History

मुगल काल से जुडी विस्तृत जानकरी

मुगल काल

मुगल तुर्की की चुगताई वंश से संबंधित है. बाबर के वचन जो की राजधानी समरकंद मे थी. बाबर ने 1504 ईस्वी में काबुल पर अधिकार किया तथा 1507 इसमें पादशाह की उपाधि धारण की. मुगल काल से जुडी विस्तृत जानकरी

बाबर (1526-30 ई.)

जहीरुद्दीन बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 में फरगाना में हुआ. वह मध्य एशिया सती फरगाना का शासक बना. बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा तथा माता का नाम कतूल्लूगनिगार खानम था. बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध ( 1526 ई.) मैं इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल वंश की स्थापना की. खानवा का युद्ध ( 1527 ई.)  में बाबर ने राणा सांगा को हराया एवं गाजी की उपाधि धारण की. चंदेरी का युद्ध ( 1528 ई.) में बाबर ने मेदिनी राय को पराजित किया.

घाघरा का युद्ध ( 1529 ई.) में बाबर ने मोहम्मद लोधी को पराजित किया. बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा तुजुक- ए- बाबरी लिखी. बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में तोपखाना का प्रयोग किया तथा युद्ध में युद्ध की नई नीति तुलुगमा नीति अपनाई. उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के प्रसिद्ध  तोपची थे. बाबर की मृत्यु 1530 ईस्वी में आराम बाग आगरा में हुई.

हुमायूं (1530-56 ई.)

नसरुद्दीन हुमायूं 30 दिसंबर  1530 को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा. हुमायूं ने दिल्ली के निकट दीन पनाह नगर की स्थापना की. उसका प्रमुख शत्रु शेरशाह सूरी था, जिसने उसे चौसा के युद्ध ( 1539 ई.) में पराजित किया 1540 ईस्वी में कन्नौज ( बिलग्राम)  युद्ध में पराजित होने के बाद हुमायूं को भारत से बाहर शरण लेनी पड़ी.

1556 ईस्वी में दिल्ली में शेर मंडल नाम पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूं की मृत्यु हो गई. हुमायूं द्वारा लड़े गए चार प्रमुख विद्रोह का करम है – दोराहा या दोहरिया ( 1532 ई.)  चौसा ( 1539 ई.), बिलग्राम ( 1540 ई.) एवं सरहिंद का युद्ध ( 1555 ई.)

सूर वंश

शेरशाह सूरी ने हुमायूं को चौसा का युद्ध ( 1539 ई.)  तथा कन्नौज के युद्ध ( 1540 ई.) में हराकर 1540 – 45 ईस्वी तक भारत पर शासन किया. शेरशाह सूरी का असली नाम फरीद था. उसे शेर खां की उपाधि बहार खान लोहानी ने दी थी. चौसा के युद्ध में विजय के बाद उसने शेर शाह सूरी की उपाधि ग्रहण की. 1540 ईस्वी में कालिंजर का अभियान, शेरशाह का अंतिम सैन्य अभियान था. इसमें एक गोले के विस्फोट से शेरशाह की मृत्यु हो गई. शेरशाह के शासनकाल में मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना की थी.

शेरशाह सूरी ने सिंधु नदी से बंगाल तक शेरशाह सूरी मार्ग का निर्माण करवाया था. शेरशाह का मकबरा सासाराम ( बिहार) में स्थित है. उसने यमुना नदी के किनारे पर पुराने किले की स्थापना की तथा पुराने किले में किल्ली -ए-कुन्हा मस्जिद का निर्माण करवाया. उसने चांदी का रुपया तांबे का दाम नामक सिक्के चलाए.

बहमनी साम्राज्य से जुडी जानकारी

अकबर (1556-1605 ई.)

अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 में, हुमायु के प्रवास के दौरान अमरकोट में राणा वीरसाल के महल में हुआ. अकबर की मां का नाम हमीदा बानो बेगम था. अकबर का राज्यभिषेक 1556 ईस्वी में कलानौर में हुआ. 1507 ईस्वी तक अकबर ने बैरम खान के  सरंक्षण में शासन किया. बैरम खां को वकील नियुक्त किया गया था. सिहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खां की सहायता से 1556 ईस्वी में पानीपत के द्वितीय युद्ध में हेमू विक्रमादित्य को पराजित किया. 1564 ईस्वी में अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया. अकबर के समय में उद्योगों मृदाओं एवं युसूफजाइयों का विद्रोह हुआ. 1576 ईस्वी में हल्दी घाटी के प्रसिद्ध युद्ध में अकबर के सेनापति राजा मानसिंह ने मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप को पराजित किया. 1571 ईस्वी में अकबर ने आगरा से 36 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की और उस में प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा बनवाया. बुलंद दरवाजा अकबर द्वारा गुजरात जीतने के उपलक्ष्य में बनवाया गया था. 1500 अकबर ने सभी धर्मों के सिद्धांतों को लेकर तोहिद-ए- इलाही  या दीन- ए- इलाही धर्म की स्थापना की. दीन- ए- इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अंतिम हिंदू शासक के विरुद्ध था. युसूफजाईयो के विद्रोह को दबाने में बीरबल की मृत्यु हुई. अबुल फजल ने अकबरनामा की रचना की. मुगल साम्राज्य में मनसबदारी की प्रथा अकबर ने प्रारंभ की थी. अकबर की मृत्यु 1605 ईस्वी में हुई थी. सूफी संत शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे.

अकबर के महत्वपूर्ण कार्य

कार्य वर्ष
दास प्रथा का अंत 1562
तीर्थ यात्रा कर समाप्त 1563
जजिया कर समाप्त 1564
फतेहपुर सीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरा से फतेहपुर सीकरी स्थांतरण है 1571
इबादतखाने की स्थापना 1575
इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति 1578
महजर की घोषणा 1579
दीन- ए-इलाही  की स्थापना 1582
इलाही संवत की शुरुआत 1583

जहांगीर ( 1605 – 27 ई.)

इस के बचपन का नाम सलीम था और नूर उद्दीन की उपाधि धारण की जहांगीर ने सिक्खों के पांचवे गुरु, गुरु अर्जन देव को, शहजादा खुसरो की सहायता करने के कारण फांसी की सजा दी. जहांगीर ने 1611 ईस्वी में शेर- ए- अफगान ( अली कुली खां)  की विधवा मेहरूनिशा से विवाह किया, जो बाद में नूरजहां के नाम से प्रसिद्ध हुई. जहांगीर ने आगरा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रशाला की स्थापना की. नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी. जहांगीर ने 16 से 20 ईसवी में कांगड़ा को जीता एवं 16 से 26 ईसवी में महावतनखा के विद्रोह को दबाया. जहांगीर ने निसार नामक सिक्के का प्रचलन किया. जहांगीर के शासनकाल में मुगल चित्रकला  चरमोत्कर्ष पर थी. उसने राज्य की जनता को न्याय दिलाने हेतु न्यायिक की प्रति के सोने की जंजीर को अपने महल के बाहर लगवाया. जहांगीर के शासनकाल में प्रथम अंग्रेज मिशन कैप्टन हॉकिंस के नेतृत्व में मुगल दरबार में आया ( 1608 – 11 ई.) जो व्यापारी अनुमति प्राप्त नहीं कर सका. सर टामस रो के नेतृत्व में दूसरा मिशन भारत आया ( 1615 – 18 ई.) दो व्यापारिक अनुमति प्राप्त करने में सफल रहा. जहांगीर के शासनकाल में 16 से 13 ईसवी में अंग्रेजों ने सूरत में प्रथम व्यापार केंद्र की स्थापना की. 1627 ईस्वी में जहांगीर की मृत्यु हो गई.

शाहजहां (1627-58 ई.)

जोधपुर के शासक उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई ( जोधा बाई)  का पुत्र था, इसके बचपन का नाम खुर्रम था. मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहां ने करवाया था. इसका मुख्य कलाकार बादल खान था. इसका व्यवहार नूरजहां के भाई आस्था की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम से हुआ. मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई. शाहजहां ने आगरा में मोती मस्जिद दिल्ली में जामा मस्जिद का निर्माण करवाया. आगरा के स्थान पर सामने दिल्ली में  शाहजहानाबाद की राजधानी बनाया. लाल किले में स्थित मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब. ने करवाया 25 अप्रैल, 498 धारा एवं औरंगजेब के बीच धर्मत का युद्ध हुआ. इस युद्ध में दारा की पराजय हुई. साहब बुलंद इकबाल के रूप में दारा शिकोह जाना जाता था. 1658 ईस्वी में औरंगजेब ने सामूगढ़ के युद्ध में विजय प्राप्त करते हुए राजधानी पर अधिकार कर लिया तथा शाहजहां को गिरफ्तार कर आगरा के किले में बंद कर दिया.

मुगल शासकों के मकबरे

शासक मकबरा
बाबर काबुल
हुमायूं दिल्ली
अकबर सिकंदरा ( आगरा)
जहांगीर शाहदरा ( लाहौर)
शाहजहां आगरा
औरंगजेब औरंगाबाद ( दोलताबाद)

शिख शक्ति

सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक ने की थी. गुरु नानक के बाद गुरु अंगद तथा अमर दास ने पथ को महत्वपूर्ण बनाया. अकबर ने गोइंदवाल में गुरु अमरदास से भेंट की. चौथे गुरु रामदास ने अमृतसर नगर बसाया. गुरु अर्जुन देव ने आदि ग्रंथ का 1604 ईस्वी में संकलन करवाया. नौवे गुरु तेग बहादुर की 1617 में औरंगजेब ने दिल्ली में हत्या करवा दी. अंतिम तथा दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. गुरु गोविंद सिंह द्वारा आनंदपुर में खालसा की स्थापना के पूर्व निरंकारी गुरु नानक एवं सिख धर्म पर बल देते थे. गुरु गोविंद सिंह के बाद बंदा बहादुर सिखों का नेता हुआ जिसकी 1715 ईस्वी में फर्रुखसियर की हत्या करवा दी. बाद में सिक्खों का विभाजन 12 सालों में हो गया.

सिख धर्म गुरु और उनके कार्य

समय ( गुरु -कॉल)

गुरु कार्य
1469 – 1538 ई, गुरु नानक देव सिख धर्म की स्थापना, आदि ग्रंथ की रचना
1538 – 1552 ई. गुरु अंगद देव गुरुमुखी लिपि के जनक
1552 – 1574 ई. गुरु अमर दास धर्म प्रसार हेतु 22  गद्दियों की स्थापना
1574 – 1581 ई. गुरु रामदास अमृतसर की स्थापना (1577 ई.)
 1581 – 1606 ई, गुरु अर्जुन देव श्री हरमंदिर साहिब या स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन
1606 -1645 ई, गुरु हरगोविंद सिंह अकाल तख्त की स्थापना, सिखों को सैनिक जाति में बदला
1645 – 1661 ई. गुरु हर राय उत्तराधिकारी ( मुगलों के) युद्ध में भाग
1661 – 1664 ई. गुरू हरिकिशन अल्प व्यस्क अवस्था में ही मृत्यु
1664 – 675 ई. गुरु तेग बहादुर इस्लाम कबूल ना करने के कारण औरंगजेब द्वारा सिर कटवा दिया गया/
675 -1708 ई. गुरु गोविंद सिंह खालसा पंथ की स्थापना, अंतिम गुरु

 

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