तंत्रिका तथा पेशी उत्तक
ग्राहीयों की सहायता से, जो तंत्रिका कोशिकाओं के सिरे होते हैं।
वह अंग जो एक विशेष प्रकार की संवेदना को ग्रहण करते हैं, संवेदी अंग कहलाते हैं।
जीभ पर स्थित स्वाद ग्रंथियों के माध्यम से जो ग्राही स्वाद का पता लगाते हैं, उन्हें रस संवेदी ग्राही कहते हैं।
तंत्रिका उत्तक की रचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई को न्यूरॉन कहते हैं।
किसी उद्दीपन के प्रति अचानक, शीघ्र तथा स्वत: प्रतिक्रिया प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है।
मस्तिष्क के शरीर का मुख्य समन्वय केंद्र है।
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु से मिलकर बना होता है।
जब अंकुरित बीजों में वृद्धि होती है तो पौधा मिट्टी को एक और हटाता है तथा मिट्टी से बाहर आ जाता है।
न्यूरोन तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई है।
तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)
तंत्रिका आवेग विद्युतीय रसायनिक संकेतों के रूप में सूचना होती है जो तंत्रिका कोशिकाओं में से होकर गुजरती है।
यह एक न्यूरॉन की सिनेप्स गांठों से दूसरे न्यूरॉन की द्रुमिका तक रासायनिक संदेश को पहुंचाता है।
मेरुरज्जु प्रतिवर्ती क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
शरीर की वे प्रतिक्रियाएं जो सीधे ही मस्तिष्क के नियंत्रण में होती है, ऐच्छिक क्रिया कहलाती है।
प्रतिवर्ती क्रिया में तंत्रिका आवेग द्वारा अपनाया गया पथ प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
क्योंकि जंतुओं में सोचने की प्रक्रिया इतनी तीव्र नहीं आए। इसलिए जटिल तंत्रिका नेटवर्क की आवश्यकता पड़ती है।
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, परिधीय तंत्रिका तंत्र
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तथा शरीर के अन्य भागों के बीच संपर्क स्थापित करना, परिधीय तंत्रिका तंत्र का कार्य है।
मस्तिष्क की सुरक्षा कठोर संयुक्त कपाल/खोपड़ी द्वारा की जाती है।
यह मस्तिष्क को आघात से बचाता है।
प्रमस्तिष्क है।
मेरुरज्जु रीड की हड्डी द्वारा सुरक्षित रखता है।
ग्राही न्यूरॉन का कार्य सूचना को ग्रहण करके मस्तिष्क तक पहुंचना है तथा मोटर न्यूरॉन का कार्य मस्तिष्क से संदेश को प्रभावित अंग तक पहुंचाना है।
अनुवर्तन गतिया, आदिशिक गतियाँ
छुई मुई
प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण
साईं साइटों का विभज्योतक में उपस्थित होते हैं जहां कोशिका विभाजन के लिए उनकी आवश्यकता होती है।
पौधों में उत्पादित हार्मोन, जो पौधों की वृद्धि व विकास को प्रभावित करते हैं, पादप हार्मोन कहलाते हैं।
प्ररोह की चोटी पर वृद्धि वाले भागों।
पादप या उसके किसी बाप का उद्दीपन की ओर गति करना अनुवर्तन कहलाता है।
प्रकाश का जड़ों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
ऑक्सिन, जिब्बेरेलिन
एब्सिक अम्ल
एड्रिनलीन
अधिवृक्क ग्रंथि जो वृक्क के साथ जुड़ी हुई है।
हार्मोन रक्त के माध्यम में स्थानांतरित होते हैं।
यह एक रोग है जो आयोडीन की कमी से होता है जिसमें थायराइड ग्रंथि फूल जाती है।
पीयूष ग्रंथि।
शरीर में इसुलिन हार्मोन की कमी से मधुमेह रोग हो जाता है।
इंसुलिन
और अमन नलीका-विहिनी ग्रंथि द्वारा स्रावित रसायन पदार्थ होते हैं जो शरीर के कार्यों का नियंत्रण और समन्वय करते हैं।
नलिका विहीन ग्रंथियां जो हार्मोन का स्रावण करती है उन्हें अंत स्त्रावी ग्रंथियां कहते हैं।
एड्रीनलीन हार्मोन
क्योंकि यह बहुत सारी अंत: स्त्रावि ग्रंथियों को नियंत्रित करती है तथा अनेकों हार्मोन का स्त्रावण करती है।
यह होमियोस्टैसिस बनाए रखने में सहायक है।
इंसुलिन
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