी विद्रोह तीर्थ यात्रा पर जाने के प्रतिबंध के कारण किया गया. सन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनन्द मठ में किया हुआ है.

चुआरों का विद्रोह (1768 ई.)

यह विद्रोह मिदानपुर जिले के चुआर जाति ने भूमिकर और अकाल की वजह से किया था.

हो-मुण्डा विद्रोह (1820-1822 ई.)

हो और मुंडा जाति के विद्रोह को हो-मुंडा विद्रोह कहा जाता है. इस विद्रोह में बंगाल के राजा भी शामिल थे.

कोल विद्रोह (1820-1836 ई.)

यह विद्रोह 1820 से 1836 ई. के बीच में हुआ था और यह विद्रोह रांची, सिहभूमि, पलामु, हजारीबाग के कई क्षेत्रो में फैला था. इस विद्रोह का मुख्य कारण जमीन का था.

जब कोलों की भूमि उनके मुखिया लोगों से लेकर मुस्लिम और सिख लोगो को दे दी गयी थी. इस विद्रोह की शुरुवात छोटा-नागपुर से हुई थी.

संथाल विद्रोह (1855 ई.)

संथाल विद्रोह ब्रिटिश सरकार के शासन काल में भूमिकर अधिकारीयों द्वारा जमींदारों और साहूकारों पर किये गए अत्याचार के खिलाफ किया था.

अहोम विद्रोह (1828 ई.)

अहोम विद्रोह 1828 ई. में हुआ था. इस विद्रोह का मुख्य कारण असम के अहोम कुलीन वर्ग के व्यक्तियों ने कंपनी पर वर्मा युद्ध के समय किए गए वादे से मुकरने का आरोप लगाया और विद्रोह किया था.

इसका नेतृत्व गोमधर कुंअर ने किया था.

खासी जाति विद्रोह (1833 ई.)

यह विद्रोह अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध किया था. यह विद्रोह अंग्रेज अधिकारीयों के खासी पहाड़ी और सिलहट के बीच में सैनिको के लिए सड़क बनाने के विरुद्ध किया गया था.

पागलपंथी विद्रोह (1813-1833 ई.)

इसकी शुरुवात टीपू ने की थी. पागलपंथी एक अर्द्धधार्मिक सम्प्रदाय है.

पागलपंथी विद्रोह का मुख्य कारण जमींदारों के अत्याचारों के विरुद्ध शुरू किया था.

फ़रायजी विद्रोह (1838-1857 ई.)

फरायजी विद्रोह की शुरुवात 1838 से हुई थी और यह विद्रोह 1857 ई. तक चलता रहा.

यह विद्रोह भी अंग्रेजों और जमीदारों के विरुद्ध किया गया था.

भील विद्रोह (1818-1831 ई.)

भील जाति के लोगों ने पश्चिमी तट पर खानदेश जिले में रहते थे.

इस विद्रोह में कृषि संभंधित समस्या को लेकर सेवराम के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया था.

कोलों का विद्रोह (1829-1848 ई.)

इस विद्रोह की शुरुवात 1829 ई. में अंग्रेजो के विरुद्ध शुरू हुआ था.

इसका मुख्य कारण दुर्गा को तोड़ने था जिसकी वजह से कोलो जाति रुष्ट हो गयी थी.

मुंडा विद्रोह (1899 तथा 1900 ई.)

सन 1899-1900 ई. छोटा-नागपुर तथा सिहभूम जिले के मुंडा लोगों ने कंपनी की सेना के साथ संघर्ष किया था, जिसको मुंडा विद्रोह का नाम दिया गया.

इस विद्रोह को उलगुलान के नाम से भी जाना जाता है. इस विद्रोह के ऊपर एक किताब भी लिखी गयी है.

सूरत का नमक आन्दोलन (1844 ई.)

इस विद्रोह का मुख्य कारण नमक दाम में 50 पैसा से बढाकर 1 रूपए कर दिया गया था.

सूरत का नमक विद्रोह अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध किया गया था. विद्रोह के उग्रता देखकर सरकार ने दोबारा नमक की वृद्धि को समाप्त करने का फैसला लिया.

रामोसी विद्रोह (1822-1839 ई.)

यह विद्रोह पश्चिमी धाट पर रामोसी जातिओं ने 1822 ई. में किया था. यह विद्रोह चितर सिंह ने अग्रेजी शासन के खिलाफ किया था.

यह विद्रोह का मुख्य अकाल और भुखमरी के चलते शुरू हुआ था. इसमें रामोसी जाति ने सतारा के आस पास के इलाकों को लुटा.

आज इस आर्टिकल में हमने आपको भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह कब और कहाँ हुए के बारे में बताया है. अगर आपको इससे जुडी कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करे.

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