रेशे दो प्रकार के होते हैं-
प्राकृतिक रेशे – पौधों में अथवा जन्तुओ से मिलने वाले रेशों को प्राकृतिक रेशा कहा जाता है, जैसे कपास, उन, रेशम, सन, पटसन आदि।
संश्लेषित रेशे- इन्हें मानव निर्मित रेशे भी कहा जाता है। यह रासायनिक पदार्थों से निर्मित होते हैं जैसे- रेयॉन , नाइलॉन, पॉलिएस्टर एक्रिलिक।
संश्लेषित रेशे छोटे इकायों को जोड़कर बनाए जाते हैं। यह छोटी इकाइयां रासायनिक पदार्थ होते हैं। यही छोटी इकाईयां मिलकर एक बड़ी इकाई बनती है। जिसे बहुलक पॉलीमर कहते हैं। प्लास्टिक, पॉलिथिन बहूलकों के उदाहरण दें।
हां, बहुलक प्रकृति में भी पाए जाते हैं, जैसे कपास एक बहुलक है जो वास्तव में सेलूलोज होता है। सेलूलोज ग्लूकोस नामक इकाइयों से मिलकर बना होता है। कपास से वस्त्र बनाए जाते हैं। काष्ठ लुगदी भी एक सेलूलोज है जिससे रियान बनता है। अंतः रेयॉन एक बहुलक है।
रेशम एक प्राकृतिक रेशा है जो अति सुंदर है, बहुत महंगा और सबसे लंबा रेशा होता है जिसे रेशम कीट द्वारा निर्मित किया जाता है। रेशम कीट शहतूत के पेड़ों की पत्तियों पर पाला जाता है। सर्वप्रथम रेशम की खोज चीन में हुई थी। चीन ने इसे लंबे समय तक गोपनीय रखा। गोपनीय रखने के पीछे यह उद्देश्य था कि रेशम पर चीन का एकाधिकार बना रहे।
रेयॉन एक संश्लेषित रेशा है जिसे कृत्रिम रेशे के नाम से भी जाना जाता है। इसे काष्ठ लुगदी से प्राप्त किया जाता है। यह रेशम से सस्ता होता है परंतु इसकी बुनाई रेशम के सामान की जाती है।
रेयॉन से बिस्तरों की चादरें व ऊन के साथ मिलाकर कालीन व गलीचे बनाए जाते हैं।
नाइलॉन भी एक संश्लेषित रेशा है। इसका निर्माण कोयले, जल व वायु से किया जाता है। इसे सबसे पहले 1931 में बिना किसी प्राकृतिक कच्चे माल से बनाया गया।
नाइलॉन के गुण-
नाइलॉन से जुराबे, दांत साफ करने के ब्रुश, कारों के सीट के पट्टे, स्लीपिंग बैग, पर्दे, पैराशूट करो क्लाइंबिंग में प्रयुक्त होने वाली मजबूत रसिया बनाई जाती है। इसका उपयोग वाहनों के टायर बनाने में भी किया जाता है।
पॉलिएस्टर भी मानव निर्मित रेशा है। इसे एस्टर की इकाइयों की पुनरावृत्ति से बनाया जाता है। टेरिलीन, पॉलिकोट, पोलीवुल, पेट, टेरिकोट प्रमुख पॉलिएस्टर है।
गुण-
पॉलिएस्टर में सिलवटें पड़ने के कारण इस से बनी वस्तुओं को प्रेस करने की आवश्यकता नहीं होती है। देखने में पॉलिएस्टर सुंदर लगता है।
उपयोग-
पॉलिएस्टर से बोतलें, बर्तन, फिल्म वे तारे आदि बनाए जाते हैं। रसोई घरों में चावल, चेन्नई मसालों आदि के संचय हेतु पेट, से निर्मित जार तथा बोतलें बढ़िया मानी जाती है क्योंकि यह बर्तन खाद्य पदार्थों को नमी से बचाते हैं।
मनुष्य द्वारा संश्लिष्ट पदार्थों को प्राकृतिक पदार्थों की अपेक्षा अधिक महत्व दिया जाता, क्योंकि?
संश्लिष्ट पदार्थों में अधिकतर जैव अनिम्नीकरणीय प्राकृतिक वाले पदार्थ होते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। इनमें संश्लेषण से प्राकृतिक संसाधनों का भी अति दोहन होता है। इसलिए इनका उपयोग नहीं किया जाता है।
पॉलिएस्टर निर्मित वस्तुओं की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह अति शीघ्रता से आग पकड़ते हैं तथा पहनने वाले व्यक्ति के शरीर के साथ चिपक जाते हैं। यह इन वस्त्रों का सबसे अधिक हानिकारक गुण है। इसलिए रसोई घर में सूती वस्त्र पहनकर ही काम करने की सलाह दी जाती है।
प्लास्टिक को आसानी से सांचे में ढला जा सकता है। प्लास्टिक का पुनः चक्रण भी संभव है, इसलिए प्लास्टिक की वस्तुएं सभी संभव आकारों में ढाली जा सकती है। यही नहीं, प्लास्टिक को रंगा और पिंगलाया भी जा सकता है। इसलिए हमारे चारों तरफ प्लास्टिक से बनी वस्तुएं बहुतायत में और प्रत्येक आकार में मिलती है।
थर्मोप्लास्टिक– ऐसा प्लास्टिक जो गर्म करने पर आसानी से विकृत हो जाए और आसानी से मूड जाए थर्मोप्लास्टिक कहलाता है।
पॉलिथीन व पी॰ वी॰ सी ॰इसके उदाहरण है।
थर्मोसेटिंग प्लास्टिक- ऐसा प्लास्टिक जिसे एक बार सांचे में डालकर पुन: ऊष्मा देकर नरम नहीं किया जा सकता, थर्मोसेटिंग प्लास्टिक कहलाता है। बैकलाइट व मेलामाइन इसके उदाहरण है।
बैकलाइट- यह विद्युत और ऊष्मा का कुचालक है। इसलिए इससे बर्तनों के हत्थे, बिजली के स्विच आदि बनाए जाते।
मेलामाइन- यह आग का प्रतिरोधी व उष्मा को सहने की क्षमता रखता है। इसलिए इससे आग प्रतिरोधी टाईले रसोई के बर्तन और कपड़े बनाए जाते हैं।
प्लास्टिक के प्रमुख गुण-
प्लास्टिक अधिक क्रियाशील पदार्थ है अर्थात इस पर नमी, अम्ल व क्षारों का प्रभाव नहीं पड़ता।
प्लास्टिक हल्का, प्रबल वह चिरस्थायी पदार्थ है, अर्थात आज खरीदे गए प्लास्टिक के बर्तन आदि लंबे समय तक चलते हैं। हल्की होने के कारण इनका उपयोग सुविधाजनक है।
प्लास्टिक सस्ता व आसानी से उपलब्ध होने वाला पदार्थ है। इसलिए हर आम आदमी के घर प्लास्टिक की वस्तुएं देखी जा सकती है जिनका व्यापक रूप में उपयोग किया जा सकता है।
प्लास्टिक विद्युत व ऊष्मा का कुचालक है। इसलिए इसमें विद्युत की तारों के आवरण में बर्तनों की हत्थे बनाए जाते हैं।
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ – जो पदार्थ प्राकृतिक प्रक्रिया ( जैसे जीवाणु) द्वारा अपघटीत हो जाए, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे- सब्जी व फलों के छिलके, भोजन, कागज, सूती कपड़ा, लकड़ी, ऊनी वस्त्र आदि।
जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ- जो पदार्थ प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा सरलता से अपघटित न हो, जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे- टिन, एलुमिनियम, धातुओं की पत्तियां, प्लास्टिक की थैलियां आदि।
प्लास्टिक जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है अर्थात इसे अपघटित होने में वर्षों लग जाते हैं जो पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही प्लास्टिक को जब जलाया जाता है तो यह भारी मात्रा में विषैली गैस उत्सर्जित करता है जिसके कारण हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। इसलिए प्लास्टिक पर्यावरण हितैषी नहीं है।
प्लास्टिक पर्यावरण हितैषी नहीं है। इसे इस्तेमाल के उपरांत कूड़े में फेंक देना उचित नहीं है बल्कि इस्तेमाल बेकार प्लास्टिक को एकत्रित कर इसे पुन चक्रित का उपयोग मे लाना उचित है। इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक को कुछ रंग प्रदान करने वाले अभिकर्मक मिलाकर चक्रित करना उचित है। परंतु ध्यान रहे की चक्रित प्लास्टिक का उपयोग खाद्य पदार्थों के संचयन हेतु करते समय सावधानी बरती जानी चाहिए।
आम आदमी को प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए 4 R सिद्धांत को अपनाना चाहिए-
इस प्रकार 4R का महत्व समझते हुए अब हम अपने पर्यावरण के प्रति हितेसी हो सकते हैं।
जब थैलियों में खाद्य पदार्थ को सूचित करके रखा जाता है तो कुछ खाद्य पदार्थ थैलियों के साथ लग जाते हैं। यही स्थिति रैपरों की भी होती है। जब हम खाद्य पदार्थ खाकर खाली थैलियों को इधर-उधर फेंक देते हैं तो पशु इन प्लास्टिक की थैलियों को खा जाते हैं। यदि थैलियां पशुओं के श्वसन तंत्र में कण्ठरोध बन जाती है या फिर अमाशय में अस्तर बनकर मृत्यु का कारण बन जाती है। वैसे भी लापरवाही से इधर-उधर फेंकी गई प्लास्टिक की थैलियां नालियों को रोक देती है। कभी-कभी हम बहुत अधिक लापरवाही दिखाते हैं और चिप्स, बिस्कुट और अन्य खाद्य पदार्थों के रैपर सड़क पर, उडान अथवा पिकनिक के स्थानों पर फेंक देते हैं। ऐसा करने से पहले हमें सोचना चाहिए।
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