अपने घर का पर्यावरण मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
- जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में डाल कर तथा उसका उचित निपटान करना चाहिए।
- पैकिंग के लिए पॉलिथीन के तेलों के स्थान पर जुट के थेलों का प्रयोग करना चाहिए।
- जब आवश्यकता ना हो तो पंखे व ट्यूब लाइट आदि बंद कर देना चाहिए।
- जिन पदार्थों को पुनः चक्रीकृत किया जा सकता है, उनका पुनः चक्रीकरण करना चाहिए,
क्या आपने अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पार्यनुकूलित है बनाया जा सके?
- जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे के लिए अलग-अलग कूड़ा दान रखें।
- रास्तों के दोनों और तथा उद्यान में फूलों वाले व छायादार पेड़ लगाएं।
- कागजों को खराब ना करें क्योंकि इससे वनों/पेड़ों पर दबाव बढ़ता है (कागज को लकड़ी से ही तैयार किया जाता है)।
- पानी में विद्युत को व्यर्थ ना खर्च करें। विद्यार्थियों को पानी में विद्युत के महत्व को और कमी को समझाएं।
- विद्यालय में पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाएं ताकि विद्यार्थी पर्यावरण सुरक्षा व पर्यावरण प्रदूषण के विषय में जानकारी ग्रहण कर ले।
- विद्यालय में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए।
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
- लोग जो वनों के अंदर या आस-पास रहते हैं।
- वन विभाग जो वनों की भूमिका मालिक है।
- उद्योगपति जो वनों के उत्पाद, जैसे लकड़ी का प्रयोग करते हैं।
- वन्य जीवन में प्रकृति को प्यार करने वाले व्यक्ति।
मेरे विचार में जो व्यक्ति वनों के अंदर या आस-पास रहते हैं उन्हें यह निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए कि वे उनके उत्पादों का प्रबंधन कर सके, क्योंकी – उनका जीवन और निर्वाह वन व उनके उत्पादों पर निर्भर करता है।
- उनकी जीविका वनों पर निर्भर करती है।
- वे वनों से इंधन की लकड़ी, फल, दवाइयां तथा चारों और उपयोग में लाते हैं।
- वे अपने पिछले अनुभवों से वन व वन्य जीवों की रक्षा में बताओ कर सकते हैं।
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं? वन्य एवं वन्य जंतु, जल संसाधन, कोयला एवं पेट्रोलियम।
वन एवं वन्य जंतु प्रबंधन-
- वन्य जीवन के संरक्षण के लिए जन जागरण अभियान चलाया जा सकता है।
- वन्य जीवन के संरक्षण के महत्व से संबंधित नियमों के बारे में जानकारी देने के लिए संदेश दीवारों आदि पर लिखे जा सकते हैं,
- इस प्रबंधन में छोटी-छोटी समितियां बनाकर आम लोगों की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है।
- वन व वन्य जीवन को हानि पहुंचाने वाले लोगों की जानकारी सरकारी तंत्र तक पहुंचाई जा सकती है।
जल संसाधन प्रबंधन-
- व्यर्थ बह रहे नाले को बंद कर जल की बर्बादी रोकी जा सकती है।
- नहाने के लिए फव्वारे के स्थान पर पानी की बाल्टी का प्रयोग किया जा सकता है।
- गर्मियों में जल संकट से बचने के लिए बगीचे की सिचाई सीमित जल से की जा सकती है।
- जल संकट के समय घर के पास वह वाहनों को धोने के लिए कम से कम जल का उपयोग किया जा सकता है।
कोयला एवं पेट्रोलियम प्रबंधन-
- अपने निजी वाहन के स्थान पर सार्वजनिक यातायात के साधनों का प्रयोग किया जा सकता है।
- चौराहे पर लाल बत्ती होने पर गाड़ी का इंजन बंद कर सकते हैं।
- पंखे तथा बल्ब उपयोग में नए हो, उन्हें बंद किया जा सकता है, क्योंकि विद्युत के उत्पादन के लिए ताप विद्युत घर में कोयले का उपयोग इन दिन के रूप में किया जा सकता है।
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों को खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
- बल्बों के स्थान पर CFL का उपयोग कर विद्युत बता सकते हैं।
- जब आवश्यकता ना हो तो पंखे व लाइट को बंद करके,विद्युत बचा सकते हैं।
- निजी वाहन के स्थान पर मेट्रो रेल, बस आदि का प्रयोग करके पेट्रोलियम उत्पादों को बचाया जा सकता है।
- 3R का सूत्र उपयोग करके प्राकृतिक संसाधनों की बचत की जा सकती है।
- व्यर्थ बहते पानी की बचत नल बंद करके की जा सकती है।
- कागज को व्यर्थ खराब ना कर के वनों को बचाया जा सकता है।
- अच्छी क्षमता प्राप्त करने के लिए अपने वाहन को ठीक प्रकार से ट्यूनिंग व मुरम्मत कर वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन को बचाया जा सकता है।