गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते-
बादलों वाले दिन।
उर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्म ईधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए?
- समानताएं- जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) प्राचीन काल में पौधा व जीव जंतुओं से बने हैं। इन जीवो के शरीर में जैव मात्रा के रूप में निहित ऊर्जा अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य की सौर ऊर्जा ही है।
- असामानता/अंतर- सूर्य से उत्सर्जित ऊर्जा, उसमे होने वाले नाभिकीय संलयन के कारण से है। इसलिए यह ऊर्जा, जो हम सूर्य से ग्रहण करते ही विकिरण के रूप में नाभिकिय/परमाणु ऊर्जा है। इसकी तुलना में जीवाशम इंधनों में निहित रासायनिक उर्जा को हम उनके ऑक्सीकरण/दहन से प्राप्त कर सकते हैं।
जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए?
जैव-मात्रा तथा जल विद्युत के बीच कोई विशेष समानता नहीं है केवल एक बात को छोड़ कर दोनों की उत्पत्ति सौर ऊर्जा से हुई होती है। दोनों ही ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत है। जैव-मात्रा जीवो के शरीर में विद्यमान द्रव्यमान है। यह सभी प्रकार के जीवों जैसे- पौधे, जंतु, कवक, सूक्ष्म जीव, आदि में विद्यमान होता है। जैव-मात्रा को लकड़ी के रूप में, जो गैस संयंत्र में स्लरी के रूप में जैव गैस के निर्माण में ( जैसे घरेलू इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है) ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। दूसरी ओर, जल विद्युत को जल की स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में, गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में और यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत के उत्पादन, के लिए उपयोग में लाया जाता।
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
- यह वृहत मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए।
- उसमें उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होने चाहिए।
- यह सरलता से उपलब्ध होना चाहिए।
- उसका भंडार व परिवहन आसान होना चाहिए।
- यह सस्ता होना चाहिए।
- इसके प्रति इकाई द्रव्यमान से अधिक कार्य होना चाहिए।
सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां है? क्या ऐसे भी क्षेत्र है जहां सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
सौर कुकर के उपयोग के लाभ-
- सौर कुकर ऊर्जा के आसमा पे स्रोत सौर ऊर्जा का उपयोग में लाते हैं।
- यह प्रदूषण का कारण नहीं बनते।
- इस प्रकार से खाना पकाने पर आहार के पोषक तत्वों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
- यह ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों को बचाते हैं।
सौर कुकर के उपयोग की सीमाएं (हानिया)-
- हम उनका उपयोग रात को या बादलों वाले दिन नहीं कर सकते हैं।
- सौर कुकर की दिशा को बार-बार सूर्य की दिशा के अनुसार बदलना पड़ता है।
- इसमे खाना पकाने में अधिक समय लगता है।
- चपाती बनाने तथा खान ने को फ्राई करने के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता।
- सौर कुकरो की उपयोगिता सीमित है विशेषकर ठंडी तथा बादलों वाले क्षेत्र में।
ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या है? ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय लिखिए।
ऊर्जा की आवश्यकता औद्योगिकीकरण, वाहनों के अधिक प्रयोग, विलासिता पूर्ण जीवन शैली, जीवन सत्र में सुधार के कारण कई गुना बढ़ गई है। इन सभी वस्तुओं को बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। अपनी उर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम अधिकतर विद्युत तथा जिवाश्म इंधनों का उपयोग करते हैं, विशेषकर पेट्रोलियम उत्पादों का जैसे केरोसिन, डीजल पेट्रोल आदि। तापीय विद्युत ऊर्जा संयंत्रों में भी विजिट के उत्पादन के लिए कोयला या प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता। ईंधन जो हम प्रयोग करते हैं, अनेक प्रकार के प्रदूषण द्वारा अंतः हमारे पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
प्रभाव
- ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि।
- अम्लीय वर्षा।
- पारिस्थितिक असंतुलन।
- सीपीसीज की हानि व उनका विलुप्त होना।
- पौध जीव-जंतु तथा मनुष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्या।
- विभिन्न प्रकार के स्रोतों की हानि
ऊर्जा की खपत कम करने के कुछ उपाय-
- व्यक्तिगत वाहन के स्थान पर सार्वजनिक यातायात के साधन को उपयोग में लाना जैसे मेट्रो रेल, बस आदि।
- घरों के डिजाइन में फेरबदल करके ताकि दिन के समय बल्ब, ट्यूब आदि जलाने की आवश्यकता नहीं है।
- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों से उर्जा का प्रयोग करके।
- फ्लोरोसेंट ट्यूब या बल्ब के स्थान पर CFL का प्रयोग करके जो कम विद्युत खर्च में अधिक प्रकाश देती।
- गलियों में प्रकाश के लिए सौर लैंप का प्रयोग।