उत्परिवर्तन

ह्यूगो डी. ब्रिज  के अनुसार, किसी जाति के पौधों या जंतुओं में उत्पन्न हुई आदमी के विभिन्नताएं जो अगली पीढ़ी में स्थानांतरित हो, उत्परिवर्तन कहलाती है. कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्रों खंडों के स्थानांतरण की प्रक्रिया युग्मन एवं प्रतिकर्षण के द्वारा पूर्ण होती है.

विपरीत लिंगी युग्मको के जुड़ने से युग्मकाईगोट का निर्माण होता है. जुड़ने की प्रक्रिया को  निषेचन कहते हैं. यदि निषेचन के उपरांत जाइगोट का विभाजन हो जाए, तो जुड़वा पैदा होते हैं.

सहलग्नता

वर्णांधता

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति लाल में हरे रंग का भेद नहीं कर पाता है.  इसका जीन X- गुणसूत्र पर उपस्थित होता है और अप्रभावी होता है. जब एक वर्णांध महिला का विवाह एक सामान्य पुरुष से करा दिया जाता है ,तो इन से उत्पन्न संतान में पुत्रों में वर्णांधता के गुण होंगे, जब की पुत्रियाँ वाहक सामान्य होगी.

हीमोफीलिया

इसे ब्लीडर रोग भी कहते हैं. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में चोट लगने पर रुधिर का थक्का नहीं बनता या बहुत देर से बनता है और लगातार खून बहने से रोगी की मृत्यु तक हो जाती है. यह रोग अप्रभावी X-सहलग्न जीन के कारण होता है, जब एक ही हिमोफोलिक पुरुष का विवाह सामान्य स्त्री से कराया जाता है, तो उनकी सभी पुत्रियां वाहक, जबकि पुत्र सामान्य होंगे.

लिंग निर्धारण

वे गुणसूत्र जिनकी उपस्थिती या अनुपस्थिति की चीजों के लिंग को प्रदर्शित करती है, लिंग गुणसूत्र या एलोसोम कहलाते हैं. इनके अलावा अन्य गुणसूत्रों को ऑटोसॉम कहते हैं. मानव निषेचन में यदि किसी अंडाणु से X-गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तो युग्मनज XX अर्थात लड़की होगी, इसके विपरीत यदि किसी अंडाणु से Y- गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है, तो इससे बना युग्मनज XY अर्थात लड़का होगा.

डीएनए तथा आरएनए में अंतर

DNA RNA
मुख्य रूप से केंद्रक में उपस्थित क्रोमोसोम में पाया जाता है. मुख्य रूप से कोशिकाद्रव्य में, इसके अतिरिक्त एक केंद्रीय का और केंद्रक द्रव्य में भी पाया जाता है.
इसकी रचना में द्विज्जूक पाया जाता है. इसकी रचना में एक रज्जुक पाया जाता है.
इसमें डी ऑक्सीराइबोज शर्करा पाई जाती है. इसमें राईबोज शर्करा पाई जाती है.
यह अनुवांशिक पदार्थ है, इसका मुख्य कार्य अनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाना है. यह आनुवंशिक सूचना का वाहक है, मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करता है.
DNA में बेस, एडिनीन, ग्वानिन, थायमिन और साइटोंसीन होती है. इसमें थाइमिन आधार की जगह के रूप में यूरेसिल होता है.
यह मुख्यतया केवल एक प्रकार का होता है. यह तीन प्रकार का होता है

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