आज इस आर्टिकल में हम आपको राजपूत काल के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है-

राजपूत काल के बारे में पूरी जानकारी
राजपूत काल के बारे में पूरी जानकारी

राजपूत काल

चार राजपूत कुलो – परमार, प्रतिहार, चौहान, तथा चालुक्यों का उद्भव आबू पर्वत पर वशिष्ठ द्वारा किए गए यज्ञ की अग्नि कुंड से हुआ.

गुर्जर प्रतिहार वंश से

हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद गुर्जर प्रतिहारों ने कन्नौज पर नियंत्रण कर उत्तर भारतीय साम्राज्य की स्थापना की. हरिश्चंद्र ने प्रतिहार राजवंश की नींव रखी. नागभट्ट इस वर्ष का प्रथम शक्तिशाली शासक था. नागभट्ट के बाद बस राज्य प्रतिहार शासक हुआ, जिस कोयलिया माला तथा हरिवंश पुराण से महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है. नागभट्ट नेपाल नरेश धर्मपाल को हराया, किंतु राष्ट्रकूट शासक गोविंद से हरा.

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मिहिर भोज (836-889 ई.) कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया. मिहिर भोज के बाद उसका पुत्र महेंद्र पाल शासक हुआ. राज्य कर जिसने काव्यमीमांसा लिखी, महेंद्र पाल के दरबार में था. राज्य करने कर्पूर मंजरी, काव्यमीमांसा विद्धशालभंगिका , बाल भारत, बाल रामायण, भुन्कोस, हरविलास,  जैसे प्रसिद्ध जैन ग्रंथों की रचना की. यशपाल प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था.

राष्ट्रकूट वंश

राष्ट्रकूट वंश का संस्थापक दंतिदुर्ग था, जिसने 736 ई. में शासन की नींव रखी और मान्यखेत को अपनी राजधानी बनाया. कृष्ण प्रसिद्ध राष्ट्रकूट शासक था, जिसने एलोरा में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया.

द्रव तथा गोविंद प्रसिद्ध साम्राज्यवादी राष्ट्रकूट शासक थे. अमोघवर्ष ने कविराज मार्ग की रचना कन्नड़ भाषा में की, उसकी एक अन्य रचना प्रश्नोत्तर मलिका है. इंद्र प्रसिद्ध राष्ट्रकूट शासक था, जिसके शासनकाल में अरबी यात्री अलमसूदी भारत आया. उस ने इंद्र को भारत का स्वर्ग सेट शासक कहा. कृष्ण ने चोल शासक को पराजित कर सुदूर दक्षिण भारत पर नियंत्रण किया.

चालुक्य वंश या सोलंकी वंश

चालुक्य वंश की एक शाखा दक्षिण भारत में थी, जब दूसरी शाखा गुजरात में स्थित थी..ईसकी  राजधानी अनीहलवाड़ा मे थी. गुजरात के चालुक्य वंश के शासकों को अग्निकुंडीय राजपूत माना जाता है. चालुक्य वंश का पहला प्रतापी शासक था, उसका  उत्तराधिकारी चामुंडाराय था. चालुक्य शासक भीमराज प्रथम के शासनकाल में 1025 ई. मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर को लूटा था.

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गहड़वाल वंश

चंद्रदेव गहड़वाल वंश का प्रथम शासक था. इस वर्ष का एक प्रमुख शासक गोविंदचंद्र था. गोविंदचंद्र के बाद विजय चंद्र  सांशक हुआ.कुछ नहीं लाहौर को जीत लिया था. जयचंद्र गढ़वाल वंश का अंतिम प्रमुख शासक था, उसकी पुत्री संयोगिता थी. 1194 ई. मैं चंदावर के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने जयचंद को पराजित किया. इसके साथ ही कन्नूर पर तुर्कों का अधिकार हो गया.

चौहान वंश

चौहान वंश का संस्थापक वासुदेव था. वह प्रतिहारों का सामानत था. वह अजय पाल ने अजमेर नगर की स्थापना की. पृथ्वीराज 1178 ई.  मैं चौहान वंश का शासक बना, उसे राय पिथौरा भी कहा जाता था. पृथ्वीराज ने चंदेल नरेश पररंदीदेव को हराया 1191 ई. तराइन की प्रथम लड़ाई में पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को पराजित किया, किंतु  1192 ई. मैं मोहम्मद गौरी से पराजित होने के बाद उसे बंदी बना लिया गया.

चंदेल वंश

9 वीं शताब्दी में ननुक ने चंदेल वंश की स्थापना की.. वाक्पति तथा अजय सिंह यादव प्रारंभिक चंदेल शासक थे. जीजा के नाम पर ही चंदेल क्षेत्र को जेजाकभुक्ति भी कहा गया है. धंग ( 950 – 1102 ई.) ने मोहम्मद गजनबी के विरुद्ध हिंदू शाही शासक जयपाल की सहायता के लिए सेना भेजी थी.धंग एक महान निर्माता था, जिसने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया.

चंदेल शासक धंग  ने अपने अंतिम समय में प्रयाग के संगम पर अपने जीवन का अंत कर लिया. विद्याधर चंदेल शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली सांशक था. मुसलमान लेखक का उसका नाम नंद तथा विद्या नाम से करते हैं. विद्याधर ने मोहम्मद गजनबी का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया.

परमार वंश

परमार वंश का प्रथम स्वतंत्र एवं शक्तिशाली शासक सियक अथवा श्रीहर्ष था . 9 वी शताब्दी में उपेंद्र कृष्णराज ने मालवा में परमार वंश के शासन की स्थापना की और उज्जैन को राजधानी बनाया. मंजू प्रसिद्ध परमार शासक था, जिसने चालुक्य शासक तेल को 7 बार हराया तथा पदम गुप्ता धनंजय, धनी तथा भट्ट जैसे विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया.

पदम गुप्त ने नवसाहसांक चरित लिखा. भोज ( 1000 – 1055 ई.) परमार वंश का महान शासक था. वह एक प्रसिद्ध रचनाकार था और धारा को नई राजधानी बनाया और वहां सरस्वती मंदिर बनवाया. बहुत द्वारा लिखित ग्रंथों में शिक्षा शास्त्र आयुर्वेद सर्वस्व  तथा स्थापत्य शास्त्र समरांगण सूत्रधार विशेष रूप से उल्लेखनीय है. भोजन एक धारा में एक विद्यालय स्थापित किया था भोजपुर नगर की स्थापना की.

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