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विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव से जुडी प्रश्नोत्तरी

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परिनालिका का के अंदर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र होता है?

धारा के समानुपाती।

जब अवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है, तो इसकी गतिज ऊर्जा सदैव-

घटती है।

एक स्वतंत्र आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है। कण के किस गुण में परिवर्तन हो सकता है?

गति की दिशा में।

छड़ चुंबक में चुंबकीय प्रेरण की रेखाएं-

उत्तर धुर्व से आरंभ होकर दक्षिण धुर्व तक आती है।

वैद्युत चुंबकीय क्रोड के रूप में कौन सा पदार्थ अधिक उपयोगी है?

नर्म लोहा।

रेखीय धारा द्वारा उत्पादित चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का पता लगाया जा सकता है-

दक्षिण- हस्त अंगूष्ठ नियम द्वारा।

विद्युत धारा के साथ सदैव चुंबकीय क्षेत्र जुड़ा होता है, इसकी खोज की गई-

केल्विन द्वारा।

एक सीधे चालक में से धारा गुजारी जाती है। इसके चारों ओर स्थापित चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं होगी-

गोलकार।

टैस्ला किसकी इकाई है?

चुंबकीय क्षेत्र की।

किसी लंबी धारावाही चालक तार से ‘r’ दूरी पर चुंबकीय क्षेत्र 0.4 टैस्ला है। ‘2r’ दूरी पर चुंबकीय क्षेत्र होगा?

0.2 T

चुंबकीय क्षेत्र में किसी गतिशील आवेश पर कोई बल कार्य नहीं कर रहा है, जब इसकी गति की दिशा है-

चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के समांतर।

L लंबाई की एक परिनालिका औसत व्यास D है । इसके ऊपर ‘N’ फेरों की ‘n’ परते हैं। यदि वह i धारा का वहन करता है तो इसके केंद्र पर चुंबकीय बल होगा-

D से स्वतंत्र।

वह बिंदु जिस पर दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक दूसरे से काटती है, कहलाता है-

उदासीन बिंदु

विद्युत चुंबक बनाने के लिए सबसे उपयुक्त धातु है-

लोहा।

चुंबकीय क्षेत्र का स्रोत होता है?

धारा घटक है/तत्व

वैद्युत चुंबकीय प्रेरण की घटना है-

चुंबक तथा कुंडली के बीच आपेक्षित गति होने से प्रेरित धारा उत्पन्न होने की प्रक्रिया।

फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार, एक धारावाही चालक गति करता है?

अंगूष्ठ की दिशा में।

भारत में ac की आवृति है?

50 Hz

एक समान चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है?

धारावाही बेलनकार कुंडली।

एक विधुन्मय तार दीवार में छिपी हुई है, इसकी स्थिति का पता किसकी सहायता से लगाया जा सकता है?

चुंबकीय दिकसूचक

एक सीधी तार विद्युत धारावाही है?

चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं हैं जो तार के चारो ओर वृत्ताकार आकृति में है।

विद्युत शक्ति घर से विद्युत का उच्च वोल्टता कि ac में संचालित किया जाता है क्योंकि?

यह आर्थिक दृष्टि से सही है क्योंकि इससे ऊर्जा की हानि नहीं होती है।

परिनालिका के अंदर चुंबकीय क्षेत्र होता है?

समान है।

लघुपथन परिपथ में धारा?

बहुत अधिक हो जाती है।

दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं हैं?

प्रतिच्छेद नहीं कर सकती है,

किसी धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र, चालक से दूर जाने पर-

घटता है।

किसी धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा का पता लगाया जा सकता है?

दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा।

किसी धारावाही वृत्ताकार पाश के केंद्र पर इसके द्वारा उत्पन्न चुंबकीय रेखाएं प्रतीत होती है?

सीधी रेखाओं के रूप में।

किसी चुंबकीय शक्ति को आसानी से बदला जा सकता है?

विद्युत चुंबक ।

किसी धारावाही कुंडली द्वारा उत्पादित चुंबकीय क्षेत्र को शक्ति निर्भर करती है-

धारापर, कुंडली में फेरों की संख्या पर।

किसी धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर उस पर आरोपित बल का पता लगाया जा सकता है?

फ्लेमिंग के LHR द्वारा।

एक इलेक्ट्रॉन चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत इसमें प्रवेश करता है, इलेक्ट्रॉन पर आरोपित बल की दिशा होगी-

पृष्ठ के अंदर

एक क्षैतिज विद्युत शक्तितार में धारा पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है। इसके ठीक नीचे किसी बिंदु में तथा इसके ठीक ऊपर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होगी-

पूर्व-पश्चिम।

शरीर का अंग जिसमें उल्लेखनीय चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

हृदय, मस्तिष्क।

चुंबकीय प्रभाव/चुंबकत्व पर आधारित एक प्रेक्षण विधि है-

MRI (चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन)

एक युक्ति जो विद्युत के प्रवाह की दिशा में परिवर्तन लाती है-

दिक् परिवर्तक ।

किस वैज्ञानिक ने इस तथ्य की खोज की, की गतिशील चुम्बकों को विद्युत धारा उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है?

माइकेल फैराडे।

वैद्युत चुंबकीय प्रेरण तथा वैद्युत अपघटन के नियमों की खोज की-

माइकेल फैराडे

एक दिशिक धारा को कहते हैं-

DC

सामान्यतः विधुन्मय तार का रंग होता है?

लाल।

घरों को सप्लाई की जाने वाली विद्युत की वोल्टता होती है?

220 V

भारत में ac की आवृति 50 Hz है इसका अर्थ यह है कि धारा की दिशा प्रति सेकंड बदलती रहती है?

1/100s

घरेलू परिपथ में विद्युत साधित्र जुड़े होते हैं-

समांतर

एक आयताकार तांबे की तार की कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णन किया जाता है। प्रेरित धारा की दिशा एक बार में कितने घूर्णन के पश्चात बदलेगी?

आधा चक्कर

AC जनित्र तथा DC जनित्र के बीच प्रमुख अंतर है-

AC जनित्र में विभक्त वलय होते हैं, जबकि DC जनित्र में जैविक दिक् परिवर्तक होते हैं।

विद्युत चुंबकीय प्रेरण की प्रघटना होती है-

कुंडली तथा चुंबक के सापेक्ष गति से उत्पन्न कुंडली में पर एक धारा की प्रक्रिया।

धारा प्रवाहित एक लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र का मान होता है-

एक समान

किसी जनित्र के द्वारा उत्पन्न वोल्टेज/धारा को बढ़ाया जा सकता है-

कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ाकर, कुंडली के घूर्णन को तीव्र करके, एक शक्तिशाली विद्युत चुंबक का प्रयोग करके।

लघुपथन के समय, परिपथ में धारा-

बढ़ जाती है।

एक विद्युत जनित्र किस रूप में कार्य करता है?

ऊर्जा के प्रवर्तक के रूप में।

एक विद्युत जनित्र परिवर्तित करता है-

यांत्रिक ऊर्जा के विद्युत ऊर्जा में।

विद्युत मोटर परिवर्तित करती है-

विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में।

विद्युत परिपथ में फ्यूज कार्य करता है-

सुरक्षा यंत्र के रूप में।

विभक्त वलय का उपयोग किया जाता है-

AC जनित्र में।

यदि कुंडली में फेरों की संख्या को दोगुना कर दिया जाए तो चुंबकीय फ्लक्स है-

2 गुना हो जाए।

फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम का प्रयोग किसकी दिशा ज्ञात करने के लिए किया जाता है?

प्रेरित धारा।

विद्युन्मय तार तथा उदासीन तार के संपर्क में आने से हो सकता है-

लघुपथन

धात्विक आवरण वाली विद्युत युक्तियों को भूसंपर्क किया जाता है ताकि-

विद्युत शॉक से बचाया जा सके।

एक ही विद्युत साधित्र जो धारावाही चालक पर चुंबकीय क्षेत्र में लगने वाले बल पर आधारित है-

विद्युत जनित्र।

तीन पिन सॉकेट में बड़े वाला छेद संपर्क में रहता है-

भू-तार के

विद्युत मोटर का गतिशील (घूर्णन) घटक है-

आर्मेचर

फ्यूज तार का गलनांक होना चाहिए-

न्यून

ट्रांसफोर्मर परिवर्तित करता है-

विद्युत विभव को।

एक धारावाही चालक उत्पादित करता है-

चुंबकीय क्षेत्र।

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