आज इस आर्टिकल में हम आपको विजय नगर साम्राज्य से जुडी जानकरी के बारे में बताने जा रहे है. जो निम्नलिखित है.

विजय नगर साम्राज्य से जुडी जानकरी
विजयनगर साम्राज्य
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों ने अपने गुरु विद्यारण्य की सहायता से 1327 ईस्वी में की. 1327 ईस्वी में हंपी को विजयनगर की राजधानी के रूप में निर्मित किया गया. विजयनगर पर 4 वर्षों ने शासन किया. संगम, शालूव्, तुलुव्, तथा अरविडू.
संगम वंश ( 1336 – 1485 ई.)
हरिहर प्रथम ( 1336 – 56 ई.) विजयनगर का पहला शासक था, उसने संगम वंश के शासन की नींव डाली. 1356 ईस्वी मैं उसका भाई बुका शासक बना, उसने वेदमार्ग प्रतिष्ठापक की उपाधि ग्रहण की. तेलुगु कवि श्रीनाथ ने हरविलास उनकी रचना देवराय प्रथम के दरबार में रहते हुए की. देवराय द्वितीय ने दो संस्कृत ग्रंथों महा नाटक, सुधा निधि तथा ब्राह्मण सूत्र पर टीका लिखी.
सालूव् वंश (1485 -1505 ई.)
1485 ईस्वी में नरसिंह शालूव् ने विजयनगर में शासन आरंभ किया. उसके सेनानायक नरसा नायक ने उसके उत्तराधिकारियों को समाप्त कर 1505 इसलिए मैंने तुलुव वंश की नींव रखी.
तुलुव वंश ( 1505 – 1569 ई.)
नरसा नायक का पुत्र वीर नरसिंह तुलुव वंश का संस्थापक माना जाता है. 1509 ईस्वी में नरसिंह तुलुव् का भाई कृष्ण देवराय शासक बना. कृष्णदेव राय विजयनगर का सर्वश्रेष्ठ शासंक था. उसने पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क को भटकल में दुर्ग निर्माण की स्वीकृति दी. कृष्णदेव राय ने तेलुगु भाषा में अमुक्तमाल्यद तथा संस्कृत भाषा में जांबवती कल्याण की रचना की. उसके दरबार में तेलुगु भाषा के विद्वान रहते थे, जिन्हें अष्टदिग्गज कहा जाता था. कृष्णदेव राय को आंध्र भोज के नाम से भी जाना जाता है, यवन राज्य सपना पर यह भी कहा जाता है. 1565 अहमदनगर, बीजापुर, गोलाकुण्ड, तथा बद्र की संयुक्त सेना ने विजयनगर की सेना को तालीकोटा का युद्ध या राक्षसी तागड़ी के युद्ध में पराजित किया.
अरविंडू वंश (1569- 1612 ई)
तिरुमल अरविडू वंश का संस्थापक था, उसका उत्तराधिकारी रंग द्वितीय था. 1586 ईस्वी में व्यंकट द्वितीय ने विजयनगर की राजधानी चंद्रगिरी में स्थापित की, उसने सफेद के राजा फिल्मी तृतीय से पत्र व्यवहार किया.
विजयनगर आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री
यात्री | कॉल | देश | शासक |
निकोलो कोंटी | 1420 ईस्वी | इटली | देव राय |
अब्दुरज्जाक | 1442 | पारस | देव राय |
नुनीज | 1450 ईस्वी | पुर्तगाल | मल्लिकार्जुन |
डोमिंगो पायस | 1515 ई. | पुर्तगाल | कृष्णदेव राय |
No Comments